युवा पीढ़ी के भविष्य की परीक्षा
कोरोना काल में कक्षा 12 के करोड़ों छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा परिणाम का जो फार्मूला सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखा उसे देश की सबसे बड़ी अदालत के न्यायमूर्तियों ने स्वीकार करते हुए हिदायत दी है
आदित्य चोपड़ा | कोरोना काल में कक्षा 12 के करोड़ों छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा परिणाम का जो फार्मूला सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखा उसे देश की सबसे बड़ी अदालत के न्यायमूर्तियों ने स्वीकार करते हुए हिदायत दी है कि प्रत्येक छात्र के साथ न्याय होना चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों में छात्रों की योग्यता के आंकलन का इससे बेहतर फार्मूला संभवतः कोई दूसरा भी नहीं हो सकता था जिसमें उनके स्कूलों की विशेषज्ञ समिति द्वारा ही विद्यार्थियों की योग्यता का आंकलन इस प्रकार हो कि मेधावी से मेधावी और सामान्य से सामान्य छात्रों को किसी प्रकार की शिकायत का मौका न मिले। बोर्ड ने 12वीं का परिणाम निकालने के लिए 30 + 30+ 40 प्रतिशत का आधार तैयार किया है। इसका मतलब यह है कि 30 प्रतिशत अंक दसवीं कक्षा के परिणाम के जुड़ेंगे और तीस प्रतिशत अंक 11वीं की परीक्षा के तथा 40 प्रतिशत अंक 12वीं कक्षा के आन्तरिक इम्तहानों के जुड़ेंगे। अर्थात यदि किसी छात्र के दसवीं की बोर्ड की परीक्षा में 70 प्रतिशत अंक आये हैं तो वे 21 होंगे और 11वीं में यदि उसके 60 प्रतिशत अंक आये हैं तो वे 18 होंगे और 12वीं की आन्तरिक परीक्षाओं में यदि उसका प्रतिशत 80 बैठता है वे 32 होंगे। इस प्रकार उसके कुल अंक 21+18+32 अर्थात 71 प्रतिशत होंगे। यही उसका अंतिम परिणाम होगा। इस मामले में विद्वान न्यायाधीशों ने स्कूल की प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखते हुए निर्देश दिया है कि सभी स्कूलों का पिछले वर्षों का बोर्ड परीक्षाफल भी ध्यान में रखा जायेगा और उसी के अनुसार विद्यार्थियों के परीक्षाफल का आंकलन होगा। परन्तु इस मामले में हमें यह ध्यान रखना होगा कि दसवीं की परीक्षा में उत्तम अंक लाने वाले किसी फिसड्डी स्कूल के छात्र की मेधा के साथ किसी प्रकार का अन्याय न होने पाये। क्योंकि बोर्ड की परीक्षा में स्कूल की श्रेणी नहीं बल्कि छात्र की व्यक्तिगत श्रेणी महत्व रखती है। किसी दोयम दर्जे के समझे जाने वाले विद्यालय का भी कोई छात्र अत्यन्त मेधावी व प्रतिभावान हो सकता है अतः हमें इस मोर्चे पर भी सामंजस्य बैठाते हुए चलना होगा। हर विद्यालय में एक पांच सदस्यीय निर्णायक या विशेषज्ञ मंडल होगा जो छात्रों की प्रतिभा का आंकलन करके दिये गये अंकों की वैधता को मापेगा। जाहिर है इससे कुछ विद्यार्थियों को शिकायत का मौका भी मिल सकता है। अतः छात्रों की शिकायत पर गौर करने की प्रणाली भी प्रत्येक स्कूल में मौजूद रहेगी।