यूरोप में लगी आग

यूरोप के बाल्कन क्षेत्र, इटली और दक्षिणपूर्वी भूमध्यसागरीय इलाकों में जंगल की आग से भारी बर्बादी हुई है

Update: 2021-08-18 17:08 GMT

By NI एडिटोरियल . europe burning heat fire यानी यह प्राक़ृतिक घटनाक्रम का हिस्सा रहा है। मगर अब हकीकत यह है कि आग अधिक खतरनाक हो गई है। इसकी वजह कई कारणों का एक साथ इकट्ठा होना जाना है। उनमें सबसे प्रमुख धरती का तापमान बढ़ना है। इससे मौसम का असंतुलन पैदा हुआ है और प्रकृति क्रम बिगड़ गया है।


यूरोप के बाल्कन क्षेत्र, इटली और दक्षिणपूर्वी भूमध्यसागरीय इलाकों में जंगल की आग से भारी बर्बादी हुई है। पिछले महीने से पूरे दक्षिणी यूरोप में फैली जंगल की आग को सूखे और बेतहाशा गर्मी ने और भड़का दिया है। वैज्ञानिकों को इस बात पर कोई संदेह नहीं है कि इस सीजन में और ज्यादा आग भड़कने की मुख्य वजह है- जलवायु परिवर्तन। हकीकत यह है कि जिन देशों में आग लगी, वहां उनसे निपटने के इंतजाम पूरे नहीं हैं। इसलिए हालात बिगड़ते ही चले गए। यूरोपीय पर्यावरण एजेंसी (ईईए) के मुताबिक भू-मध्यसागरीय क्षेत्र के जले हुए इलाके पिछले 40 साल के दौरान कम हुए थे। इसकी प्रमुख वजह है- आग पर नियंत्रण की ज्यादा प्रभावी कोशिशें। लेकिन अब सूरत बदल रही है। वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी से पूरी दुनिया में आग के लिए मुफीद माहौल बना है। हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के कैलिफोर्निया में भड़की अभूतपूर्व आग से भी यही सामने आया था। इस बार यूरोप के मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में भी आग लगी, जहां आम तौर पर जंगल की आग नहीं भड़कती है।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर काम करने वाले संगठनों का कहना है कि दुनिया भर में भड़कने वाली जंगल की आग के कारण ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में बढ़ोतरी हुई है। उनके मुताबिक खराब और दूषित हवा से दुनिया में हर साल तीस लाख से कुछ अधिक आकस्मिक मौतें हो जाती हैं, जिनमें से पांच से आठ प्रतिशत मौतों की वजह ये आग ही है। गर्मियों में जंगल की आग का सुलगना स्वाभाविक होता है। अक्सर भू-मध्यसागरीय जंगलों के जीवन का एक यह अनिवार्य हिस्सा रहा है। 2016 से पहले के दशक में, दक्षिणी यूरोप के पांच देशों- स्पेन, फ्रांस, पुर्तगाल, इटली और ग्रीस (यूनान) के जंगलों में आग लगने की करीब 48 हजार घटनाओं में सालाना चार लाख 57 हजार हेक्टेयर जंगल खाक हो चुका था। वैज्ञानिकों के मुताबिक आग से इन इलाकों में जंगल फिर से नया भी हो जाता था और जैव विविधता भी बनी रहती थी। यानी यह प्राक़ृतिक घटनाक्रम का हिस्सा रहा है। मगर अब हकीकत यह है कि आग अधिक खतरनाक हो गई है। इसकी वजह कई कारणों का एक साथ इकट्ठा होना जाना है। उनमें सबसे प्रमुख धरती का तापमान बढ़ना है। इससे मौसम का असंतुलन पैदा हुआ है। नतीजा यह है कि प्राकृतिक घटनाक्रम का सिलसिला भी बिगड़ गया है।
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