Gujrat politics: गुजरात में बदलाव, आखिर अचानक ऐसा क्यों हुआ ? जानिए सबकुछ

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का त्यागपत्र इसलिए अप्रत्याशित है

Update: 2021-09-12 03:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क|  संजीव  तिवारी|  गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का त्यागपत्र इसलिए अप्रत्याशित है, क्योंकि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कहीं कोई व्यापक चर्चा नहीं थी। स्पष्ट है कि आम जनता ही नहीं, भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए भी यह समझना कठिन होगा कि आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि विजय रूपाणी को इस्तीफा देने के लिए विवश होना पड़ा? यह सवाल इसलिए और भी सिर उठाए हुए है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में करीब 15 महीने की ही देर है।

नए मुख्यमंत्री के लिए इतने कम समय में सब कुछ अपने अनुकूल कर पाना आसान नहीं होगा। इसका लाभ विपक्ष उठा सकता है। वैसे भी जब चुनाव से कुछ समय पहले किसी राज्य में मुख्यमंत्री को बदला जाता है तो विपक्ष को यही संदेश जाता है कि मौजूदा मुख्यमंत्री के नेतृत्व में चुनावी जीत हासिल करना कठिन था। क्या गुजरात में ऐसा ही कुछ था? पता नहीं विजय रूपाणी की विदाई किन कारणों से हुई, लेकिन माना यही जाएगा कि भाजपा उनके मुख्यमंत्री रहते फिर से सत्ता में लौटने की संभावनाएं नहीं देख रही थी। अच्छा होता कि भाजपा नेतृत्व गुजरात के बारे में समय रहते आकलन करता।

ऐसा लगता है कि इसमें चूक हो रही है, क्योंकि गुजरात से पहले भाजपा ने उत्तराखंड और कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री बदले थे। उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन का कारण यह बताया गया था कि मुख्यमंत्री का विधानसभा सदस्य बनना मुश्किल था, लेकिन यह कोई ऐसा कारण नहीं था, जिससे भाजपा नेतृत्व अवगत न हो। यह तो सामान्य सी बात थी कि सांसद से मुख्यमंत्री बने तीरथ सिंह रावत को छह माह के अंदर विधानसभा का सदस्य बनना होगा।

जहां तक कर्नाटक की बात है तो वहां भी नेतृत्व परिवर्तन का कारण कोई बहुत अधिक स्पष्ट नहीं था। गुजरात में भी ऐसा ही है। भले ही विजय रूपाणी ने इस्तीफा देने के बाद यह कहा हो कि भाजपा में यह परंपरा रही है कि कार्यकर्ताओं के दायित्व बदलते रहते हैं, लेकिन इसकी कोई वजह तो होनी ही चाहिए। कहीं असली वजह यह तो नहीं कि विजय रूपाणी गुजरात के जातीय समीकरणों को साधने में कामयाब होते नहीं दिख रहे थे? इसके साथ ही एक कारण यह भी गिनाया जा रहा है कि उनकी राज्य भाजपा अध्यक्ष से नहीं बन रही थी।

यदि वाकई ऐसा कुछ था तो फिर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व क्या कर रहा था? क्या वह बीच-बचाव करने में समर्थ नहीं था? जो भी हो, कम से कम नए मुख्यमंत्री का चयन ठोक-बजाकर किया जाना चाहिए। बेहतर यह होगा कि जिस नेता को अधिसंख्य विधायकों का समर्थन वास्तव में हासिल हो, उसे ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। इसके साथ ही उसकी छवि और कार्यशैली भी देखी जानी चाहिए।

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