ममता ने खेल किया
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के आक्रामक कैंपेन और ध्रुवीकरण की कोशिशों के बावजूद ममता की तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की
कोरोना की दूसरी लहर के बीच हुए पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनावों के दौरान भले परिवर्तन शब्द पर सबसे ज्यादा जोर दिख रहा हो, वोटरों ने पांच में से तीन जगह सत्ताधारी दल को ही दोबारा सत्ता सौंपी।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के आक्रामक कैंपेन और ध्रुवीकरण की कोशिशों के बावजूद ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की। असम में एनआरसी से जुड़े विवादों के बावजूद बीजेपी को जनता ने लगातार दूसरी बार चुना और कांग्रेस को फिर से मायूसी हाथ लगी। तमिलनाडु में डीएमकेएकी जीत हुई, लेकिन सीटों की संख्या उसकी उम्मीद से कम रही। एम करुणानिधि के निधन के बाद स्टालिन के नेतृत्व में यह पार्टी का पहला विधानसभा चुनाव था, जिसमें वह सफल रहे।
केरल में एक बार एलडीएफ और दूसरी बार यूडीएफ की रीत को बदलते हुए पिनरई विजयन सरकार ने पहले से ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में वापसी की। यह ऐतिहासिक रिजल्ट है। इससे पता चलता है कि विजयन सरकार के कामकाज को जनता ने पसंद किया है, लेकिन पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टियों का सफाया हो गया। क्या बंगाल में सीपीएम को केरल में पार्टी के कामकाज के तरीकों से कुछ सीखना चाहिए? यह सवाल गौरतलब है।