जनता से रिश्ता वेबडेस्क | इस साल कई राज्यों में चुनाव है और फिर अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है. चुनाव को देखते हुए सरकार ने कई लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती थी, लेकिन सरकार ने बहुत अधिक पैसा खर्च करने का जोखिम नहीं उठाया. सरकार ने बेवजह खर्च को तरजीह नहीं देते हुए वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने का लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की है और इस प्रयास की सराहना होनी चाहिए.
बजट में सरकार ने कई घोषणाएं की हैं और इन घोषणाओं का यदि सही क्रियान्वयन हो और वह धरातल पर उतरे, तो निश्चित रूप से भारत की अर्थव्यवस्था और विकास को गति मिलेगी. विकास की गति तेज होने से ही रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे और विदेशी निवेश काे बढ़ावा मिलेगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की बजट घोषणा में सभी वर्गों के लिए कुछ न कुछ है.
मध्य वर्ग से लेकर निम्न वर्ग, महिलाओं, आधारभूत संरचना, रेेलवे आदि के लिए सरकार ने काफी घोषणाएं की हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ सरकार देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश कर रही है. इसके लिए छोटे एवं लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए बजट में कई घोषणा की गयी है. चीन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत के लिए मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की अच्छी संभावना है.
भारत में लोगों की सबसे अधिक निगाह आयकर छूट को लेकर रहती है. कई वर्षों के इंतजार के बाद इस बार सरकार ने छूट देकर उस वर्ग को भी लुभाने की कोशिश की है. बजट थोड़ा-बहुत चुनाव से भी प्रभावित है. ऐसा सभी सरकारें करती रही हैं, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि सरकार ने जो बजट घाटे का लक्ष्य तय किया है, वह अर्थव्यवस्था की सेहत के लिए काफी अच्छा है. देखने वाली बात होगी कि आने वाले समय में इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में सरकार क्या कदम उठाती है.
मेरी समझ से बजट को लेकर कुछ चिंता और चुनौती भी है. सरकार ने टैक्स छूट देकर एक छोटे वर्ग को राहत पहुंचाने की कोशिश जरूर की है, लेकिन उससे भी ज्यादा चिंता रोजगार को लेकर है, क्योंकि भारत में एक बड़ा वर्ग है, जिसे रोजगार की जरूरत है. सरकार को इस दिशा में और अधिक प्रयास करने की जरूरत है. रोजगार बढ़ने से बाजार में पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा साथ ही खपत भी बढ़ेगी.
इससे आर्थिक विकास तेज होगा. इस दिशा में सरकार को ठोस पहल करने की जरूरत थी, क्योंकि वैश्विक बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मंदी की भी आशंका है. ऐसे में अगर आर्थिक मंदी आयी, तो यह भारत के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है, क्योंकि देश में बचत दर लगातार कम होती जा रही है. पहले बचत दर 23 फीसदी थी, जो मौजूदा समय में घट कर 11 फीसदी हो गयी है.
देश में संगठित क्षेत्र के मुकाबले असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या कई गुणा अधिक है. इसमें से आज भी कृषि क्षेत्र से सबसे अधिक लोग जुड़े हुए हैं. बजट में कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए फंड की घोषणा की गयी है, लेकिन कृषि उपज को लाभकारी बनाने के लिए विशेष कदम उठाने की जरूरत है. इस क्षेत्र की बेहतरी के लिए व्यापक सुधार समय की मांग है.
एक चिंता शेयर बाजार को लेकर है. बाजार में हाहाकार मचा हुआ है. उस पर सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाना चाहिए, क्योंकि संतुलित बजट आने के बाद भी शेयर बाजार में आयी गिरावट चिंता का विषय है. अडानी-हिंडनबर्ग के आरोप-प्रत्यारोप पर सेबी को सख्त कदम उठाना चाहिए, क्योंकि एक बार जब निवेशकों के मन में यह डर बैठ जायेगा कि भारत में कॉरपोरेट रेगुलेशन कम है या कमजोर है, तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.
शेयर बाजार में लगातार गिरावट आ रही है, यह बजट के कारण नहीं है, बल्कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के कारण है. पिछले चार-पांच सालों में विदेशी निवेश काफी बढ़ा है. विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा लगा कर कमा रहे हैं, लेकिन जब उन्हें यह लगने लगेगा कि भारत में पैसा सुरक्षित नहीं है, तो वह दूसरे देश का रुख करेंगे. इसलिए निवेशकों के मन से यह डर दूर होना चाहिए. सरकार को ऐसे अफवाहों को तुरंत दूर करने के लिए कदम उठाना चाहिए, क्योंकि यह निवेशकों का देश के प्रति विश्वास का मामला है.
कुछ वर्ष पहले आर्थिक समीक्षा ने रेखांकित किया था कि भारत में प्रति सौ मतदाताओं में केवल सात लोग करदाता हैं. यह स्थिति विकसित देशों के बिल्कुल उलट है. स्केंडिनेवियाई देशों में यह अनुपात तो लगभग एक-एक का है, यानी हर मतदाता कर देता है. इसलिए कर आधार को बढ़ाना बहुत बड़ी आवश्यकता है, जिसे हर बजट अनदेखा करता प्रतीत होता है. वर्तमान में कुल कराधान में अप्रत्यक्ष करों की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है.
यह मोदी सरकार का अच्छा बजट है, क्योंकि बजट में गरीबों के लिए आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, आय बढ़ाने, आजीविका के साधन मुहैया कराने के वादे किये गये हैं. गरीबों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने, पिछड़े इलाकों के विकास के लिए आकांक्षी ब्लॉक योजना जैसी घोषणा गरीबों के लिए जरूरी है.
सरकार ने युवाओं के कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया है. युवाओं को उद्योग की जरूरत के लिहाज के कुशल बना कर उद्योग की जरूरत को भी पूरा करने में मदद मिलेगी और युवाओं को भी बेहतर रोजगार के अवसर मिलेंगे. निश्चित रूप से इस बजट से सरकार को भी लाभ होगा, लेकिन सरकार को विपरीत परिस्थितियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए.
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सोर्स: prabhatkhabar