सुशासन ही देश की मांग
चुनावी रण चला तो सभी दल अपनी-अपनी उपस्थिति खुशियों के साथ दर्ज कराने मैदाने जंग में उतर पड़े
चुनावी रण चला तो सभी दल अपनी-अपनी उपस्थिति खुशियों के साथ दर्ज कराने मैदाने जंग में उतर पड़े. एकदूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते, अपनी उपलब्धियां गिनाते व दूसरों के कार्यों को निम्न दर्शाते सभी ताल ठोकने लगे. चुनावी दावों के पेंच लगाने लगे. एकदूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर ना छोड़ते हुए चुनावी प्रक्रिया पूरी हो गई. पांच राज्यों में 4 में जीत भाजपा के पक्ष में आई. कहते हैं कर्म हमारी धरोहर हैं और धरोहर तो हमेशा संभाल कर रखी जाती है. यहां भी भाजपा ने कर्मों के जो बीज बोये थे, उनकी फसल लहलहाने का वक्त आ गया.
जिस कार्य प्रणाली से मोदी और योगी ने दिन-रात अपना स्वार्थ ना देखकर जनहित में कार्य किया वह काफी सराहनीय है, विकास के रास्ते पर सभी को समान भाव से हर सम्भव सहायता दी, कभी किसी जाति, धर्म का भाव मन में ना लेकर हर गरीब को खाना, घर देने की यथासम्भव कोशिश की, हर व्यक्ति तक गैस चूल्हा, बिजली, पानी, स्वास्थ्य की सुविधाएं पहुंचायी, हर धर्म व जाति की महिलाओं के शोषण के खिलाफ आवाज उठाई, उनके हित में कानून बनाए, हर वर्ग को राहत दी, किन्तु उनके कार्यों की सराहना करने के बदले आक्षेप ही लगे, उन पर हिन्दुत्व की राजनीति करने के आरोप लगाए गये, अपने धर्म का सभी सम्मान करते हैं, भाजपा ने भी यही किया, लेकिन अन्य धर्मों और सम्प्रदाय के लोगों की कभी उपेक्षा नहीं की, जनहित, देशहित में जितना कर सकते थे किया.
योगी और मोदी की छत्रछाया में देश की जनता ने जीवन के कई क्षेत्रों में राहत की सांसें ली, कर्म को श्रेष्ठ मानते हुए उन्होंने कभी आराम को प्रमुखता नहीं दी, लोगों को जुझारू बनाया और काम के प्रति समर्पित होना सिखाया, विगत कुछ सालों में लोगों की जीवन शैली कोरोना के कारण काफी बदल गयी है, हर घर के हितैषी बनकर, उनके हमदर्द होकर एक श्रेष्ठ पथ-प्रदर्शक के रूप में भाजपा सरकार ने जिस सूझ-बूझ से सबका साथ दिया वह प्रशंसनीय है, हर दिल में अपना स्थान बनाया, गरीबों को खाने की कमी नहीं रही, जीने के लिए जो भी जरूरतें हैं वे सभी पूरी होती रहीं, हर व्यक्ति को कोरोना का इलाज मिला, वैक्सीन मुफ्त मिली.
व्यवस्था का ऐसा सामंजस्य किसी और के शासन में मिलना असंभव था, भारत जैसे विशाल देश की सुव्यवस्था को दुनिया ने सराहा, हमारे प्रधानमंत्री को सबका सम्मान मिला, किन्तु अपने ही देश में विपक्षियों के द्वारा उनमें बुराइयां ही नजर आयीं, जनता ने उनमें विश्वास दिखाया और साबित कर दिया कि उनके लिए सरकार ने जो किया उसकी अनिवार्यता उन्हें भाजपा सरकार लाकर सिद्ध करनी है, विपक्षियों ने छींटाकशी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन योगी की देश के लिए जी-जान से की गयी सेवा आखिर रंग ले ही आयी, तन पर सादगी के वस्त्र धारण करने वाले, चकाचैंध से दूर, देश को मुसीबतों से बचाते हुए वे भारतवासियों के लिए कुछ करना चाहते हैं, स्वयं के लिए नहीं देश के लिए जीना चाहते हैं, उन्होने लोगों के दिल में जगह बनायी, अच्छे प्रशासक के रूप में वे जनता की आकांक्षाओं पर खरे उतरे हैं, आज तक इतना संगीत का रस बरसाकर किसी के लिए चुनाव में गीत नहीं बने जितने भाजपा सरकार के लिए गाए गये हैं.
सत्ता मिल जाने पर सब अपने घर परिवार की सोचते हैं, जनता के हितों की अनदेखी करते हैं पर इस सच्चे सन्त ने अपना हित कभी नहीं साधा, कोई प्रलोभन, आकर्षण उन्हें उनके कर्मपथ से विचलित नहीं कर पाया, योगी ने परिवारवाद के मिथक को तोडा, सन्त होते हुए भी उन्होंने कभी किसी का तिरस्कार ना करते हुए कटु व निष्पक्ष निर्णय लेकर समाज के हित में कार्य किये, कड़वी दवाई असरदार होती है ऐसे ही उन्होंने जो कटु वाक्य जनहित में बोले हैं वे असरदार हैं, निर्भय होकर शासन करने की कला उनमें बखूबी है, आंखें बन्द करके भी उनके सेवा भाव को देखा जा सकता है, लेकिन विपक्ष ने उन्हें भी भ्रष्टाचारी कहा.
सत्ता पाने के लिए नेता क्या-क्या हथकण्डे नहीं अपनाते, पर देश की जनता सबका न्याय करने में सक्षम है, वह जानती है कि भाजपा राज में मुन्नाभाई वाली कहानी नहीं दोहरायी जाती, वोट लेकर यहां वादों को पूरा किया जाता है, भाजपा शासन में जनता के हित में काम हुए हैं देश मजबूत हुआ है, हमारे देश की सारी दुनिया में शान बढ़ी है देश के प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री गरीबों की तकलीफ जानते हैं, उनके साथ बैठते हैं, खाते हैं, उनके दुःख दर्द में शामिल होते हैं उनका हाल पूछने उनके बीच जाते हैं, दिखावा नहीं करते, धरातल से जुड़े हैं अपनी पृष्ठभूमि ना भूलकर गरीबों की गरीबी से परिचित हैं, दुखियों के दुःख से दुःखी हैं ये जनता के दिलों में निवास करते हैं, भारत की तस्वीर के आइने में इनकी छवि साफ दिखाई देती है, इन्हें तो दिलों पर राज करना ही था, सारे मिलकर भी इन्हें हरा नहीं सके. इन्होंने परिवारवाद की राजनीति करी ही नहीं इनके रिश्तेदार आज भी अपनी पुरानी आजीविका पर ही निर्भर हैं, जनता की निगाहें काफी तेज हैं, अपने भविष्य को सुरक्षित करना वो जानती है तभी तो देश की नींव को मजबूत बनाने के लिए सारे प्रलोभन छोड़कर जनता ने फैसला अपने और देश के लिए किया, भाजपा के कर्मठ व्यक्तियों ने समानता के आधार पर देश की जनता के साथ व्यवहार किया पर कृतघ्न लोगों ने उन्हें नहीं पहचाना और दूरदर्शी लोगों ने सत्ता पर बिठा दिया, सबका साथ चाह कर, सबका विश्वास जीतते हुए और सबका विकास करने की ही तो भावना थी और इस भावना का आदर करते हुए जनता ने भाजपा सरकार का स्वागत किया. सरकार से भी उम्मीद की जाती है कि रामराजा रूप में आये और रामराज्य जैसी कार्यप्रणाली हो, समस्त भारत अयोध्या बनकर चमके, प्रजा जनों को दैविक अनुभूति हो. एक बार फिर विश्व पटल पर भारत का गुणगान हो.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
रेखा गर्ग लेखक
समसामयिक विषयों पर लेखन. शिक्षा, साहित्य और सामाजिक मामलों में खास दिलचस्पी. कविता-कहानियां भी लिखती हैं.