विश्व सिनेमा की जादुई दुनिया: क्रिसमस आधारित 'बेन-हर', अद्भुत फ़िल्म-गजब का फिल्मांकन

उस समय तकनीकि सुविधाएं आज की तरह नहीं थीं,

Update: 2022-12-25 10:49 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  उस समय तकनीकि सुविधाएं आज की तरह नहीं थीं, न ही डिजिटल का दौर था, न ही स्पेशल विजुअल इफेक्ट्स के सॉफ़्टवेयर उपलब्ध थे, फ़िर भी कमाल की चेरियट रेस (रथ दौड़) तथा पानी के भीतर लड़ाई के दृश्य फ़िल्माए गए हैं। इन दृश्यों को न केवल स्टेडियम में बैठे दर्शक, वरन सिनेमा हाल में बैठे दर्शक भी सांस रोक कर देखते हैं और वाहवाही करते हैं।

सच में यह आसान नहीं है, हजारों की भीड़ जुटा कर उन्हें सामान्य और प्राकृतिक रूप से कथानक और दृश्य में गूंथ कर फ़िल्माना। भयभीत-उत्तेजित भीड़ को नियंत्रित करना और फ़िल्माना कितना कठिन और जोखिम भरा होता है, यह बताने की बात नहीं है। मगर यह कमाल 1959 में विलियम वायलर ने किया है।
इस उत्तेजना, उग्र, हिंसा, क्षमा से भरी फ़िल्म का नाम है, 'बेन-हर'। वतिकान की फ़िल्म लिस्ट में 'धार्मिक' श्रेणी में कुल 15 फ़िल्में शामिल हैं, इसमें भी हॉलीवुड की एक ही फ़िल्म शुमार की गई है और यह एकमात्र फिल्म है, 'बेन- हर'। ऐसी है, इस फ़िल्म की महिमा।
और जब इसी कथानक को, इसी नाम से 2016 में तिमूर बेक्मामबेटोव ने फ़िर बनाया तो निर्देशक के पास इन सारे विस्मयकारी एक्शन दृश्यों को फ़िल्माने हेतु तरह-तरह के सीजीआई और तमाम अन्य नवीनतम तकनीकि सुविधाएं उपलब्ध थीं। हजारों-लाखों की भीड़ कम्प्यूटर द्वारा जुटाई गई और लड़ाई भी कम्प्यूटर द्वारा लड़ी गई।
'बेन-हर' में रथ दौड़ में अभिनेताओं ने रथ स्वयं दौड़ाया और अभिनेता हेस्टन तथा बॉड ने लड़ाई के दृश्यों में भी स्वयं अभिनय किया। आज संपादन की नई तकनीकि भी तिमूर के पास संभव थी, लेकिन संपादन का सर्वोत्तम ऑस्कर पुरानी फ़िल्म के हिस्से आया। 2016 में सिनेमाटोग्राफ़र ओलिवर वुड के पास वो कैमरा लेंस थे जिनके नाम भी 1959 में रॉबर्ट सुर्टीज ने कल्पना में न सुने-देखे होंगे, पर ऑस्कर रॉबर्ट सुर्टीज के नाम रहा।
विलियम वायलर ने लोकप्रिय फिल्म
विलियम वायलर ('बेन-हर' के लिए 1960 का सर्वोत्तम निर्देशक का ऑस्कर) की बनाई 'बेन-हर' एक सच्ची गाथात्मक फ़िल्म है। यह भव्य और विशाल पैमाने की फ़िल्म सिने-इतिहास में अपना स्थान दर्ज करा चुकी है और आज भी मनोरंजन प्रेमियों के दिल इसके साथ धड़कते हैं।
चाइल्ड प्रोडजी मिक्लोज रोज़ा के संगीत से सजी इस फ़िल्म में एक यहूदी राजकुमार जुडाह बेन-हर (चार्टन हैस्टन) अपने लगोंटिया यार की बेवफ़ाई का शिकार होता है। उसके दोस्त मेसाला (स्टीफ़न बॉड) ने उस पर रोमन साम्राज्य के खिलाफ़ अपराध का झूठा आरोप लगाया है। घटना पहली सदी के येरुशेलम में घटती है। जुडाह बेन-हर का जीवन उथल-पुथल हो जाता है, उसे तीन साल गैली-दास के रूप में जीवन व्यतीत करना पड़ता है। बेन-हर को हर हाल में खुद को बेगुनाह साबित करना है, झूठे आरोप लगाने वाले से प्रतिकार लेना है।
क्रिसमस से जुड़ी है बेन-हर
यह क्रिसमस का मौसम है, ऐसे समय क्राइस्ट और क्रिसमस से जुड़ी फ़िल्मों को याद करना, उन्हें देखना एक अलग अनुभूति से गुजरना है। फ़िल्म 'बेन-हर' क्राइस्ट के जन्म, उसकी रहस्यमयी छिपी जिंदगी, जनता से जुड़े उसके जीवन, उसके जुनून और मृत्यु के विषय में है, मगर दर्शक न तो कभी भी जीसेस का चेहरा देखता है और न ही उसे कभी जीसेस की आवाज सुनाई देती है। मगर पूरी फ़िल्म जीसेस की उपस्थिति से भरी हुई है। यह फ़िल्म क्षमा के संदेश, उसके महत्व का एक क्लासिक उदाहरण है।
प्रतिकार पर कई फ़िल्में बनी हैं और आगे भी बनेंगी पर 'बेन-हर' की घटनाओं की सेटिंग, क्राइस्ट के सूली चढ़ाने के काल की घटनाओं का होना इसे विशिष्ट अर्थ और महत्व प्रदान करता है। साढ़े तीन घंटे से तनिक अधिक अवधि की यह फ़िल्म धीमी गति से आगे बढ़ती है और चरित्रों को स्थापित होने का भरपूर अवसर देती है।
आज के हड़बड़ी के समय और दर्शकों के पास धैर्य की कमी के कारण शायद उन्हें नई वाली अधिक पसंद आए, पर कहानी का मजा तो मुझे 1959 वाली 'बेन-हर' में ही आया। कई बार देखी जा सकती है यह फ़िल्म, मैंने देखी है और हर बार वही थ्रिल, वही अचम्भित करने वाली लगी है। यूं ही किसी को 11 ऑस्कर नहीं मिलते हैं। कुछ तो बात है, जिसे देख कर ही अनुभव किया जा सकता है।
विलियम वायलर को ऑस्कर
ऑस्कर की बात ऐसी है कि विलियम वायलर ने अपनी 'मिसेज मिनिवर', 'द बेस्ट ईयर्स ऑफ़ अवर लाइव्स' तथा 'बेन-हर' अर्थात तीन फ़िल्मों के लिए इसे जीता। साथ ही 'द फ़ाइटिंग लेडी' नामक डॉक्यूमेंट्री केलिए सर्वोत्तम डॉक्यूमेंट्री का ऑस्कार भी उसके नाम रहा। इसके अलावा उसकी निर्देशित दस अन्य फ़िल्मों को ऑस्कर का नामांकन भी प्राप्त है।
इसके अलावा 'रोमन होलीडे', 'फ़नी गर्ल' 'वदरिंग हाइट्स', 'फ़्रेंडली परसुएशन', 'द बिग कंट्री', 'द चिल्ड्रेन'स आवर', 'हाऊ टू स्टील ए मिलियन' आदि वायलर द्वारा निर्देशित कुछ अन्य फ़िल्में हैं। यूनिवर्सल स्टूडियोज की लोकेशन पर फ़िल्माई पहली सवाक फ़िल्म 'हेल'स हीरोज' (1929) का श्रेय उसे जाता है। वायलर ने अपने फ़िल्म निर्देशन की यात्रा में ऑड्री हेप्बर्न, कर्क डगलस, लॉरेंस ओलिवियर, गेरी कूपर, ग्रेगरी पेक, शेर्ली मैक्लैन तथा हेनरी फ़ोंडा को निर्देशित किया।
ल्यु वालस की कहानी 'ए टेल ऑफ़ क्राइस्ट' के नायक चार्टन हैस्टन (जुडाह बेन-हर) को सर्वोत्तम अभिनेता और सह अभिनेता हग ग्रिफ़िथ को ऑस्कर मिला। कॉर्ल टनबर्ग ने स्क्रीनप्ले तैयार किया जिसमें गोर विडाल का भी सहयोग रहा। 11 में सर्वोत्तम साउंड के लिए फ़्रैंकलिन मिल्टन तथा रंगीन पोशाकों के लिए एलिज़ाबेथ हाफ़ेन्डेन, आर्ट निर्देशन तथा सेट डेकोरेशन के लिए तीन लोगों को मिला ऑस्कर शामिल है।
गजब का फिल्मांकन
सेट की बात से आप सहमत होंगे जब ज्ञात होगा कि पानी के भीतर की भयंकर लड़ाई स्टूडियो में टैंक बना कर फ़िल्माई गई थी। उस समय उपलब्ध सुविधाओं का बेहतरीन उपयोग कर 'बेन-हर' एक संपूर्ण ऐतिहासिक-धार्मिक, कालजयी महागाथा है।
जीसेस क्राइस्ट को लेकर बहुत सारी फ़िल्में बनी हैं। कुछ मूक हैं, कुछ सवाक हैं। ल्यु वालस की कहानी 'ए टेल ऑफ़ क्राइस्ट' पर बनी पहली दो फ़िल्म मूक हैं। तीसरी तकरीबन सारे मानवीय संवेगों को स्पर्श करती 'बेन-हर' उनमें से हर दृष्टि से उच्च कोटि की है। यह तीसरी बार बनी फ़िल्म तीन बार सर्वोत्तम निर्देशक का ऑस्कर पाने वाले निर्देशक, प्रड्यूसर एवं अभिनेता विलियम वायलर का करीश्मा है।
देख कर मन में हूक उठती है हमारे पास मिथक और धार्मिक गाथाएं हैं मगर हम इस जैसी एक भी फ़िल्म अभी तक नहीं बना पाए हैं। कई दृश्य त्रुटिहीन हैं और आश्चर्यचकित करते हैं। सीधी-सादे, सरल ढ़ंग से कही कहानी भी इतनी शक्तिशाली और प्रभावशाली हो सकती है, बशर्ते आपको कहानी कहनी आती हो। हां, थोड़ा-सा मेलोड्रामा है-तो-है, कौन उसके बिना पर इस बेहतरीन फ़िल्म को देखने से चूकना चाहेगा।

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