भरोसे के लिए जरूरी

जैसा कि पहली नजर में स्पष्ट था, ये जवान पुलिस की जांच में छह आदिवासी मजदूरों की हत्या के दोषी पाए गए

Update: 2022-06-15 05:33 GMT
By NI Editorial
जैसा कि पहली नजर में स्पष्ट था, ये जवान पुलिस की जांच में छह आदिवासी मजदूरों की हत्या के दोषी पाए गए। जांच में पता चला कि पिछले साल हुई विवादित मुठभेड़ के दौरान सही प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। अभियान दल ने मानक प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया।
इस खबर का स्वागत किया जाना चाहिए कि नगालैंड पुलिस ने भारतीय सेना के 30 जवानों पर मुकदमा दर्ज किया है। जैसाकि पहली नजर में स्पष्ट था, ये जवान पुलिस की जांच में छह आदिवासी मजदूरों की हत्या के दोषी पाए गए। जांच में पता चला कि पिछले साल हुई विवादित मुठभेड़ के दौरान सही प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ। अभियान दल ने मानक प्रक्रिया और नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने अंधाधुंध गोलीबारी कर डाली। गौरतलब है कि सेना के जवानों के खिलाफ पुलिस जांच पिछले साल दिसंबर में हुई एक घटना के बाद शुरू हुई थी। आतंकवादी समझकर भारतीय सेना के जवानों ने नगालैंड में छह नागरिकों की हत्या कर दी थी। उसके बाद विरोध के लिए जमा भीड़ पर फिर गोलियां चलाई गईं, जिसमें भी जानें गई थीं। घटना तब हुई जब म्यांमार सीमा के पास भारतीय सैनिकों ने एक ट्रक पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाईं। इस ट्रक में मजदूर सवार थे, जो काम के बाद घर लौट रहे थे। भारतीय सेना ने तब कहा था कि विरोध कर रहे नागरिकों के साथ विवाद में एक सैनिक की भी मौत हो गई और कई जवान घायल हुए।
सेना ने कहा था कि सैनिक 'भरोसेमंद सूचना के आधार पर' कार्रवाई कर रहे थे। उन्हें खबर मिली थी कि इलाके में विद्रोही सक्रिय हैं और सेना पर हमला करने की तैयारी में हैं। लेकिन अब दायर हुए मुकदमे से साफ है कि सेना का पक्ष शुरुआती जांच में ठोस नहीं मालूम पड़ा। अब इस मुकदमे पर तीव्र गति से और निष्पक्ष सुनवाई की जरूरत है। ऐसा होने पर आम लोगों का भरोसा भारतीय राज्य में बहाल करने में मदद मिलेगी। उस घटना के बाद भारत सरकार ने नगालैंड के कई इलाकों में भारतीय सेना को असीमित शक्तियां देने वाले कानून- आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स ऐक्ट का दायरा कम कर दिया था। इसका भी सकारात्मक असर हुआ है। अब इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जरूरत है। आवश्यकता यह दिखाने की है कि भारतीय राज्य अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धताओं को गंभीरता से लेता है।
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