डिजिटल शिक्षा क्रांति का जलवा

डिजिटल यूनिवर्सिटी का निर्माण देशभर की शीर्ष केंद्रीय यूनिवर्सिटियों की मदद से किया जाएगा। इस यूनिवर्सिटी की मदद से देश की विभिन्न भाषाओं में छात्रों को शिक्षा दी जा सकेगी।

Update: 2022-02-09 05:38 GMT

डा. वरिंदर भाटिया: डिजिटल यूनिवर्सिटी का निर्माण देशभर की शीर्ष केंद्रीय यूनिवर्सिटियों की मदद से किया जाएगा। इस यूनिवर्सिटी की मदद से देश की विभिन्न भाषाओं में छात्रों को शिक्षा दी जा सकेगी। यही नहीं, छात्रों को इंडियन सोसाइटी फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मानकों पर वर्ल्ड क्लास एजुकेशन उपलब्ध कराई जाएगी…

देश में डिजिटल शिक्षा क्रांति का जलवा बिखेरने की कवायद की तरफ कदम बढ़ाए जा रहे हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस बार के बजट में डिजिटल शिक्षा पर फोकस रखा है। उन्होंने कहा है कि देश में डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी। वित्त मंत्री के अनुसार कोरोना के चलते विद्यार्थियों की पढ़ाई का काफी नुकसान हुआ है। देश में अनेक छात्र कोविड-19 के कारण शिक्षा में नहीं जा पाए हैं। महामारी की वजह से बंद होने के कारण, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के बच्चों ने लगभग दो साल की औपचारिक शिक्षा खो दी है। इसे कुछ हद तक कम करने के लिए डिजिटल यूनिवर्सिटी के जरिए ई-कंटेंट और ई-लर्निंग को बढ़ावा दिया जाएगा। बदलते युग में डिजिटल शिक्षा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी। इसका मकसद देशभर में छात्रों को अब घर बैठे क्लास एजुकेशन देना है। डिजिटल यूनिवर्सिटी एक ऐसी यूनिवर्सिटी है जहां पढ़ाई पूरी तरह से ऑनलाइन होती है। डिजिटल यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स को कहीं जाना नहीं होगा, घर बैठे ही ऑनलाइन पढ़ाई हो सकेगी। देश के किसी कोने से स्टूडेंट्स पढ़ाई कर सकेंगे। यहां अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञ ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षा देंगे। इससे हमारे काबिल शिक्षकों की प्रतिभा का बेहतरीन उपयोग हो सकेगा। विदेशों में अनेक डिजिटल यूनिवर्सिटी इसी पैटर्न पर काम कर रही हैं। भारत के अलावा दुनियाभर में पहले से डिजिटल यूनिवर्सिटी के तहत छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। यही नहीं, कई देशों की यूनिवर्सिटीज में विभिन्न कोर्स की पढ़ाई ऑनलाइन तर्ज पर होती है और इनकी डिग्री भी ऑनलाइन दी जाती है। इनमें यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन, एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी, जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी शामिल हैं। हालांकि ये विश्वविद्यालय ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन यानी अपने कैंपस में भी शिक्षा उपलब्ध कराते हैं। स्पेन की मिया यूनिवर्सिटी इसका एक उदाहरण है। यहां पर ऑनलाइन मास्टर, सर्टिफिकेट और एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम चलाए जाते हैं, जिसे ऑनलाइन किया जा सकता है। देश में डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना इन्फारमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नालॉजी के आधार पर होगी।

डिजिटल यूनिवर्सिटी का निर्माण देशभर की शीर्ष केंद्रीय यूनिवर्सिटियों की मदद से किया जाएगा। इस यूनिवर्सिटी की मदद से देश की विभिन्न भाषाओं में छात्रों को शिक्षा दी जा सकेगी। यही नहीं, छात्रों को इंडियन सोसाइटी फॉर टेक्निकल एजुकेशन के मानकों पर वर्ल्ड क्लास एजुकेशन उपलब्ध कराई जाएगी। डिजिटल यूनिवर्सिटी के तहत जरूरी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रेनिंग उपलब्ध कराई जाएगी और यह काम सेंट्रल यूनिवर्सिटीज की मदद से होगा। इसमें छात्रों को विभिन्न कोर्स और डिग्री से जुड़ी पढ़ाई ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी। हालांकि अभी इसका निर्धारण नहीं किया गया है कि इस यूनिवर्सिटी में किस तरह के कोर्स की पढ़ाई होगी। इस यूनिवर्सिटी के जरिए देशभर में दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे छात्रों को विश्व स्तरीय शिक्षा दी जा सकेगी। छात्रों को एक ही प्लेटफॉर्म पर विभिन्न शीर्ष विश्वविद्यालयों के कोर्स करने का मौका मिलेगा और इस तरह छात्र अपने मनचाहे कोर्स मनमाफिक यूनिवर्सिटी से घर बैठे कर सकेंगे। इसमें एक कैंपस होगा, जहां शिक्षक और स्टाफ होंगे और यही शिक्षक विभिन्न राज्यों में बैठे छात्रों को एक साथ ऑनलाइन पढ़ाएंगे। हालांकि दूरस्थ शिक्षा यानी डिस्टेंस एजुकेशन के तहत पहले भी पढ़ाई हो रही थी, मगर पहले स्टडी मेटेरियल घर पर पोस्ट के जरिए आता था और इसमें काफी समय लगता था। अब स्टडी मेटेरियल के लिए छात्रों को इंतजार करने की जरूरत नहीं होगी।

उनकी पढ़ाई से संबंधित मेटेरियल ऑनलाइन तुरंत मिल सकेगा। डिजिटल यूनिवर्सिटी हब एंड स्पोक मॉडल पर आधारित होगी। यह ऐसा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क होता है जिसमें सब कुछ एक सेंट्रलाइज्ड हब से होता है और अंत में छोटी-छोटी जगहों यानी स्पोक तक पहुंचता है। यानी यह हब से निकलेगी और स्पोक तक पहुंचाई जाएगी। इसके तहत एक मैसेज पैदा किया जाएगा और उसे एक ही बार में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म यानी स्पोक पर शेयर किया जाएगा। सीधे शब्दों में कहें तो हब एंड स्पोक मॉडल का मतलब है कि आपने एक मैसेज क्रिएट किया और फिर उसे एक ही बार में अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर शेयर किया। इसमें मैसेज हब हुआ और प्लेटफॉर्म स्पोक। डिजिटल यूनिवर्सिटी में पाठ्यक्रम विभिन्न भारतीय भाषाओं और आईसीटी प्रारूपों में उपलब्ध कराया जाएगा। बहरहाल यह पहली बार नहीं है जब देश में डिजिटल यूनिवर्सिटी को लेकर चर्चा हो रही है। इससे पहले वर्ष 2021 में देश की पहली डिजिटल यूनिवर्सिटी केरल में खुल चुकी है। यह दो दशक पुराने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फारमेशन टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट केरल को अपग्रेड करके ही की गई है। केरल की डिजिटल यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम और विभिन्न डिजिटल टेक्नालॉजी के क्षेत्रों में शोध आधारित कोर्स पर पढ़ाई होती है। केरल की यह यूनिवर्सिटी कंप्यूटर साइंस, इन्फारमेटिक्स, एप्लाइड इलेक्ट्रानिक्स एंड ह्यूमिनेटिज के अलावा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन, साइबर सिक्योरिटी डेटा एनॉलिटिक्स समेत विभिन्न उद्योगों पर आधारित शिक्षा उपलब्ध कराती है। वहीं देश की दूसरी डिजिटल यूनिवर्सिटी राजस्थान के जोधपुर में स्थापित की जा रही है। जोधपुर डिजिटल यूनिवर्सिटी का निर्माण 30 एकड़ क्षेत्र में करीब चार सौ करोड़ की लागत से हो रहा है। इसे ट्विन टॉवर के फ्रेम में बनाया जा रहा है और इसमें खिड़कियों की जगह विंडोज मैट्रिक्स दिखाई पड़ेंगे।

इस बजट में डिजिटल यूनिवर्सिटी की स्थापना भारत के युवाओं के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण कदम है। इससे छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्राप्त होगी। अब गैर-तकनीकी छात्र भी तकनीकी विषयों का अध्ययन कर सकेंगे और उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि होगी। डिजिटल एजुकेशन को शिक्षा की सहायक पाठ्य प्रक्रिया के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। डिजिटल यूनिवर्सिटी का सपना भी तभी सफल होगा जब संसाधनों के अभाव को दूर किया जाएगा। इस देश के ज्यादातर छात्र इस दशा में नहीं हैं कि ई-कंटेंट के जरिए उनकी पढ़ाई का घाटा पूरा करवाया जा सके और आर्थिक सर्वेक्षण यह बताने से भी चूक गया कि खुद शिक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट ने ऐसी दशा का ब्यौरा दिया था। बीते साल अक्तूबर के पहले पखवाड़े में एक रिपोर्ट 'इनिशिएटिव बाय दि स्कूल एजुकेशन सेक्टर इन 2020-21' के नाम से आई। इस रिपोर्ट में बताया गया कि देश के सात बड़े राज्यों असम, आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश तथा उत्तराखंड में स्कूल जाने वाले 40 से 70 प्रतिशत छात्रों के पास डिजिटल एक्सेस का कोई साधन नहीं है। मध्य प्रदेश में 70 प्रतिशत स्कूली छात्र डिजिटल एक्सेस से वंचित हैं तो बिहार और आंध्र प्रदेश में ऐसे छात्रों की तादाद 55 प्रतिशत से ज्यादा है। बिहार में 58 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश में 57 प्रतिशत, असम में 44 प्रतिशत, झारखंड में 43 प्रतिशत, उत्तराखंड में 41.17 प्रतिशत और धनी कहलाने वाले राज्य गुजरात में 40 प्रतिशत से ज्यादा छात्र लैपटॉप, डेस्कटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन सरीखे किसी भी ऐसे डिवाइस से वंचित हैं जो उन्हें ई-कंटेंट मुहैया करा सके। देश में कितने बच्चों के पास पढ़ाई के लिए मोबाइल या टीवी की सुविधा है, इसका जवाब तो सरकार के पास भी नहीं है। इसकी सार्थकता पर सवाल समझ से परे होगा क्योंकि यह हमारे रवायती शिक्षा सिस्टम को मजबूती देते हुए उच्च शिक्षा की जनरल एनरोलमेंट रेशो में एक नयापन और पॉजिटिविटी लाएगा।


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