विदेश नीति और कूटनीति
भारतीय विदेश नीति की नाकामियों की शृंखला हाल के वर्षों में लंबी होती गई है। अब ये ऐसी हो गई है
भारतीय विदेश नीति की नाकामियों की शृंखला हाल के वर्षों में लंबी होती गई है। अब ये ऐसी हो गई है कि उसकी देश में चर्चा भी नहीं होती। वरना, रूस अगर पाकिस्तान का करीबी बनने लगे, तो उससे भारतीय विदेश नीति के कर्ताधर्तां को चिंता में डूब जाना चाहिए था। विदेश नीति और कूटनीति का एक अहम मकसद यही होता है कि अपने सबसे बड़े शत्रु को दुनिया में अलग-थलग करने की कोशिश की जाए। लेकिन हाल के वर्षों में हुआ यह है कि पाकिस्तान को नए-नए दोस्त मिलते गए हैँ। बहरहाल, रूस का उसका दोस्त बनना इसलिए ज्यादा अहम है, क्योंकि रूस भारत का मित्र देश रहा है। लेकिन हाल की घटनाओं से साफ है कि वह पाकिस्तान में अपनी पैठ बढ़ाने की रणनीति पर चल रहा है। उसने अब 2.5 अरब डॉलर के प्राकृतिक गैस पाइपलाइन के निर्माण की योजना को फिर से जिंदा कर दिया है। लेकिन बात यहीं तक नहीं है।