फिलहाल भगवान भरोसे अमेरिका

इससे अमेरिका में मरे चार लाख लोगों के प्रति श्रद्धांजलि जताने की जरूरत उन्होंने महसूस की, यह भी भरोसा बंधाने वाला है।

Update: 2021-01-22 09:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ही कोरोना महामारी को लेकर जो चिंता और समझ दिखाई है, वह आश्वस्त करने वाली है। इससे अमेरिका में मरे चार लाख लोगों के प्रति श्रद्धांजलि जताने की जरूरत उन्होंने महसूस की, यह भी भरोसा बंधाने वाला है। वरना, डॉनल्ड ट्रंप के दौर में अमेरिका किस हाल में पहुंच गया, उसे समझने के लिए "द बाइबिल इन ए ईयर" नाम के पॉडकास्ट को सुन लेना ही काफी है। पिछले चंद दिनों के भीतर इस पॉडकास्ट को चालीस लाख बार डाउनलोड किया गया है।

इस पॉडकास्ट में एक पादरी माइक श्मिट्स की आवाज है। हर दिन आने वाले इस पॉडकास्ट में कुल 365 एपिसोड शामिल होंगे। श्मिट्स अपने इस पॉडकास्ट में हर दिन बाइबिल पढ़ते हैं और उस पर चर्चा करते हैं। श्मिट्स के प्रवक्ता लॉरैन जॉयस ने पॉडकास्ट की लोकप्रियता के बारे में पूछे गए एक सवाल पर कहा- हम समझते हैं कि यह एक भूख को पूरा कर रहा है।


गौरतलब है कि इस पॉडकास्ट ने द न्यूयॉर्क टाइम्स के न्यूज शो- द डेली- को पीछे छोड़ दिया है। फादर श्मिट्स को पिछले साल वसंत में उस वक्त इस पॉडकास्ट का आइडिया आया, जब अमेरिका कोविड-19 की पहली लहर से जूझ रहा था। अमेरिका दुनिया भर में कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। अब तक वहां संक्रमण के 2.4 करोड़ मामलों के साथ लगभग चार लाख मौतें हो चुकी हैं। अब भी वहां हर दिन एक से दो लाख कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं। कोरोना के टीकाकरण अभियान के बावजूद लोगों में चिंता और डर है।
जानकार पादरी के पॉडकास्ट की कामयाबी का कारण महामारी से पैदा स्थिति को मानते हैं। उनके मुताबिक खासकर इन दिनों बहुत से बुजुर्ग लोग संक्रमण के डर से चर्च नहीं जा पा रहे हैं। और मौत का भय लोगों को ईश्वर को याद करने के लिए मजबूर कर रहा है। गौरतलब है कि धार्मिक पॉडकास्ट कोई नई चीज नहीं है। लेकिन अब तक उनकी मांग सिर्फ एक सीमित वर्ग तक ही रहती थी। लेकिन महामारी ने बहुत सी चीजें बदली हैं। "द बाइबिल इन ए ईयर" को मिली कामयाबी भी इसी बदलाव का हिस्सा है। अगर अमेरिका में महामारी इतनी मारक नहीं होती, तो शायद ये हाल नहीं होता। लेकिन जब लोग मुसीबत में हों, तो ईश्वर का ही सहारा बचता है। ट्रंप इसी हाल में अमेरिका को छोड़ गए हैँ।


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