आकलन : मौसम की भट्ठी में भुनते शहर, वैश्विक जलवायु में बदलाव से मानसून की टूटती आस
एसी की संख्या में कमी आदि ऐसे प्रयास हैं, जो गर्मी की तीव्रता को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
गर्मी के मौसम में शहर गर्म तो होते हैं, परंतु पिछले कुछ वर्षों में आकलन किया गया है कि वे ज्यादा गर्म होकर भट्ठी के समान तपते जा रहे हैं। पिछले 10-12 वर्षों में विश्व के प्रदूषित शहरों में हमारे देश के शहरों को संख्या सर्वाधिक रही, परंतु अब विश्व के गर्म शहरों में भी हमारे देश के शहरों की संख्या बढ़ती जा रही है। वर्ष 2019 के जून के प्रथम सप्ताह में विश्व के 15 सर्वाधिक गर्म शहरों में 10 हमारे देश के थे। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस वर्ष शीतकाल के बाद मार्च में ही गर्म हवाएं चलनी शुरू हो गई थीं एवं वसंत का एहसास ही नहीं हो पाया था।
मई के मध्य में (15 मई के आसपास) विश्व के 15 सबसे गर्म शहरों में 12 हमारे देश के थे एवं उत्तर प्रदेश के बांदा में तापमान 41 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था। मौसम वैज्ञानिकों एवं पर्यावरणविदों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में वातावरण की कुछ असामान्य घटनाओं के कारण भी तापमान बढ़ा, जैसे-लंबे समय तक शुष्क मौसम बने रहना, कई क्षेत्रों में वर्षा की कमी, शीतकाल की वर्षा (मावठा) में गड़बड़ी एवं मार्च, 22 में उच्च दबाव का क्षेत्र बनकर अप्रैल तक यथावत रहना आदि।
सोर्स: अमर उजाला