मैं मोहम्मद जुबैर हूं
तथ्यों की जांच करना गंभीर काम होता है। इसमें निष्पक्ष समझ, व्यापक अध्ययन, गहन शोध और अकादमिक साख की जरूरत होती है। तथ्यों की जांच-परख का काम उफनते पानी में से मछलियां निकालने या जायज गलतियों का लाभ ले लेने जैसा नहीं होता।
पी. चिदंबरम: तथ्यों की जांच करना गंभीर काम होता है। इसमें निष्पक्ष समझ, व्यापक अध्ययन, गहन शोध और अकादमिक साख की जरूरत होती है। तथ्यों की जांच-परख का काम उफनते पानी में से मछलियां निकालने या जायज गलतियों का लाभ ले लेने जैसा नहीं होता। तथ्यों की जांच करना जुएं निकालने जैसा काम भी नहीं है। इसके प्रकाशन के लिए किसी को भी पैसा मिलना चाहिए। तथ्यों को जांचना कोई इंस्पैक्टर का काम भी नहीं है, यह पत्थरों में से हीरे निकालने और पत्थरों को पहचान देने जैसा काम है।
मेरे सामने दो आकर्षक पुस्तिकाएं और कई परचे रखे हैं, जिनका शीर्षक है- "एट इयर्स: सेवा, सुशासन, गरीब कल्याण"। भारत सरकार ने 2014 से अब तक की अपनी आठ साल की उपलब्धियों वाली चिकने कागजों की ये पुस्तिकाएं जारी की हैं।
कोई भी सरकार जो पर्याप्त अवधि तक सत्ता में रहती है और जनता का पैसा खर्च करती है, उसके खाते में कुछ तो उपलब्धियां होंगी। उदाहरण के लिए, मेरा लंबे समय से मानना रहा है कि अगर कोई सरकार जान-बूझ कर नुकसान नहीं करती, तो भारत की जीडीपी पांच फीसद सालाना की दर से इसलिए बढ़ेगी, क्योंकि कृषि निजि क्षेत्र में है, ढेरों सेवाएं निजी क्षेत्र में हैं और विनिर्माण क्षेत्र का भी अच्छा-खासा हिस्सा निजी क्षेत्र में है। जो सरकार कम काम करती है या कुछ नहीं करती, वह नुकसान थोड़ा ही कर सकेगी। यह सिर्फ तभी होता है जब कोई सरकार सक्रिय रूप से नुकसान पहुंचाती है जैसे नोटबंदी, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचाया।