भारत में पकड़ी गई करोड़ों की हेरोइन, तालिबान पुरानी हरकतों से नहीं आने वाला बाज

गुजरात के कच्छ में मुंद्रा बंदरगाह पर अफगानिस्तान से आई हेरोइन की करीब 3000 किलोग्राम की खेप पकड़ा जाना हर लिहाज से चिंताजनक है।

Update: 2021-09-23 03:49 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| तिलकराज । गुजरात के कच्छ में मुंद्रा बंदरगाह पर अफगानिस्तान से आई हेरोइन की करीब 3000 किलोग्राम की खेप पकड़ा जाना हर लिहाज से चिंताजनक है। हैरानी की बात यह है कि इसे टेल्कम पाउडर बताकर आयात किया गया था। इससे यही पता चलता है कि देश में नशीले पदार्थों की तस्करी कितना आसान काम है। मुंद्रा बंदरगाह पर हेरोइन की एक बड़ी खेप जिस तरह तालिबान के अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद बरामद की गई उससे यही स्पष्ट होता है कि यह आतंकी समूह अपनी पुरानी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है।

अफगानिस्तान में दुनिया की करीब 85 प्रतिशत अफीम होती है और तालिबान इसी की खेती के बल पर फलता-फूलता रहा है। अफीम और उससे बने अन्य मादक पदार्थों के कारोबार में तालिबान की मदद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ किस तरह करती रही है, यह किसी से छिपा नहीं। लगता है कि आइएसआइ ने तालिबान के अफगानिस्तान पर काबिज होने के बाद अपना पुराना धंधा फिर से शुरू कर दिया है। इस पर आश्चर्य नहीं कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को मुंद्रा बंदरगाह पर लाई गई हेरोइन की खेप के पीछे आइएसआइ का हाथ नजर आ रहा है।

इससे संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता कि अफगानिस्तान से मंगाई गई हेरोइन की एक बड़ी खेप पकड़ी गई, क्योंकि तमाम ऐसी खेप रही होंगी, जो सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में ही न आई होंगी। वैसे भी यह जगजाहिर है कि देश के अन्य राज्यों से भी नशीले पदार्थो की तस्करी होती है। शायद ही कोई सीमांत राज्य ऐसा होगा, जहां से नशीले पदार्थ चोरी छिपे देश में न लाए जाते हों। ऐसे राज्यों में पंजाब प्रमुख है।

पंजाब में पाकिस्तान से नशीले पदार्थों की खेप आती ही रहती है। जब अमरिंदर सिंह पंजाब की सत्ता में आए थे, तो उन्होंने पाकिस्तान से होने वाली नशीले पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाने का वादा किया था, लेकिन साढ़े चार साल बीत गए और स्थितियां जस की तस रहीं। इसी कारण नवजोत सिंह सिद्धू समेत अन्य नेता उन पर यह आरोप लगाते रहे कि उन्होंने ड्रग्स माफिया के खिलाफ कुछ नहीं किया। देखना होगा कि अब पंजाब में हालात बदलते हैं या नहीं?

वैसे समस्या केवल पंजाब की ही नहीं है। देश के अन्य राज्यों में भी युवा पीढ़ी को बर्बाद करने वाला यह काला कारोबार फल-फूल रहा है। यह जम्मू कश्मीर से लेकर पूवरेत्तर के राज्यों तक फैला हुआ है। असम के मुख्यमंत्री का मानना है कि मणिपुर और मिजोरम के रास्ते उनके राज्य में नशीले पदार्थ लाए जाते हैं। चूंकि नशीले पदार्थों का कारोबार माफिया तत्वों द्वारा देश विरोधी ताकतों के साथ मिलकर किया जाता है इसलिए सुरक्षा एजेंसियों और विशेष रूप से सीमा की रक्षा करने वाली एजेंसियों को और अधिक सजगता बरतने की आवश्यकता है।

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