कानून-व्यवस्था: उत्तर प्रदेश में कानून के राज से बदलती तस्वीर

पुलिस बल बनाने की तैयारियां चल रही हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में जिला, रेंज और जोन स्तर पर भी बदलाव नजर आ सकते हैं।

Update: 2022-04-18 02:05 GMT

रामनवमी में देश के कई राज्यों-राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली के जेएनयू में हिंसक घटनाएं हुई हैं और कई लोगों की जानें भी गई हैं। कानून-व्यवस्था के नजरिये से यह चिंताजनक तो है ही, सामाजिक सौहार्द के लिए भी बड़ा सवालिया निशान है। जबकि आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में शांतिपूर्ण ढंग से रामनवमी मनाई गई। अयोध्या में पहली बार तीस लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी, लेकिन कहीं से भी किसी अनहोनी की खबर नहीं आई। जाहिर है, उत्तर प्रदेश ने कानून-व्यवस्था के मामले में पिछले पांच वर्षों में मिसाल कायम की है।

पांच वर्ष पहले प्रदेश के कानून-व्यवस्था की देश भर में आलोचना होती थी। सत्ता संरक्षित अपराधियों एवं माफियाओं ने कानून-व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया था। पीड़ित व्यक्ति अपराधियों के खौफ की वजह से थाने में रिपोर्ट लिखवाने में डरता था। चुनाव और पर्व-त्योहारों पर कानून-व्यवस्था एक प्रमुख मुद्दा हुआ करती थी। अपराधियों के खौफ से निवेशक प्रदेश में निवेश करने से घबराते थे। लेकिन वर्ष 2017 में जब योगी आदित्यनाथ ने आपराधिक तत्वों के खिलाफ शून्य सहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई, तब से प्रदेश की तस्वीर बदलने लगी। पहली बार बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के पेशेवर अपराधियों, भूमाफिया, खनन माफिया, मादक पदार्थ और शराब माफिया, शिक्षा माफिया, आदि आपराधिक तत्वों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। अवैध तरीके से अर्जित की गई संपत्ति पर बुलडोजर भी चले। अब उन जमीनों पर गरीबों के लिए घर बन रहे हैं। प्रदेश वही है, लेकिन नेतृत्व और कार्य संस्कृति बदलने से उत्तर प्रदेश भय, दंगा और कर्फ्यू मुक्त हो गया, तथा प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ।
प्रदेश पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2017 के मुकाबले वर्ष 2022 में हुए राज्य विधानसभा चुनाव में नाम मात्र की आपराधिक घटनाएं हुई हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में 97 मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन इस बार मात्र 33 घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में कोई भी व्यक्ति न तो गंभीर रूप से घायल हुआ और न ही किसी की मृत्यु हुई है। जबकि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले और बाद में भी हिंसा के दौरान हत्याओं और यौन उत्पीड़न के दर्जनों मामले सामने आए।
रामनवमी के अवसर पर हिंसक झड़प की खबरें बताती हैं कि संबंधित राज्यों ने इस पर्व के मद्देनजर तैयारी नहीं की थी। अगर सरकार ने कानून को सख्ती से लागू किया होता, तो शायद ऐसी स्थिति नहीं आती। जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने नवरात्र के पहले दिन से ही पुलिस को सतर्क कर दिया था और भीड़भाड़ वाले इलाकों में पेट्रोलिंग करने के निर्देश दिए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि पुलिस बल के प्रमुख अधिकारी कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए सड़कों पर उतर पड़े। जहां जरूरत महसूस हुई, वहां अतिरिक्त बल मुहैया कराया गया। राज्य पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, रामनवमी पर 28 जिलों में पीएसी की 22 कंपनियां और दो प्लाटून भेजे गए। अयोध्या में भारी भीड़ जुटने की संभावना को देखते हुए अतिरिक्त सावधानियां बरती गईं और सभी आवश्यक तैयारियां की गईं। पूरे प्रदेश में 771 जुलूस निकाले गए और 671 मेले लगाए गए, लेकिन कहीं से किसी अनहोनी की खबर नहीं आई।
ऐसे में कहा जा सकता है कि कानून-व्यवस्था के मामले में उत्तर प्रदेश ने दूसरे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। दूसरे राज्यों को कानून-व्यवस्था की बहाली के संबंध में उत्तर प्रदेश से सीखने की जरूरत है। पिछले पांच वर्षों में राज्य पुलिस को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने से लेकर संसाधनों और तकनीकी सुविधाओं को भी अपग्रेड किया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस को देश में नंबर एक पुलिस बल बनाने की तैयारियां चल रही हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में जिला, रेंज और जोन स्तर पर भी बदलाव नजर आ सकते हैं।

सोर्स: अमर उजाला

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