Editorial: रेस्तरां में कॉफी बनाते और ड्रिंक डालते रोबोट अब जगह-जगह दिखने लगे हैं। स्वचालित व प्रतिक्रिया देने वाले रोबोट को हवाईअड्डों और मॉल में भी काम करते देखा जा सकता है। कुछ रेस्तरां तो ऐसे भी हैं, जहां रोबोट इस्तेमाल की गई प्लेटों को एकत्र करते हैं और उनको रसोई में ले जाते हैं। साफ है, तमाम आकार-प्रकार के रोबोट अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। बावजूद इसके चलते-फिरते इंसानी रोबोट हमारे बीच आज भी आश्चर्य, उत्साह व विमर्श पैदा करते हैं।
‘टेस्ला ऑप्टिमस’ ऐसा ही एक रोबोट है, जिसे टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने पिछले दिनों जारी किया है। इसने इंसानी रोबोट के प्रभाव व उपयोगिता को लेकर नई बहस छेड़ दी है। मस्क ने रोजमर्रा के कामों के लिए भी रोबोट बनाने की घोषणा की है। साथ-साथ उन्होंने पूरी तरह से स्वचालित कैब और वैन का भी प्रदर्शन किया, जो बिना स्टीयरिंग के चलेंगी। ये तीनों उत्पाद वैश्विक बाजार में व्यापक खपत को ध्यान में रखते हुए बनाए जाएंगे। वास्तव में, रोबोटिक उत्पादों का बाजार बीते कुछ वर्षों में काफी बढ़ा है। इसमें इंसानी रोबोट की मांग अधिक है। गोल्डमैन सैक्स की 'ह्यूमनॉइड रोबोट : द एआई एक्सेलेरेंट' रिपोर्ट तो यह भी बताती है कि यदि डिजाइन, उपयोग, प्रौद्योगिकी, सामर्थ्य और आम लोगों में स्वीकृति जैसी चुनौतियों से पार पा लिया जाए, तो 2035 तक यह बाजार 154 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है ।
इंसान जैसे रोबोट अब कई वजहों से अधिक स्मार्ट, सस्ते व मानवीय बन गए हैं। सबसे बड़ा कारण तो इनमें लगने वाली मशीनों का दाम घटना है। फिर, लगातार धरती कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) ने कहीं अधिक प्रयोग करने की सुविधा दे दी है। गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट कहती है कि पिछले साल एक इंसानी रोबोट को बनाने में 50 हजार डॉलर से 2.5 लाख डॉलर के बीच खर्च आता था, जो अब घटकर 30 हजार डॉलर से 1.5 लाख डॉलर के बीच हो गया है। लिहाजा आश्चर्य की बात नहीं कि मस्क ने ऑप्टिमस के जल्द ही 20 हजार डॉलर में उपलब्ध होने की घोषणा की है। ये रोबोट घर के कामों में मदद करेंगे, पौधों को पानी देंगे, खाना परोसेंगे और कई दूसरे काम करेंगे। रोबोट अब तक दुकानों और गोदामों तक ही सिमटे रहे हैं। लेकिन घरों में उनका यूं प्रवेश मानव समाज और अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला साबित होगा ।
मॉर्गन स्टेनली का आकलन है कि वर्ष 2040 तक अमेरिका में 80 लाख इंसानी रोबोट काम कर रहे होंगे, जिससे वेतन पर 357 अरब डॉलर का प्रभाव पड़ेगा। वहीं, 2050 तक ऐसे रोबोट की संख्या 6.3 करोड़ हो सकती है, जो संभवतः 75 फीसदी व्यवसाय, 40 फीसदी कर्मचारी और करीब तीन ट्रिलियन वेतन प्रभावित करेंगे। अनुमान है, सिर्फ अमेरिका में निर्माण कार्यों के 70 फीसदी, खेती-बाड़ी, मछली मारने और वानिकी के 67 फीसदी काम प्रभावित हो सकते हैं। भारत में औद्योगिक रोबोट के इस्तेमाल में 59 फीसदी की वृद्धि हुई है। साल 2023 में 8,510 रोबोट काम कर रहे थे, जो इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के मुताबिक, एक नई ऊंचाई थी। कार निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं, दोनों ने इसके विकास में योगदान दिया है। स्टैटिस्टा के मुताबिक, भारत में रोबोटिक्स बाजार का राजस्व साल 2024 में 44.67 करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है। सबसे ज्यादा जोर सर्विस देने वाले रोबोट पर है, जिससे इस साल 28.15 करोड़ डॉलर का राजस्व आ सकता है। इसकी आमदनी में 8.26 फीसदी की सालाना वृद्धि का अनुमान है, जिसके कारण 2029 तक यह बाजार 66.44 करोड़ डॉलर का हो सकता है। औद्योगिक रोबोट के बाद घरेलू रोबोट भी भारत में लोकप्रिय हो सकता है। ऐसे रोबोट की आमद बढ़ने से भारत और चीन जैसी अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित हो सकती हैं और युवा आबादी वाले इन देशों को अपनी श्रम एवं रोजगार नीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है।
ये रोबोट खतरनाक व गंदे कामों में फायदेमंद होंगे, हालांकि रचनात्मक लोगों के सामने इनसे चुनौतियां पैदा नहीं होंगी। कुल मिलाकर, इंसानी रोबोट हमारी अपेक्षा से कहीं अधिक तेजी से हमारे घरों में प्रवेश कर सकते हैं। भारत और अन्य देशों को इसके लिए तैयार रहना होगा।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार स्ट्रीट कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब