अलविदा जनरल, पूरा देश दे रहा सीडीएस रावत को श्रद्धांजलि
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की बुधवार को एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुई असामयिक मौत ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की बुधवार को एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुई असामयिक मौत ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। उनकी अगुआई में सेना एक साथ दो सरहदों पर तनाव से उपजी असाधारण चुनौतियों का बड़ी कुशलता से सामना कर रही थी। देश के पहले सीडीएस के रूप में उन्होंने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण और एकीकरण (थिएटराइजेशन) की भी प्रक्रिया शुरू करवाई। हालांकि ये दोनों कार्य आसान नहीं थे, इनमें कई सारी जटिलताएं थीं। इसलिए ये प्रक्रिया तेजी से नहीं आगे बढ़ पा रही थी, लेकिन अपनी प्रकृति के अनुरूप जनरल रावत एक-एक कर के सभी मुश्किलें दूर करने में लगे हुए थे।
उन्होंने ठान रखा था कि बतौर सीडीएस कार्यकाल पूरा होने तक इन दोनों प्रक्रियाओं को एक मुकाम तक जरूर पहुंचा देंगे। जनरल रावत अप्रिय होने का जोखिम उठाकर भी कड़े फैसले लेने के लिए जाने जाते थे। वह खुलकर अपनी बात रखने में यकीन रखते थे। इस वजह से उनके कुछ बयानों को लेकर जब-तब विवाद भी होते रहे। उदाहरण के लिए सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान दिए गए उनके बयान को न केवल अनावश्यक बल्कि उनके कार्यक्षेत्र का उल्लंघन भी बताया गया। ऐसे ही जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की लिंचिंग को सही ठहराने वाले उनके बयान से भी सहमति नहीं जताई जा सकती। वायु सेना को आर्मी की एक सहायक शाखा बताने वाला उनका बयान भी सैन्य हलकों में बेवजह असंतोष पैदा करने वाला माना गया।
इन सबके बावजूद जनरल बिपिन रावत अपनी रणनीतिक क्षमता, अपने विजन और व्यापक अनुभव की बदौलत कठिन चुनौतियों के बीच सेना का सफलतापूर्वक मार्गदर्शन करते रहे। उन्हें नॉर्थन और ईस्टर्न दोनों कमांड में काम करने का अनुभव था। इसके अलावा वह सदर्न कमांड का भी नेतृत्व कर चुके थे। वह जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट दोनों जगहों पर काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस का हिस्सा रहे थे और 1987 में सुमदोरॉन्गचू में पीपल्स लिबरेशन आर्मी से हुई झड़प के दौरान उनकी बटालियन अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर तैनात थी। ऐसे साहसी, अनुभव संपन्न और दूरदर्शितापूर्ण जनरल का एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में इस तरह चला जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
हालांकि कुछ हलकों से साजिश की आशंका भी व्यक्त की गई है, लेकिन ऐसे संवेदनशील मामलों में किसी भी तरह की कयासबाजी से बचा जाना चाहिए। हां किसी तरह के संदेह के लिए गुंजाइश भी नहीं छोड़ी जानी चाहिए। दुर्घटना के हालात की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटनास्थल से ब्लैकबॉक्स और वॉयस रिकॉर्डर भी बरामद हो चुके हैं। इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि जांच में इस मामले का पूरा सच सामने आ जाएगा और ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम यथाशीघ्र उठाए जाएंगे। फिलहाल पहली जरूरत जनरल बिपिन रावत की जगह किसी अन्य काबिल ऑफिसर को सीडीएस पद पर नियुक्त करने की है ताकि सेना का यह सर्वोच्च पद अधिक समय तक खाली न रहे। अच्छी बात है कि यह प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।