लोगों के अच्छे काम चुन-चुनकर याद रखेंगे तो बुरे काम अपने आप भूलते जाएंगे
यह एक-दूसरे को कोसने और नीचा दिखाने का समय चल रहा है
पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:
यह एक-दूसरे को कोसने और नीचा दिखाने का समय चल रहा है। खासकर सार्वजनिक प्लेटफार्म पर अब निंदा करते समय कई लोग मर्यादा भूल जाते हैं। मनुष्य एक-दूसरे की निंदा, आलोचना करता क्यों है? अपने भीतर का कौन-सा तत्व उसे ऐसा करने को मजबूर करता है? आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो वह है अहंकार। मनोवैज्ञानिक कहते हैं अहंकार से निपटना हो तो बैलेंस्ड ब्रेन और सेंसिटिव ब्रेन इन दोनों पर काम करना चाहिए।
जिन लोगों के दिमाग के सभी हिस्सों में बराबर खून पहुंचता हो, वे चुनौतियों को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं और अहंकार रहित होकर अपने काम के प्रति केंद्रित रहते हैं तथा किए हुए का बहुत अधिक दिखावा नहीं करते। इसी तरह सेंसिटिव ब्रेन वाले लोग हर व्यक्ति और परिस्थिति के प्रति संवेदनशील होते हैं। उनका इमोशनल सेंटर बहुत विकसित होता है।
इन दोनों को चोट पहुंचाने या आहत करने का काम ही अहंकार करता है। जो लगातार प्राणायाम करेंगे उनके बैलेंस्ड ब्रेन और सेंसिटिव ब्रेन में प्राणवायु पहुंचकर उसे स्वस्थ बनाएगी और वे पाएंगे कि स्वत: निरहंकारी होते जा रहे हैं। तो चौबीस घंटे में कुछ समय योग के लिए भी निकालिए। फिर देखिए, लोगों के अच्छे काम चुन-चुनकर याद रखेंगे, बुरे काम अपने आप भूलते जाएंगे।