महंगाई की मार
महंगाई के मोर्चे पर सरकार लगातार विफल साबित हो रही है। हर दिन डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
महंगाई के मोर्चे पर सरकार लगातार विफल साबित हो रही है। हर दिन डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है। रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्य आसमान छू रहे हैं। ताजा आंकड़े के मुताबिक थोक महांगाई दर रिकार्ड तेरह फीसद को छूने लगी है। इससे खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी का अंदाजा लगाया जा सकता है। शायद ही कोई वस्तु हो, जिसके मूल्य न बढ़े हों। मगर सबसे अधिक बढ़ोतरी खाद्य तेलों और ईंधन में हुई है। यह तब है, जब कोरोना महामारी के कारण लोगों की कमाई कम हुई है और उन्होंने खर्च को लेकर अपने हाथ रोक रखे हैं। यानी मांग में उछाल नहीं आ रहा। फिर रिजर्व बैंक ने अपनी ब्याज दरें सबसे निचले स्तर पर स्थिर कर दी हैं। महंगाई बढ़ने के दो मुख्य कारण बताए जा रहे हैं। एक, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और दूसरा विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग में लागत बढ़ना। डीजल-पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी का असर अनेक स्तरों पर पड़ता है। उपभोक्ता वस्तुओं की उत्पादन लागत और ढुलाई का खर्च बढ़ जाता है, जिससे स्वाभाविक ही उनकी कीमतें बढ़ती हैं। मगर ईंधन की कीमतों पर अंकुश लगाने की कोशिशें विफल ही साबित हुई हैं।