कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (CM B S Yediyurappa) शुक्रवार से दिल्ली में हैं. येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद, शनिवार को जगत प्रकाश नड्डा और अमित शाह से भी मुलाकात की. उनके दिल्ली दौरे के दौरान कर्नाटक के मुख्यमंत्री को बदलने की अटकलें तेज हो गईं. यह अफवाह है, अगले कुछ दिनों में राज्य में एक नए प्रमुख की नियुक्ति की संभावना है. प्रधानमंत्री के साथ बैठक में येदियुरप्पा ने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए इस्तीफा देने की इच्छा जताई थी. हालांकि, उसी दिन अमित शाह और जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात के बाद उन्होंने साफ कर दिया था कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री को बदलने पर कोई चर्चा नहीं हुई है. ना तो प्रधानमंत्री ने और ना ही गृह मंत्री ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा. इसके बजाय अगले चुनाव की तैयारी करने को कहा गया है, ताकि बीजेपी सत्ता में वापसी कर सके. उन्होंने आगे कहा, पार्टी को लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में पहले से ज्यादा सीटें मिलेंगी.
कर्नाटक और त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बदलने की मांग तेज़
हाल ही में प्रधानमंत्री ने कर्नाटक की सांसद शोभा करंदलाजे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया है, जिन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री के अनुयायी के रूप में जाना जाता है. बीजेपी सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में कर्नाटक बीजेपी में एक नया चेहरा देखने को मिलेगा. हालांकि यह काम उतना आसान नहीं है. क्योंकि, कर्नाटक में आज भी बीजेपी के अंदर येदियुरप्पा जैसा मजबूत नेता नहीं है. ऐसे में उनके खिलाफ कोई फैसला लेना आसान नहीं है. येदियुरप्पा को समझा बुझाकर ही इस मामले को अंतिम रूप दिया जा सकता है राज्य के नए मुख्यमंत्री के रेस में बीएल संतोष का नाम चर्चा में है.
उधर, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं, पार्टी के अंदर उन्हें लेकर काफी गुस्सा है. राज्य में 'बिप्लब हटाओ, बीजेपी बचाओ' नारा राज्य की गली कूचों में सुनने को मिल रहा है. कुछ लोग उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाना चाहते हैं. राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. हालांकि, उनका कहना है कि उनका दिल्ली का दौरा त्रिपुरा में विकास परियोजनाओं पर चर्चा करने के लिए है. आगर पेड़ और आगर लकड़ी के लिए कुछ खास योजना 'आगरवुड पॉलिसी' बनाई गई हैं. इन विश्व प्रसिद्ध आगर पेड़ों और लकड़ी के समुचित उपयोग और निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए, एक समग्र परियोजना की तैयारी चल रही है. इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से भी मुलाकात की.
हालांकि, त्रिपुरा के राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को राजधानी बुलाया गया है. उन्होंने पार्टी संगठन के महासचिव से भी बात की. त्रिपुरा बीजेपी लंबे समय से मुख्यमंत्री बिप्लब देब से नाराज है. बागियों का आरोप है कि सरकार को गुमराह करने वाली नीतियों के कारण पार्टी राज्य में तेजी से लोकप्रियता खो रही है.
तो क्या बिप्लब कुमार देब को भी हटा दिया जाएगा?
बिप्लब देब का कहना है कि 'जनादेश' मिलने पर ही वह सत्ता में बने रहेंगे. सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब 2023 में होने वाली राज्य विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं. अगर सब ठीक रहा तो 2023 के फरवरी से मार्च के पहले हफ्ते में राज्य में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. राजनीतिक दलों में अंतर्कलह या दलों के अंदर असंतोष एक सामान्य प्रक्रिया है. लेकिन दलों में उत्पन्न असंतोष को यदि समय रहते नियंत्रण ना किया जाए तो वह किसी भी पार्टी के लिए घातक सिद्ध हो सकता है.
ज़रा इन बातों पर भी गौर करें
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री एन रंगास्वामी, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनेवाल, महाराष्ट्र सरकार में केंद्र शरद पवार, मध्य प्रदेश से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, इन सभी नेताओं में एक ही समानताएं हैं, वे सभी कांग्रेसी नेता थे और कांग्रेस छोड़कर अपनी एक नई राजनैतिक पहचान बनाने में सफल रहे हैं. समय रहते कांग्रेस अगर इन नेताओं की अपेक्षा ओर उपेक्षा पर ध्यान देती तो आज कांग्रेस की यह दुर्दशा नहीं होती.