गांधी जयंती विशेष: आज के दौर में महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था

Update: 2021-10-01 15:26 GMT

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सत्य और अहिंसा की राह पर चल कर आंदोलन की धार को और पैनी करने वाले महात्मा गांधी किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने स्वतन्त्र भारत के लिए रामराज्य का सपना देखा था। वे कहा करते थे कि नैतिक और सामाजिक उत्थान को ही हमने अहिंसा का नाम दिया है।

गांधीजी को श्रद्धांजलि देने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि पूरी दुनिया ये प्रण ले कि हम किसी भी तरह की हिंसा से परहेज करेंगे। आज दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अहिंसा से बड़ा कोई अस्त्र और शस्त्र नहीं है। अहिंसा के विचारों से ही समानता, मैत्री और भाईचारे को दुनियाभर में स्थापित किया जा सकता है। यह चेतना मानव समाज ने लंबे संघर्ष के बाद हासिल की है। हालांकि दुनियाभर में ये मान लिया गया है कि अहिंसा मानव समाज के लिए बेहतर विकल्प है, अब जरूरी ये है कि इस बात को व्यवहारिक रूप से दुनियाभर में लागू किया जाए।
समय के साथ प्रासंगिक होते बापू के विचार
जैसे-जैसे दुनिया बदल रही है, महात्मा गांधी उतने ही ज्यादा प्रासंगिक होते जा रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत भी गांधीजी के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने के लिए की गई है। गांधीजी के कई सिद्धांत आज भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में प्रासंगिक हैं जैसे एक दूसरे के धर्म को समझना और उसका सम्मान करना, ऐसी आर्थिक नीति बनाना जिससे सभी का विकास हो, और प्रकृति को कम से कम नुकसान पहुंचे और व्यवहार में शिष्टाचार और जनता से जुड़े कार्यों में पारदर्शिता होना। ये सारे सिद्धांत आज सबसे अधिक प्रासंगिक हैं।
दुनियाभर के कई देशों में महात्मा गांधी की प्रतिमाएं लगी हैं। गांधी पर लिखी गई किताबों को कई विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। महान वैज्ञानिक, अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि 'आने वाली पीढ़ियों को यकीन ही नहीं होगा कि गांधीजी जैसे व्यक्ति ने भी कभी धरती पर जन्म लिया था।" तिब्बतियों के बौद्ध धार्मिक गुरु महामहिम दलाई लामा का कहना है कि "महात्मा गांधी का जीवन आदर्श है। मौजूदा विश्व के कई बड़े नेता उनके सिद्धांतों से प्रभावित हैं और अहिंसा की बात करते हैं। अहिंसा और धार्मिक सहिष्णुता भारत के दो खजाने हैं।'
महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। गांधीजी के सामाजिक एवं राजनीतिक विचार, सर्वोदय, सत्याग्रह, खादी, ग्रामोद्योग, महिला शिक्षा, अस्पृश्यता, स्वावलंबन एवं अन्य सामाजिक चेतना के विषय आज के युवाओं के शोध एवं शिक्षण के प्रमुख क्षेत्र हैं। गांधीजी ने हमेशा से युवाओं को वंचित समूहों के उत्थान के लिए प्रेरित किया है। वो व्यक्तिगत घृणा के हमेशा विरोधी रहे हैं। उनका कथन था- 'शैतान से प्यार करते हुए शैतानी से घृणा करनी होगी।' उन्होंने हमेशा युवाओं को आत्मप्रशंसा से बचने को कहा है।
गांधी- मैनेजमेंट गुरु
वर्तमान में युवाओं के लिए गांधीजी मैनेजमेंट गुरु हैं। वे हमेशा आर्थिक मजबूती के पक्षधर रहे हैं। उनकी अर्थव्यवस्था के केंद्रबिंदु गांव थे। उनके अनुसार जब तक गांव के युवाओं को गांव में ही रोजगार नहीं मिलता है, तब तक उनमें असंतोष एवं विक्षोभ रहेगा। ग्रामीण बेरोजगारों का शहर की ओर पलायन, इस समस्या का निराकरण सिर्फ कुटीर उद्योग लगाकर ही किया जा सकता है। अब तक की सारी मानव प्रजाति व्यक्तिगत, सामाजिक, जातीय, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति के लिए प्रयासरत रही है। गांधीजी के अनुसार शांति की प्राप्ति प्रत्येक युवा का भावनात्मक एवं क्रियात्मक लक्ष्य होना चाहिए तभी उसकी ऊर्जा, गतिशीलता एवं उत्साह राष्ट्रीय हित में समर्पित होंगे।
गांधीजी की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था करुणा, प्रेम, नैतिकता, औऱ ईश्वरीय भावना पर आधारित है। उन्होंने नरसेवा को ही नारायण सेवा मानकर गरीबों के उद्धार को अपने जीवन का ध्येय बनाया। वे शोषणमुक्त और परस्पर स्वावलम्बी समाज के पक्षधर थे। उनका मानना था कि शक्तियों के विकेन्द्रीकरण के बिना आम आदमी को सच्चे लोकतन्त्र की अनुभूति नहीं हो सकती है। उनकी ग्राम-स्वराज्य की कल्पना भी राजसत्ता के विकेन्द्रीकरण पर आधारित है। उन्होंने कहा था- "मेरे सपनों का स्वराज्य गरीबों का स्वराज्य होगा। ऐसे राज्य में जाति-धर्म के भेदों का कोई स्थान नहीं हो सकता और ऐसा स्वराज्य सबके कल्याण के लिए होगा जिसे प्राप्त करने का एक निश्चित रास्ता है।
राजनीतिक और आध्यात्मिक नेता
महात्मा गांधी 20वीं शताब्दी के दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक और आध्यात्मिक नेताओं में से एक माने जाते हैं। वे पूरी दुनिया में शांति, प्रेम, अहिंसा, सत्य, ईमानदारी और करुणा तथा इन सब के सफल प्रयोगकर्ता के रूप में याद किये जाते हैं, जिसके बल पर उन्होंने उपनिवेशवादी सरकार के खिलाफ पूरे देश को एकजुट किया औऱ देश को स्वतंत्रता दिलवाई। गांधीजी ने अपने जीवन के सारे अनुभवों का प्रयोग भारत को आजाद कराने में किया। उनका कहना था कि सर्वोच्च आकांक्षाएं रखने वाले किसी व्यक्ति को अपने विकास के लिये जो कुछ चाहिए, वह सब उसे भारत में मिल सकता है।
गांधीजी ने लगभग 32 वर्षों तक आजादी की लड़ाई लड़ी, लेकिन आजाद भारत में वे केवल 168 दिन ही जीवित रह पाए। आज दुनिया के किसी भी देश में जब कोई शांति मार्च निकलता है या अत्याचार व हिंसा का विरोध किया जाता है या हिंसा का जवाब अहिंसा से दिया जाना हो, तो ऐसे सभी अवसरों पर पूरी दुनिया को गांधीजी याद आते हैं। इसीलिए यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं कि गांधीजी के विचार, दर्शन तथा सिद्धांत कल भी प्रासंगिक थे, आज भी हैं तथा आने वाले समय में भी रहेंगे।
अमर उजाला 
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