लापरवाही की हद
समूची दुनिया के साथ-साथ हमारा देश भी फिलहाल जिस संकट से जूझ रहा है, उससे उबरने के उपायों पर अमल ही इससे पार पाने का रास्ता है।
समूची दुनिया के साथ-साथ हमारा देश भी फिलहाल जिस संकट से जूझ रहा है, उससे उबरने के उपायों पर अमल ही इससे पार पाने का रास्ता है। दरअसल, कोरोना विषाणु अपने बदलते स्वरूप की वजह से जिस स्तर की समस्या बन चुका है, उसमें उससे बचाव के नियम सबसे अहम हो जाते हैं। लेकिन ऐसा लगातार देखा गया है कि सरकार के स्तर पर तो कोरोना से लड़ने के लिए नियम-कायदों की घोषणा कर दी जाती है, अधिसूचना भी निकाल दी जाती है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसके पालन को लेकर बहुस्तरीय लापरवाही बरती जाती है।
विडंबना यह है कि जागरूकता के अभाव में ऐसी लापरवाही न सिर्फ आम लोगों की ओर से बरती जाती है, बल्कि सरकार जिन अधिकारियों को नियमों पर अमल सुनिश्चित करने के लिए ड्यूटी पर तैनात करती है, वे भी इसे लेकर उदासीनता बरतते हैं। कई जगहों पर यह देखा जा सकता है कि पूर्णबंदी में क्रमश: ढिलाई देने के साथ-साथ लोग भारी तादाद में सड़कों पर निकलने लगे हैं और अक्सर कोरोना से बचाव को लेकर बताए गए नियम-कायदों का पालन करना जरूरी नहीं समझते। जबकि बंदी में राहत देने का मतलब यह कतई नहीं है कि कोरोनारोधी नियमों के उल्लंघन की भी छूट मिल गई है।
यह समझना मुश्किल नहीं है कि मास्क पहनने और आपस में दूरी बरतने जैसे मामूली उपायों का खयाल नहीं रखने का नतीजा क्या हो सकता है। हैरानी की बात यह है कि आम लोग कई बार जानते-बूझते हुए भी इन नियमों का पालन करना जरूरी नहीं समझते और इस तरह कोरोना विषाणु के संक्रमण के फैलाव का आसान जरिया बनने को तैयार रहते हैं। यह इसलिए भी संभव हो पाता है कि कई बार संबंधित अधिकारी भी इस बात की अनदेखी करते हैं कि लोग नियमों पर अमल कर रहे हैं या नहीं।
शायद यही वजह है कि केंद्र सरकार ने अब इस मसले पर आम लोगों को कोरोना से बचाव के लिए सावधानी बरतने की सलाह देने के साथ-साथ अधिकारियों के रवैये को लेकर भी सख्ती दिखाई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि देश के कई हिस्सों में कोरोनारोधी नियमों का खुला उल्लंघन देखा जा रहा है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन से लेकर बाजारों तक में कोरोना उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके खतरे समझे जा सकते हैं।
इसलिए सरकार के मुताबिक भविष्य में नियमों का पालन कराने में नाकाम रहने पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ राज्यों को कार्रवाई करनी चाहिए।
फिलहाल भले ही कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही है, लेकिन अब भी दूसरी लहर पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। खतरा टला नहीं है और तीसरी लहर की आशंका सिर पर गहराती जा रही है। ऐसे में अगर कोरोनारोधी नियम-कायदों पर अमल को लेकर इस स्तर की उदासीनता नहीं रोकी गई तो यह एक तरह से बड़े खतरे की घंटी है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि दूसरी लहर में हुए नुकसान के पीछे विषाणु की खतरनाक और बदलती प्रकृति के साथ-साथ एक बड़ा कारण यह भी था कि लोगों ने बचाव के उपायों को लेकर कोताही बरतनी शुरू कर दी थी। यह सही है कि पूर्णबंदी की स्थिति में आर्थिक गतिविधियों के ठप होने के चलते आम लोगों की रोजी-रोटी और जिंदगी के साथ-साथ देश की माली हालत पर भी बेहद प्रतिकूल असर पड़ता है। लेकिन आर्थिक स्थिति संभालने के लिए दी गई छूट के दौरान जिस स्तर की लापरवाही देखी जा रही है, वह विषाणु के संक्रमण के लिहाज से ज्यादा घातक साबित हो सकती है।