खतरे का सामना
जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना विषाणु के संक्रमण और उसके असर से वैश्विक महामारी होने की घोषणा की, तभी से इसका खतरा जगजाहिर रहा है।
जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना विषाणु के संक्रमण और उसके असर से वैश्विक महामारी होने की घोषणा की, तभी से इसका खतरा जगजाहिर रहा है। बाद के दिनों में इस विषाणु ने समूची दुनिया में जैसा प्रभाव दिखाया, उससे यह साफ हुआ कि शुरुआती दौर में जताई गई आशंका के मुकाबले इससे निपटना ज्यादा मुश्किल चुनौती है। खासकर, पिछले साल पहली लहर में व्यापक नुकसान पहुंचाने के बाद इस साल दूसरी लहर में इस विषाणु ने जो कहर ढाया, उसके बाद इसकी जटिलता ज्यादा खुल कर सामने आई।
इस बीच इससे बचाव के उपायों के साथ-साथ होने वाले अध्ययनों में यह बताया गया कि कोरोना लगातार अपने रूप बदल रहा है और इसके अनेक स्वरूप भी सामने आ रहे हैं। इस साल कोरोना के डेल्टा बहुरूप ने कोविड-19 के इलाज के मामले में एक नई परेशानी खड़ी कर दी थी। हालत यह थी कि संक्रमितों की बड़ी संख्या के बीच मरीजों के इलाज में अस्पतालों को मुश्किल पेश आने लगी और कई जगहों पर लोग आक्सीजन की कमी के चलते भी जान गंवा बैठे।
अब कोरोना के नए बहुरूप की शक्ल में ओमीक्रान का जैसा खतरा समूची दुनिया के सिर पर खड़ा है, उसे एक खतरनाक संकेत के तौर पर देखा जाना चाहिए। कायदे से कहें तो देश में अभी दूसरी लहर पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है और अब भी अलग-अलग जगहों पर कोरोना के मामले पाए जा रहे हैं। हालांकि वक्त के साथ चिकित्सा जगत ने इसका सामना करने और संक्रमितों के इलाज के मामले में काफी काम किया है और इसका असर बड़ी तादाद में मरीजों के ठीक होने के रूप में देखा जा सकता है। लेकिन अब ओमीक्रान को लेकर जैसी खबरें आ रही हैं, वह कोरोना के अन्य बहुरूपों के असर और पूर्व-अनुभवों को देखते हुए चिंता का कारण होना चाहिए।
यों इस बार दक्षिण अफ्रीका और कई अन्य देशों सहित यहां बंगलुरु में भी ओमीक्रान के दो मामले पाए जाने के बाद सरकार समय रहते सावधानी बरतने और बचाव के अन्य उपाय सुनिश्चित करने को लेकर सक्रिय हो गई है। इसके मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की जांच और अन्य एहतियाती दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।
जाहिर है, कोरोना के डेल्टा जैसे बहुरूप की मार के त्रासद अनुभव से गुजरने के बाद सभी ने जरूरी सबक लिया है और समय रहते इससे बचाव के उपायों को लेकर सभी देश एहतियाती कदम उठा रहे हैं। विडंबना यह है कि जिस दौर में देश में सत्ता और विपक्ष के सभी दलों को मिल-जुल कर इस महामारी का सामना करने में एक-दूसरे का साथ देना चाहिए, वहां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप जैसी अप्रिय स्थितियां सामने आ रही हैं।
गौरतलब है कि शुक्रवार को संसद में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान आक्सीजन की कमी और उससे होने वाली मौतों पर सवाल-जवाब की नौबत आई। निश्चित तौर पर ऐसे मुद्दों पर चर्चा से भविष्य की मुश्किल से निपटने का रास्ता तैयार होता है, लेकिन अब ओमीक्रान का जैसा खतरा समूची दुनिया के साथ-साथ हमारे देश पर भी मंडरा रहा है।
उसमें पहली जरूरत इस बात की है कि सभी पक्ष एक-दूसरे के साथ मिल कर इससे बचाव के तमाम उपायों पर विचार करने और उन्हें अमल में लाने के लिए सहयोग करें। यह ध्यान रखने की जरूरत है कि इस आपदा ने सबको समान रूप से प्रभावित किया है, इसलिए इससे लड़ाई भी सामूहिक होनी चाहिए।