उम्मीद से बेहतर जीडीपी

ऐसे में उच्च पूंजीगत व्यय से मांग में बढ़ोतरी होगी और निजी क्षेत्र को भी निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा

Update: 2021-09-06 10:33 GMT

डा. जयंतीलाल भंडारी।

ऐसे में उच्च पूंजीगत व्यय से मांग में बढ़ोतरी होगी और निजी क्षेत्र को भी निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे में लगातार उच्च निवेश के जरिए उच्च स्थायी वृद्धि हासिल करने की नई संभावनाएं बढ़ेंगी। हम उम्मीद करें कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जो ऐतिहासिक वृद्धि दर मिली है, उसे आगे भी बढ़ाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। सरकार के द्वारा चालू वित्त वर्ष के बजट के अलावा अधिक पूंजीगत व्यय के साथ निजी निवेश को प्रोत्साहन दिए जाएंगे…
31 अगस्त को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 20.1 फीसदी की विकास दर बताई है। देश के इतिहास में पहली बार विकास दर में 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की समान तिमाही में जीडीपी में 25.4 फीसदी की गिरावट आई थी। गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 49.6 फीसदी उछाल आई है। निर्माण गतिविधियों में 68.3 फीसदी की शानदार वृद्धि हुई है। व्यापार, होटल, परिवहन क्षेत्र में 34.3 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई है, जबकि वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में पहली तिमाही के दौरान 3.7 फीसदी की वृद्घि देखी गई है। कृषि और संबंधित गतिविधियों में पहली तिमाही में 4.5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। निश्चित रूप से जीडीपी के आंकड़े अर्थव्यवस्था में तेज सुधार के संकेत देते हैं। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही ही वह अवधि थी जब देश में कोविड-19 महामारी की दूसरी घातक लहर आई और आर्थिक व कारोबारी गतिविधियां ढह गई थीं। लेकिन इस बार देशव्यापी लॉकडाउन नहीं लगा। प्रादेशिक स्तर पर लॉकडाउन जैसे कदम उठाए गए।
साथ ही कई अहम आपूर्ति श्रृंखलाएं लगातार कार्यरत रहीं। ऐसे में भारत ग्रुप-20 देशों में सबसे तेजी से विकास दर बढ़ाने वाला देश बन गया है। भारत की विकास दर अगले साल तक महामारी के पूर्व स्तर पर पहुंच सकती है। चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी को बढ़ाने में तेजी से बढ़ते राजस्व, तेजी से बढ़ती आर्थिक गतिविधियों, मजबूत कृषि विकास दर, रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन, रिकॉर्ड कृषि निर्यात, रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचे विदेशी मुद्रा भंडार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रिकॉर्ड प्रवाह, तेजी से बढ़ते हुए हुए शेयर बाजार आदि की अहम भूमिका है। जीडीपी के चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़ों के अनुसार कोविड-19 की चुनौतियों के बीच आर्थिक अनुकूलताओं से अर्थव्यवस्था में सुधार आने लगा है। अप्रैल से जून 2021 की तिमाही के घटकों से भी आशावाद की किरणें नजर आती हैं। अगस्त 2021 में जीएसटी संग्रह 1.12 लाख करोड़ रुपए रहा है। अर्थव्यवस्था के विभिन्न मूल क्षेत्र मसलन बिजली और विनिर्माण आदि में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिल रही है। वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री और स्टील की खपत से भी प्रगति दिखाई है। निश्चित रूप से देश में कृषि क्षेत्र को उच्च प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाए जाने के लाभ मिले हैं। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पिछले तीन वर्षों में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर लगातार बढ़ी है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक कोरोना की आपदा के बावजूद चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले तीन महीनों में कृषि क्षेत्र का प्रस्तुतीकरण प्रभावपूर्ण रहा है। इससे जीडीपी वृद्धि को सहारा मिला है। देश में बढ़ते हुए विदेशी निवेश के प्रवाह से भी पहली तिमाही की विकास दर बढऩे में मदद मिली है। यद्यपि अप्रैल से जून 2021 की तिमाही में दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में बड़ी गिरावट थी, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों के द्वारा भारत को एफडीआई के लिए प्राथमिकता दी गई । साथ ही भारत का विदेशी मुद्रा कोष बढ़ता गया। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक विगत 20 अगस्त को देश का विदेशी मुद्रा भंडार 616.89 अरब डॉलर की ऐतिहासिक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि शेयर बाजार का भी जीडीपी को बढ़ाने में अहम योगदान है। वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में शेयर बाजार तेजी से बढ़ा है। दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत का शेयर बाजार छलांगे लगाकर आगे बढ़ा है। बाम्बे स्टाक एक्सचेंज (बीएसई) सेंसेक्स 2 सितंबर को 57825 की रिकॉर्ड ऊंचाई पर बंद हुआ है। शेयर बाजार में आईपीओ लेने की होड़ मची हुई है। शेयर बाजार में छोटे निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। देश में डीमैट खातों की संख्या 6.5 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
यद्यपि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। लेकिन अभी चालू वित्त वर्ष की आगामी तिमाहियों में जीडीपी के समक्ष कई चुनौतियां दिखाई दे रही हैं। अभी कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच आर्थिक और औद्योगिक चुनौतियां बनी हुई हैं। ऐसे में चालू वित्त वर्ष में विकास दर को बढ़ाने के और अधिक रणनीतिक प्रयास जरूरी हैं। देश में आशा के अनुरूप मानसून की बारिश नहीं होने के कारण अब खरीफ की फसलों पर अधिक ध्यान देने से कृषि जीडीपी की बढ़त जारी रह सकेगी। इस बात पर भी ध्यान दिया जाना होगा कि इस समय कोरोना टीकाकरण लक्ष्य के अनुरूप ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। निजी खपत और उपभोक्ता विश्वास को बढ़ावा देने के लिए महंगाई में कमी करना जरूरी है। पेट्रोल-डीजल पर टैक्स घटाने पर विचार करना होगा। देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी है कि इसके विशाल उपभोक्ता बाजार में बुनियादी जरूरतों के लिए अधिक खर्च करने की स्थिति निर्मित की जाए। सरकार के द्वारा नई मांग के निर्माण हेतु लोगों की क्रयशक्ति बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ा जाना होगा। यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी दर में अच्छी वृद्धि के बाद अब चालू वित्त वर्ष की अगली तिमाहियों में लगातार जीडीपी बढ़ाने के लिए अर्थव्यवस्था में प्रभावी निवेश बढ़ाने की जरूरत पर ध्यान दिया जाए। देश में सामान्य तौर पर बुनियादी ढांचा क्षमता का इस्तेमाल कम हो रहा है।
देरी से चल रही परियोजनाओं के कारण लागत बढ़ती जा रही है। ऐसे में उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर ध्यान दिया जाना होगा, जो अदालतों या फिर हरित पंचाट के निर्णयों के कारण पिछड़ गई हैं। अर्थव्यवस्था निवेश के स्तर के अनुपात को बढ़ाने की जरूरत है। पूंजी-उत्पादन अनुपात बढ़ाने के लिए जरूरी पूंजी की आवश्यकता पूरी की जानी होगी। इस समय जब कोविड-19 से अर्थव्यवस्था से उबरने में लगी है, तब सरकार के द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ाए जाने होंगे। अप्रैल से अगस्त 2021 के आर्थिक आंकड़े बता रहे हैं कि राजस्व संग्रह बढ़ रहा है, लेकिन पूंजीगत व्यय बढ़ाने की जरूरत है। ऐसे में यह उचित होगा कि सरकार बजट में उल्लिखित राशि से अधिक निवेश करे। ऐसे में उच्च पूंजीगत व्यय से मांग में बढ़ोतरी होगी और निजी क्षेत्र को भी निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे में लगातार उच्च निवेश के जरिए उच्च स्थायी वृद्धि हासिल करने की नई संभावनाएं बढ़ेंगी। हम उम्मीद करें कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जो ऐतिहासिक वृद्धि दर मिली है, उसे आगे भी बढ़ाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे। सरकार के द्वारा चालू वित्त वर्ष के बजट के अलावा अधिक पूंजीगत व्यय के साथ निजी निवेश को प्रोत्साहन दिए जाएंगे। निश्चित रूप से ऐसे प्रयासों से चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में विकास दर वैश्विक अनुमानों के मुताबिक 9 से 10 फीसदी के स्तर पर पहुंचते हुए दिखाई दे सकेगी।
डा. जयंतीलाल भंडारी, विख्यात अर्थशास्त्री
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