भारत के लिए बढ़ा खतरा, UN की रिपोर्ट में दावा- अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ले रहे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की मदद से तालिबान के काबिज होने के बाद जो आशंकाएं उभरी थीं
अफगानिस्तान में पाकिस्तान की मदद से तालिबान के काबिज होने के बाद जो आशंकाएं उभरी थीं, वे सही साबित होती दिख रही हैं। यह जो माना जा रहा था कि न तो तालिबान के रवैये में कोई बदलाव आने वाला है और न ही पाकिस्तान उसका सहयोग-समर्थन करने से बाज आने वाला है, वैसा ही होता हुआ दिख रहा है और इसकी पुष्टि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद पर आई ताजा रिपोर्ट भी कर रही है। इस रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान में पाकिस्तान आधारित जैश और लश्कर सरीखे आतंकी संगठनों को प्रशिक्षण देने का काम जोर-शोर से हो रहा है।
इसका सीधा मतलब है कि भारत के लिए खतरा बढ़ने वाला है। इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के पास कुछ वैसे हथियार और उपकरण पहुंच गए हैं जो तालिबान ने अफगानिस्तान में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों से हासिल किए थे। साफ है कि इन हथियारों और उपकरणों को कश्मीर में सक्रिय आतंकियों तक पहुंचाने का काम पाकिस्तान के जरिये किया गया।
भले ही पाकिस्तान में सत्ता बदल गई हो, लेकिन इसके कहीं कोई संकेत नहीं कि भारत के प्रति उसके रवैये में कोई बदलाव आया है। इसका प्रमाण पाकिस्तान से कश्मीर में होने वाली आतंकियों की घुसपैठ से भी मिलता है और घाटी में कश्मीरी हिंदुओं के साथ दूसरे प्रांतों के लोगों को खास तौर पर निशाना बनाने की बढ़ती घटनाओं से भी। चूंकि इस पर प्रभावी लगाम लगती नहीं दिख रही है, इसलिए इस नतीजे पर पहुंचने के अलावा और कोई उपाय नहीं कि पाकिस्तान में आतंकियों के दुस्साहस का दमन नहीं हो पा रहा है।
पाकिस्तान जिस तरह भारत के लिए खतरा बने आतंकी संगठनों को पोषित करने में लगा है, उस पर भारत को गंभीरता से ध्यान देना होगा। इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि हाल में जापान में क्वाड देशों के सम्मेलन में आतंकी संगठनों को पाकिस्तान की ओर से मिल रहे सहयोग-समर्थन का उल्लेख किया गया और पिछले दिनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने ताजिकिस्तान में क्षेत्रीय देशों के एक सम्मेलन में आतंकवाद मुक्त अफगानिस्तान की वकालत की, क्योंकि न तो तालिबान सुधरने के लिए तैयार दिख रहा है और न ही पाकिस्तान।
यह ठीक है कि विश्व समुदाय आतंकी फंडिंग जारी रहने को लेकर अपनी चिंता बार-बार व्यक्त कर रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि उस पर लगाम लगती नहीं दिखती। यह लगाम तब तक लगने वाली भी नहीं जब तक पाकिस्तान को दंडित करने से बचा जाता रहेगा। यह ठीक नहीं कि आतंकवाद को पालने-पोसने में जुटे पाकिस्तान के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय