मालदीव में भारत विरोध

सम्पादकीय

Update: 2022-02-14 05:45 GMT
By NI Editorial
पूर्व राष्ट्रपति यामीन अक्सर अपने भाषणों में लोगों से अपील करते हैं कि वे अपने घरों की दीवारों पर 'इंडिया आउट' लिख दें। मुमकिन है कि जनता के स्तर पर 'इंडिया आउट' अभियान उतना बड़ा नहीं हो, जितना खबरों में बताया जाता है। लेकिन इसे हलके से नहीं लिया जा सकता।  
भारत के मुद्दे पर मालदीव में सियासी टकराव बढ़ता जा रहा है। अब एक ताजा खबर के मुताबिक मालदीव सरकार एक कानून बनाने जा रही है, जो देश में जारी 'इंडिया आउट' अभियान को अपराधिक गतिविधि बना देगा। भारत के लिए ये अच्छी खबर है। लेकिन ये सवाल बना हुआ है कि जब वहां भारत विरोधी ताकतों और भावनाएं मौजूद हैं, तब आखिर इस खबर से भारत कितनी राहत महसूस कर सकता है? गौरतलब है कि पिछले महीने मालदीव के फुनादू द्वीप पर शैवियानी स्कूल की दीवार पर 'इंडिया आउट' लिखा मिला था। द्वीप के काउंसिल अध्यक्ष से लेकर देश के शिक्षा मंत्रालय तक सभी ने इस घटना पर टिप्पणियां की। पुलिस ने जांच करने की भी बात कही। उससे छिड़ी चर्चा के बीच ये सामने आया कि पिछले कई महीनों से मालदीव में 'इंडिया आउट' अभियान चल रहा है। इस अभियान का नेतृत्व 'प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव' (पीपीएम) के नेता और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन कर रहे हैं। उन्हें चीन का करीबी माना जाता है। 2018 में वे चुनाव हार गए थे। बाद में उन्हें एक अरब डॉलर के सरकारी धन का दुरुपयोग करने का दोषी पाया गया। इसके लिए 2019 में यामीन को पांच साल की सजा हुई थी। कोविड-19 के कारण उनकी जेल की सजा को घर में नजरबंदी में तब्दील कर दिया गया।
 बीते नवंबर में यामीन के खिलाफ लगे सारे आरोप खारिज कर दिए गए और उन्हें रिहा कर दिया गया। इससे उनका दोबारा राजनीति करने का रास्ता भी साफ हो गया। आज कल वे चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। वे अक्सर अपने भाषणों में लोगों से अपील करते हैं कि वे अपने घरों की दीवारों पर 'इंडिया आउट' लिख दें। यानी देश की एक बड़ी राजनीतिक ताकत ने भारत विरोध को अपना सियासी मुद्दा बना रखा है। मुमकिन है कि जनता के स्तर पर 'इंडिया आउट' अभियान उतना बड़ा नहीं हो, जितना खबरों में बताया जाता है। लेकिन इसे हलके से नहीं लिया जा सकता। हकीकत यही है कि मालदीव की मुख्य विपक्षी पार्टी इस अभियान को दूर-दराज के छोटे-छोटे द्वीपों तक भी ले जाने की कोशिश कर रही है। मालदीव भारत के लिए हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकाना है। यह छोटा देश सार्क का भी सदस्य है और खाड़ी देशों से ऊर्जा संसाधनों की सारी सप्लाई इसी के आसपास से होकर गुजरती है। इसलिए अमेरिका और चीन समेत कई पश्चिमी देश मालदीव को खासी अहमियत देते हैं।
नया इण्डिया के सौजन्य से लेख 
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