महाराष्ट्र हिंसाः सांप्रदायिक हिंसा रुके
बांग्लादेश में हुई घटनाओं के विरोध में त्रिपुरा में भड़की हिंसा की खबरों ने महाराष्ट्र के अमरावती समेत कई जिलों में जिस तरह से कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर दी, वह बताता है
बांग्लादेश में हुई घटनाओं के विरोध में त्रिपुरा में भड़की हिंसा की खबरों ने महाराष्ट्र के अमरावती समेत कई जिलों में जिस तरह से कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी कर दी, वह बताता है कि हम सांप्रदायिक रूप से बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रहे हैं। सोशल मीडिया की भूमिका अक्सर ऐसी घटनाओं के असर को फैलाने का काम करती है। ऐसे में पुलिस, प्रशासन और कानून-व्यवस्था से जुड़ी एजेंसियों की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। जिस तरह से बांग्लादेश की घटनाओं की प्रतिक्रिया त्रिपुरा में देखने को मिली, उसे तत्काल पूरी ताकत से नियंत्रित करने की जरूरत थी। पुलिस ने हालांकि इसकी कोशिश की और उसे काफी हद तक कामयाबी भी मिली। इस शिकायत में कुछ सचाई भी दिखती है कि त्रिपुरा हिंसा के बारे में सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए गए। कई ऐसी फर्जी तस्वीरें और फेक विडियो चलाए गए, जिनका त्रिपुरा की मौजूदा स्थिति से कोई लेना-देना नहीं था। कहीं और या काफी पहले हुई घटनाओं को त्रिपुरा की हालियां घटनाओं से जोड़कर सोशल मीडिया पर चलाया गया।