जेडीयू में वर्चस्व की लड़ाई, ललन सिंह और आरसीपी सिंह आमने-सामने
हिंदुस्तान की सियासत में एक नियम है कि जिसके पास जितने लोग
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पंकज कुमार | हिंदुस्तान की सियासत में एक नियम है कि जिसके पास जितने लोग, जितनी भीड़ उसका उतना बड़ा कद. बिहार (Bihar) में इन दिनों इसी नियम पर दो बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है. यह दोनों बड़े नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के हैं. एक तरफ जहां पूर्व जेडीयू अध्यक्ष और केंद्र में मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) हैं तो वहीं दूसरी ओर जेडीयू के नए नए बने राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह. इन दोनों बड़े नेताओं को नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है. लेकिन अब बिहार और जेडीयू के अंदर खुद को बड़ा साबित करने की होड़ में इन दोनों नेताओं के समर्थक पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. इसकी शुरुआत होती है 6 अगस्त 2021, जब ललन सिंह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पटना पहुंचे थे. इस दिन उनके स्वागत में जो भीड़ दिखी, उसने ललन सिंह (Lalan Singh) की पावर और जनता में उनकी पकड़ को सबके सामने रख दिया और बता दिया कि यहां के हम सिकंदर.
लेकिन इस भीड़ को देखकर कहीं ना कहीं आरसीपी सिंह के समर्थकों में एक बात आ गई कि 16 अगस्त को जब आरसीपी सिंह दिल्ली से केंद्रीय मंत्री बन कर वापस लौटेंगे तब उनका ऐसा स्वागत होगा, इतनी भीड़ जुटेगी कि पूरा बिहार देखेगा. यानि कि 6 अगस्त के बाद से ही आरसीपी सिंह के स्वागत की तैयारी शुरू हो गई थी. उनके कार्यकर्ताओं ने पूरा पटना उनके पोस्टरों से पाट दिया. भीड़ जुटाने की खूब कोशिशें हुईं. लेकिन इतनी मेहनत के बावजूद भी आरसीपी सिंह के समर्थक उतनी भीड़ इकट्ठा नहीं कर पाए, जो ललन सिंह के समर्थकों ने 6 अगस्त को पटना में खड़ी कर दी थी.
10 दिन के मैनेजमेंट के बाद भी कैसे पीछे रह गए आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं. केंद्र में मंत्री बनने से पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी आरसीपी सिंह ही थे. आरसीपी सिंह के समर्थकों के पास पूरे 10 दिन का समय था और उनके समर्थकों ने खूब मेहनत भी की, पूरे पटना में पोस्टर छपवाए, कार्यकर्ताओं से बात की पूरा मैनेजमेंट बनाया कि कैसे ललन सिंह की भीड़ से ज्यादा भी आरसीपी सिंह के स्वागत में भीड़ खड़ी की जाए. लेकिन 16 अगस्त को यह पूरा मैनेजमेंट फेल हो गया, एयरपोर्ट पर जब आरसीपी सिंह पहुंचे तो उनके लिए उतनी बड़ी भीड़ नहीं खड़ी थी, जितनी बड़ी भीड़ 6 अगस्त को राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह जो जेडीयू के नए-नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं के लिए खड़ी थी.
अंदर खेमे की बात है कि आरसीपी सिंह के लिए उतनी भीड़ नहीं जुट पाई, जितनी ललन सिंह के लिए जुटी थी. क्योंकि ललन सिंह के लिए भीड़ जुटाने में जेडीयू के कई बड़े दिग्गज नेताओं की फील्डिंग लगी हुई थी. दरअसल आरसीपी सिंह को मंत्री बनाए जाने से नीतीश कुमार खुश हो सकते हैं, लेकिन जेडीयू में कई बड़े दिग्गज नेता हैं जो उनके मंत्री बनाए जाने से उतने खुश नहीं है और उनके पास आरसीपी सिंह के कद को छोटा बनाने का यह सबसे सटीक तरीका था कि उनके स्वागत से ज्यादा भीड़ ललन सिंह के स्वागत में जुटा दी जाए.
ललन सिंह के लिए उपेंद्र कुशवाहा की फील्डिंग लगी थी
ललन सिंह के लिए जुटाई गई भीड़ में ललन सिंह के समर्थकों का हाथ तो था ही लेकिन उस भीड़ के लिए सबसे बड़ी फील्डिंग उपेंद्र कुशवाहा ने लगाई था. उपेंद्र कुशवाहा ने हाल ही में अपनी पार्टी आरएलएसपी का विलय नीतीश कुमार कि जेडीयू में कर दिया है. माना जा रहा था कि केंद्र में जेडीयू की तरफ से मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ही बनेंगे. लेकिन आखिरी मौके पर चौका आरसीपी सिंह ने मार दिया और केंद्र में मंत्री बन गए. उपेंद्र कुशवाहा को ललन सिंह के खेमे का माना जाता है. इसलिए उन्होंने ललन सिंह के स्वागत में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और अपना पूरा जोर लगा दिया कि उनके लिए इतनी भीड़ जुटाई जाए कि आने वाले तारीखों में याद किया जाए कि जब ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर पटना लौटे थे तो उनके स्वागत में कितनी बड़ी भीड़ खड़ी थी.
हालांकि यह बात आरसीपी सिंह के खेमे को भी पता थी. इसीलिए तो आरसीपी सिंह के स्वागत वाले तमाम पोस्टरों से ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा दोनों गायब थे. लेकिन आज तक मीडिया के सामने या सार्वजनिक रूप से इन दोनों नेताओं ने कभी भी आपस में किसी सियासी दुश्मनी या मुकाबले की बात नहीं स्वीकारी है. बल्कि दोनों ही नेता मीडिया के सामने यह कहते हुए नजर आते हैं कि जेडीयू में केवल एक ही नेता है और वह हैं नीतीश कुमार जिसके नेतृत्व में हम सब आगे बढ़ रहे हैं.
उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह के बीच तनातनी
जो लोग समझ रहे हैं कि ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच जेडीयू में सियासी जंग चल रही है शायद वह लोग जेडीयू की सियासत के अंदर नहीं झांक पा रहे हैं. दरअसल जेडीयू में इस समय ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच मुकाबला तो है ही लेकिन उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह के बीच भी तनातनी चल रही है. यही वजह थी कि जब आरसीपी सिंह के पटना आने की बारी आई उपेंद्र कुशवाहा और उनके कुछ समर्थक पटना से 50 किलोमीटर दूर जहानाबाद पहुंच गए और जब उपेंद्र कुशवाहा से इस मामले पर सवाल किया गया कि वह आरसीपी सिंह के स्वागत समारोह में क्यों नहीं पहुंचे तो उन्होंने कहा कि जेडीयू ऑफिस की तरफ से मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है.
हालांकि यह बात पच नहीं रही कि उपेंद्र कुशवाहा को या उनके समर्थकों को यह बात ना पता हो कि 16 अगस्त को आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनकर पटना लौट रहे हैं. पोस्टर से ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के गायब होने पर भी जेडीयू के अंदर खूब घमासान छिड़ा है. इसे इन दोनों बड़े नेताओं का अपमान बताया जा रहा है. हालांकि नीतीश कुमार फिलहाल इस मामले पर चुप हैं. क्योंकि वह भी नहीं चाहते किन तीनो नेताओं की आपसी तनातनी में उनकी छवि पर कोई दाग लगे.