फार्मर फस्र्ट : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की झलक
हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है
हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है, लेकिन भारत के आॢथक और सामाजिक ताने-बाने में इस क्षेत्र का महत्व इस संकेतक से बहुत अधिक है।
सबसे पहले, भारत के लगभग तीन-चौथाई परिवार ग्रामीण आय पर निर्भर हैं और देश की खाद्य सुरक्षा, अनाज के उत्पादन के साथ-साथ फलों और सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि पर निर्भर करती है, ताकि बढ़ती जनसंख्या, जिनकी आय में निरंतर वृद्धि हो रही है, की मांगों को पूरा किया जा सके। ऐसा करने के लिए, एक उत्पादक, प्रतिस्पर्धी, विविध और दीर्घकालिक कृषि क्षेत्र को तेज गति से उभरने की आवश्यकता है।
इस पृष्ठभूमि में, भारत सरकार एक अधिक समावेशी, उत्पादक, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी और विविधतापूर्ण कृषि क्षेत्र को मजबूत आधार देने के लिए नीतिगत कार्य तथा सार्वजनिक कार्यक्रमों को शुरू करने के लिए प्रतिबद्ध है-एक ऐसा विजन, जिसे माननीय प्रधानमंत्री ने ही लोगों के समक्ष रखा है।
देश में किसान परिवारों के लिए ऐसी सकारात्मक व पूरक आय सहायता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, माननीय प्रधानमंत्री ने 24 फरवरी 2019 को किसानों के कल्याण के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना-प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पी.एम.-किसान) का शुभारंभ किया। योजना के तहत, पात्र किसान परिवारों को हर चार महीने में 2000 रुपए की तीन समान किस्तों के साथ कुल 6000 रुपए प्रति वर्ष का लाभ प्रदान किया जाता है। आधुनिक डिजिटल तकनीक का उपयोग करते हुए, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण मोड के माध्यम से लाभ की धनराशि सीधे पात्र लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जाती है।
इस योजना के तहत किसानों के नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया को अब सरल बना दिया गया है। पहले जहां एक किसान को इस योजना के तहत पंजीकरण के लिए राज्य सरकार द्वारा नामित स्थानीय पटवारी/राजस्व अधिकारी/नोडल अधिकारी (पी.एम.-किसान) से सम्पर्क करना पड़ता था, वहीं अब पी.एम. किसान के वैब पोर्टल पर 'किसान कॉर्नर' की एक विशेष सुविधा शुरू की गई है जिसके माध्यम से किसान अब अपना पंजीकरण करा सकते हैं। किसान कॉर्नर के माध्यम से किसान अपने आधार कार्ड के अनुरूप पी.एम.-किसान डाटाबेस में अपना नाम संपादित भी कर सकते हैं।
किसान कॉर्नर के माध्यम से वे अपने भुगतान की स्थिति के बारे में भी जान सकते हैं। लाभार्थियों का ग्रामवार विवरण भी 'किसान कॉर्नर' पर उपलब्ध है। देश भर के कॉमन सॢवस सैंटर (सी.एस.सी.) को भी एक मामूली शुल्क के भुगतान पर इस योजना के लिए किसानों का पंजीकरण करने के लिए अधिकृत किया गया है। किसानों के पंजीकरण को और भी अधिक आसान बनाने के लिए भारत सरकार द्वारा एक विशेष मोबाइल ऐप भी लांच किया गया है। इस योजना के कार्यान्वयन में अधिक पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से सभी राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों को ग्राम सभा स्तर पर सामाजिक आकलन (सोशल ऑडिट) करने के लिए भी कहा गया है। वास्तव में, कुछ राज्यों ने अपनी सभी ग्राम सभाओं में इस सामाजिक आकलन (सोशल ऑडिट) को पहले ही पूरा कर लिया है।
जब किसानों के पंजीकरण और पी.एम.-किसान के तहत प्राप्त लाभों का उपयोग करने में उनकी मदद करने की बात आती है तो हमारे कृषि संस्थान सबसे आगे रहे हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि पी.एम.-किसान के लाभाॢथयों द्वारा आधुनिक तकनीकों को अपनाए जाने में 36 प्रतिशत वृद्धि होने का कारण कृषि विज्ञान केंद्र तक उनकी पहुंच होना है। इसका अर्थ है कि पी.एम. किसान योजना से कृषि विज्ञान केंद्रों की उपयोगिता बढ़ी है। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करने में पी.एम. -किसान योजना की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो किसानों को कृषि क्षेत्र में लाभदायक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के एक किसान राकेश कुमार, जिनके पास 4 एकड़ जमीन है वे अपनी भूमि पर गन्ना उगाते हैं और अपनी फसलों के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों की व्यवस्था करना कोविड महामारी के दौरान उनके लिए मुश्किल था। लेकिन पी.एम.-किसान के तहत लाभ प्राप्त होना वास्तव में उनके और उनके परिवार के लिए एक बड़ी राहत थी। इस पैसे की मदद से वे समय पर बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने में कामयाब रहे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पी.एम.-किसान के तहत देश के 10 करोड़ से अधिक पात्र किसानों के लिए पहली जनवरी, 2022 को 10वीं किस्त जारी की जाएगी, जो कुछ ही मिनटों में अपने बैंक खातों में सीधे तौर पर 20,000 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि प्राप्त करेंगे।
संजय अग्रवाल(सचिव कृषि और किसान कल्याण विभाग)