बढ़ती चिंता
देश में कोरोना संक्रमण का रोजाना का आंकड़ा दो लाख के करीब पहुंचने को है। संक्रमण के प्रसार की बढ़ती रफ्तार बता रही है कि हम बड़े खतरे की ओर बढ़ रहे हैं। पर अब ज्यादा बड़ा संकट यह खड़ा हो गया है
देश में कोरोना संक्रमण का रोजाना का आंकड़ा दो लाख के करीब पहुंचने को है। संक्रमण के प्रसार की बढ़ती रफ्तार बता रही है कि हम बड़े खतरे की ओर बढ़ रहे हैं। पर अब ज्यादा बड़ा संकट यह खड़ा हो गया है कि कार्यस्थलों पर सामूहिक संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। दिल्ली पुलिस में एक हजार कर्मियों के संक्रमित होने की खबर है। पुणे में भी पिछले कुछ दिनों में ढाई सौ से ज्यादा पुलिस जवान संक्रमित मिले। सुप्रीम कोर्ट में चार जजों सहित डेढ़ सौ कर्मचारी संक्रमित हो गए। उधर, संसद के चार सौ कर्मचारियों में संक्रमण फैल जाने से चिंता और बढ़ गई।
जेलों में कैदियों और कर्मचारियों में संक्रमण की खबरें हैं। स्कूलों, कालेजों और छात्रावासों में बड़ी संख्या में एक साथ कोरोना फैलना बता रहा है कि हालात अब बेकाबू होते जा रहे हैं। संक्रमण के ज्यादातर मामले उन जगहों से ही आ रहे हैं जहां लोगों की आवाजाही ज्यादा है और लोग एक दूसरे के संपर्क में आ रहे हैं। ऐसे में यह डर पैदा होना लाजिमी है कि अगर यही हालात बने रहे तो कहीं शासन-प्रशासन का कामकाज बाधित न होने लगे। इसका बड़ा कारण यह भी है कि जो लोग संक्रमित हो गए हैं, उन्हें ठीक होने में कितना वक्त लगेगा, कोई नहीं जानता। फिर उनके संपर्क में आने वाले और लोगों में तो संक्रमण नहीं फैला होगा, यह जांच के बाद ही साफ होगा।
पुलिस, अदालतें या दूसरे सरकारी महकमों में संक्रमण के मामले चिंता का विषय इसलिए हैं कि इन जगहों पर कामकाज बाधित होने से और दूसरे संकट खड़े हो सकते हैं। पुलिस का काम तो सीधे-सीधे जनता से जुड़ा है। अब तो उस पर कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी के साथ कोरोना के हालात संभालने की भी है। कर्मचारियों में संक्रमण से अगर अदालती कामकाज भी बाधित होने लगे तो यह चिंता की बात होगी। बड़ी संख्या में संसद के कर्मचारियों को संक्रमण हो जाने से यह आंशका भी खड़ी हो सकती है कि बजट सत्र का काम कैसे चलेगा। जाहिर है, समस्या कम गंभीर नहीं है।
हालांकि इन जगहों पर मामले मिलने के बाद बाकी कर्मचारियों की जांच करवाने और आधे कर्मचारियों को घर से काम करवाने जैसे कदम उठाए गए हैं। पर अब जिस तरह के हालात बनते जा रहे हैं, उससे तो लगता है कि कर्मचारियों की नियमित जांच जरूरी हो गई है। एक ही जगह जांच में अगर सामूहिक रूप से संक्रमण के मरीज मिल रहे हैं, तो इसका मतलब यही है कि अब तक लोग जांच से बचते रहे। इसलिए किसी को पता ही नहीं चल पाया कि कहां से संक्रमण फैला।
संक्रमण से बचाव के लिए कोरोना व्यवहार के उपायों जैसे मास्क लगाने, सुरक्षित दूरी रखने और बार-बार हाथ धोने के अलावा सबसे ज्यादा जोर टीकाकरण पर रहा है। हालांकि सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए टीकाकरण को अनिवार्य बनाया भी। लेकिन ऐसे कर्मचारी अभी कम नहीं हैं जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है। कई राज्यों में यह स्थिति काफी खराब है।
इसलिए तीसरी लहर के हालात को देखते हुए सरकारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे हर कर्मचारी के लिए टीकाकरण अनिवार्य करें, खासतौर से पुलिस बल और उनके परिवारों को। दफ्तरों में मास्क और सुरक्षित दूरी के पालन को लेकर सख्ती हो। कर्मचारियों की नियमित जांच हो। संक्रमितों के संपर्क में आने वालों का पता लगाया जाए। हालांकि यह कवायद तभी संभव और कारगर होगी, जब लोग भी इसे अपनी जिम्मेदारी समझेंगे।