हाफिज सईद पर नौटंकी

पाकिस्तान की जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को 10 साल की जेल की सजा हो गई है।

Update: 2020-11-21 16:12 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान की जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को 10 साल की जेल की सजा हो गई है। वह पहले से ही लाहौर में 11 साल की जेल काट रहा है। अब ये दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। ये सजाएं पाकिस्तान की ही अदालतों ने दी हैं। क्यों दी हैं? क्योंकि पेरिस के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कोश संगठन ने पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद कर रखा है। उसने पाकिस्तान का नाम अपनी भूरी सूची में डाल रखा है, क्योंकि उसने सईद जैसे आतंकवादियों को अभी तक छुट्टा छोड़ रखा था।

हाफिज सईद की गिरफ्तारी पर अमेरिका ने लगभग 75 करोड़ रु. का इनाम 2008 में घोषित किया था लेकिन वह 10-11 साल तक पाकिस्तान में खुला घूमता रहा। किसी सरकार की हिम्मत नहीं हुई कि वह उसे गिरफ्तार करती। दुनिया के मालदार मुल्कों के आगे पाकिस्तान के नेता भीख का कटोरा फैलाते रहे लेकिन मुफ्त के 75 करोड़ रु. लेना उन्होंने ठीक नहीं समझा। क्यों

नहीं समझा ? इसीलिए कि हाफिज सईद तो उन्हीं का खड़ा किया गया पुतला था। जब मेरे-जैसा घनघोर राष्ट्रवादी भारतीय पत्रकार उसके घर में बे-रोक-टोक जा सकता था तो पाकिस्तान की पुलिस क्यों नहीं जा सकती थी? अमेरिका ने जो 75 करोड़ रु. का पुरस्कार रखा था, वह भी किसी ढोंग से कम नहीं था। यदि वह उसामा बिन लादेन को उसके गुप्त ठिकाने में घुसकर मार सकता था तो सईद को पकड़ना उसके लिए कौनसी बड़ी बात थी ? लेकिन सईद तो भारत में आतंक फैला रहा था।

अमेरिका को उससे कोई सीधा खतरा नहीं था। अब जबकि खुद पाकिस्तान की सरकार का हुक्का-पानी खतरे में पड़ा तो देखिए, उसने आनन-फानन सईद को अंदर कर दिया। सईद की यह गिरफ्तारी भी दुनिया को एक ढोंग ही मालूम पड़ रही है। सईद और उसके साथी जेल में जरुर रहेंगे लेकिन इमरान-सरकार के दामाद की तरह रहेंगे। अब उनके खाने-पीने, दवा-दारु और आने-जाने का खर्चा भी पाकिस्तान सरकार ही उठाएगी। उन्हें राजनीतिक कैदियों की सारी सुविधाएं मिलेंगी।

भारत में आतंकवाद फैलाकर इन तथाकथित जिहादियों ने, पाकिस्तानी फौज और सरकार की जो सेवा की है, उसका पारितोषिक अब उन्हें जेल में मिलेगा। ज्यों ही पाकिस्तान भूरी से सफेद सूची में आया कि ये आतंकवादी रिहा हो जाएंगे। पाकिस्तानी आतंकवादियों के कारण पाकिस्तान सारी दुनिया में 'नापाकिस्तान' बन गया है और भारत और अफगानिस्तान से ज्यादा निर्दोष मुसलमान पाकिस्तान में मारे गए हैं।

पाकिस्तान यदि जिन्ना के सपनों को साकार करना चाहता है और शांतिसंपन्न राष्ट्र बनना चाहता है तो उसे इन गिरफ्तारियों की नौटंकी से आगे निकलकर आतंकवाद की नीति का ही परित्याग करना चाहिए।

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