पर्यावरण की महान चिंता

Update: 2023-05-20 18:52 GMT
 
गुलदस्ते, प्रतियोगिताएं, रैलियां, भाषण, वृक्षारोपण, पुरस्कार, सेल्फियां, ख़बरें और दूसरे उपायों में भी शामिल हुए। उन्होंने सार्वजनिक स्तर पर यही कहा कि पर्यावरण रक्षा की हर दिशा में विकास हुआ है, लेकिन उन्हें भी पता था कि हुआ क्या है और क्या नहीं हुआ। चुनाव में पर्यावरण मुद्दा नहीं होता, लेकिन इस बार की चिंता में उनकी पवित्र आत्मा भी शामिल थी, इसलिए अब उन्हें नए ढंग से पर्यावरण की चिंता करनी थी। पर्यावरण का संजीदा फायदा हो, इसलिए उन्होंने निश्चय लिया कि वे अपनी जीवन शैली ही बदल डालेंगे। कल से रोज़ ज़मीन पर बिछाई दरी पर बैठकर कुछ मिनट तक आंखें वाकई बंद कर चिंतन करेंगे। आज तक उन्होंने कोई भी कार्य ध्यान से नहीं किया, लेकिन अब रोज़ ध्यान लगाया करेंगे ताकि उनके विचार शुद्ध हों, उनमें आत्मिक शक्ति बढ़े। यह शुभ कार्य घर में नहीं हो पाएगा, यह मानकर उन्होंने निर्णय लिया कि पड़ोस के पार्क में करेंगे, वही पार्क जिसे एक बार बनाने के बाद बिल्कुल भुला दिया गया। उन्होंने अगला संकल्प लिया कि अपना पहनावा भी बदल देंगे और रोज़ नीला या हरा रंग ही पहना करेंगे। हर रविवार को सिर्फ सफेद वस्त्र ही धारण करेंगे ताकि शांति स्थापित रहे और उनके व्यक्तित्व से शांति का ही सम्प्रेषण हो।
पर्यावरण सुधारने के लिए जो भी सोचेंगे, लकड़ी की पुरानी, आरामदायक कुर्सी पर बैठकर भी सोचेंगे और संकल्प लिया कि कुर्सी पर विराजने के बाद कभी आंख मींच कर सोच-विचार नहीं करेंगे, बल्कि पूरी आंखें खोलकर ही सोचेंगे। गहन विचार के लिए ठोडी के नीचे बार-बार उंगलियां चिपकाकर सोचा करेंगे। सिर पर हाथ रखकर कभी न सोचेंगे क्योंकि इससे गलत संदेश स्वत: ही प्रेषित हो जाता है कि बंदा परेशान है। उन्होंने जीन्स पहनकर काफी मंथन किया और करवाया भी, लेकिन बात नहीं बनी। इस बार फिर से बढिय़ा ब्रांड की नीले रंग की नेकर पहनकर, सफेद रंग की टी-शर्ट जिस पर एक चिडिय़ा की तस्वीर और ‘लव नेचर’ भी छपा था, कई बार पहनी। हरे रंग की कैप लगाकर भाषण सुने और दिए और हाथ में सफेद दस्ताने पहनकर समाज व प्रशासन के जि़म्मेदार लोगों के साथ दौड़ लगाई। लेकिन अगली ही सुबह फिर लगने लगा कि कुछ ठोस नहीं हुआ।
दिमाग फिर कहने लगा कि कुछ और सोचो। फिर एक दिन प्लास्टिक का सामान निजी तौर पर घर से बाहर करने के लिए लिस्ट बनाई, लेकिन इतने सालों से व्यावहारिक उपयोगिता व पत्नी की डांट के कारण लिस्ट फाडऩी पड़ी। पत्नी ने कहा मैं प्लास्टिक का सारा सामान जोकि मुझे बहुत प्रिय है, घर से बाहर करने के लिए तैयार हूं ताकि पर्यावरण जल्दी सुधर जाए, लेकिन घर का वातावरण ठीक रखने के लिए पहले यह बताइए कि पीतल का नया सामान लाने के लिए बजट कहां से आएगा, फिलहाल कल मेरे साथ मॉल चलें ताकि शौपिंग हो सके। काफी सामान खरीदना है। यह बात कल रात सोते समय हुई थी। उन्होंने सोमवार सुबह से योग का सहारा लेने का निश्चय किया। अपनी सेहत को ठीक रखने के लिए हल्के-फुल्के व्यायाम करने के बाद, रोजाना शवासन करने का निर्णय लिया ताकि पहले अपना और घर का स्वास्थ्य ठीक रहे और जीवन में शांति रहे। बदली हुई परिस्थितियों के कारण पर्यावरण सुधार के लिए उनका महत्वपूर्ण निर्णय फिर से स्थगित हो गया।
प्रभात कुमार
स्वतंत्र लेखक
By: divyahimachal

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