महाराष्ट्र राजनीतिक संकटः शिंदे की गठबंधन सरकार भाजपा के साथ ही बनेगी, डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं!
यह मानकर चला जा सकता है कि महाराष्ट्र की गठबंधन-सरकार का सूर्य अस्त हो चुका है
By लोकमत समाचार सम्पादकीय |
यह मानकर चला जा सकता है कि महाराष्ट्र की गठबंधन-सरकार का सूर्य अस्त हो चुका है। यदि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने बागी नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने को भी तैयार हों तो भी यह गठबंधन की सरकार चलनेवाली नहीं है, क्योंकि शिंदे उस नीति के बिल्कुल खिलाफ हैं, जो कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रति उद्धव ठाकरे की रही है।
शिवसेना के बागी विधायकों की सबसे बड़ी शिकायत यही है कि उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी को न सिर्फ महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंप दिए हैं बल्कि शिवसेना के विधायकों की वे परवाह नहीं करते हैं। इसके अलावा ठाकरे के खिलाफ शिवसेना के लगभग सभी विधायकों की गंभीर शिकायत यह है कि मुख्यमंत्री अपने विधायकों को भी मिलने का समय नहीं देते हैं। विधायक अपने निर्वाचकों की शिकायतें दूर करने के लिए आखिर किसके पास जाएं?
शिवसेना में बरसों से निष्ठापूर्वक सक्रिय नेताओं को इस बात पर भी नाराजगी है कि शिवसेना ने हिंदुत्ववादी भाजपा का साथ छोड़ दिया और जिस कांग्रेस के खिलाफ बालासाहब ठाकरे ने शिवसेना बनाई थी, उद्धव ठाकरे ने उसी के साथ मिलकर सरकार बना ली। उद्धव ने किसी वैचारिक मतभेद के कारण नहीं, बल्कि व्यक्तिगत आरोपों-प्रत्यारोपों के कारण भाजपा से वर्षों पुराना संबंध तोड़ लिया। शिवसेना के अन्य नेताओं के मन में पल रही ये ही चिंगारियां आज ज्वाला के रूप में प्रकट हो रही हैं। शिंदे के पास दो तिहाई बहुमत की बात सुनते ही उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री निवास छोड़ दिया है। वे कह रहे हैं कि सरकार रहे या जाए, शिवसेना के लाखों कार्यकर्ता उनके साथ हैं। लेकिन इस सरकार के गिरने के बाद शिवसेना के ये कार्यकर्ता पता नहीं किधर जाएंगे?
जाहिर है कि शिंदे अब कांग्रेस और शरद पवार से हाथ नहीं मिलाएंगे। उनकी गठबंधन सरकार अब भाजपा के साथ ही बनेगी। भाजपा उन्हें खुशी-खुशी उप-मुख्यमंत्री का पद देना चाहेगी। लेकिन महाराष्ट्र का यह सियासी घटना-क्रम देश के सभी नेताओं के लिए एक बड़ा सबक सिद्ध हो सकता है।