हिंदी में न्याय
आजादी के बाद हर भारतीय का सपना था कि सरकार के सभी अंगों में मातृभाषा के जरिये संवाद हो।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आजादी के बाद हर भारतीय का सपना था कि सरकार के सभी अंगों में मातृभाषा के जरिये संवाद हो। सरकारी रीतियां-नीतियां उसकी भाषा में समझ में आने वाली हों। आकांक्षा रही कि आम जनता को न्याय उसकी भाषा में मिले। सवाल पूछा जाना चाहिए कि आम आदमी के हिस्से में आये व्यवस्था के इस अंधेरे के लिये कौन जिम्मेदार है? हमें न्याय और चिकित्सा व दवाइयां हमारी भाषा में क्यों नहीं मिल पातीं? बहरहाल, आजादी के अमृतकाल में यह खबर सुकून देने वाली है कि हरियाणा में न्यायालयों के आदेश अब हिंदी भाषा में मिल सकेंगे। निस्संदेह, अब फैसले समझने के लिये आम आदमी को माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी। न्याय समझ आना भी न्याय की अपरिहार्य शर्त भी है। हरियाणा सरकार की इस पहल के बाद कम पढ़े-लिखे लोग भी न्यायिक फैसलों को आसानी से समझ सकेंगे। दरअसल, ब्रिटिश व्यवस्था का अनुसरण करती हमारी न्यायिक शब्दावली की अपनी जटिलताएं हैं। जिसे भाषायी बाधा और जटिल बना देती है। आम आदमी को न्यायिक आदेशों को समझने के लिये किसी अनुवादक की जरूरत होती रही है, जिससे उसके न्याय पाने की जद्दोजहद खासी महंगी भी पड़ती है। दरअसल, हरियाणा सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधीनस्थ न्यायालयों तथा अधिकरणों में हिंदी भाषा के उपयोग के संबंध में हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 2020 की धाराओं के अधीन प्रयोजनों के उपयोग के लिये अधिसूचना जारी की थी। जिसे राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने अनुमोदित कर दिया है। अब ये नियम एक अप्रैल, 2023 से प्रभावी होंगे। जिससे अब न्यायालय के आदेश हिंदी में मिल सकेंगे। निस्संदेह, हरियाणा सरकार की यह पहल आम आदमी की सुविधा के हिसाब से महत्वपूर्ण है। जिस भाषा का लोग आम बोल-चाल में प्रयोग करते हैं यदि उसमें ही उन्हें न्याय मिलने लगे, तो इससे न्याय की सार्थकता सिद्ध होती है। साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में वादी-प्रतिवादी सक्रिय रूप से प्रत्यक्षदर्शी बन सकेंग