देश की चरमराती स्वास्थ्य व्यवस्था, कई शहरों में ऑक्सीजन की कमी, कोरोना मरीजों को अस्पतालों में भर्ती होने के लाले पड़े
देश भर में 162 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी के बाद अब यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए
देश भर में 162 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी के बाद अब यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ये प्लांट यथाशीघ्र कार्य करना प्रारंभ कर दें। बेहतर हो कि केंद्र के साथ राज्य सरकारें भी इस पर निगाह रखें कि ये प्लांट समय रहते कार्य शुरू करते हैं या नहीं? यह काम प्राथमिकता के आधार पर इसलिए किया जाना चाहिए, क्योंकि देश के विभिन्न शहरों में ऑक्सीजन की कमी वास्तव में महसूस की जा रही है। इसके चलते कोरोना के मरीजों और उनके परिवार वालों में चिंता व्याप्त है। चिंता पैदा करने का काम कोरोना मरीजों के उपचार में उपयोगी इंजेक्शन रेमडेसिविर की अनुपलब्धता भी कर रहा है। यह ठीक है कि फार्मा कंपनियों ने इसके दाम कम कर दिए हैं, लेकिन इसका लाभ तो तब मिलेगा, जब यह इंजेक्शन आसानी से उपलब्ध भी हो। स्पष्ट है कि इस इंजेक्शन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भी युद्धस्तर पर कार्य करने की जरूरत है। चिकित्सा संसाधन बढ़ाने के उपाय युद्धस्तर पर होने भी चाहिए और होते हुए दिखने भी चाहिए, क्योंकि तभी जनता को यह संदेश जाएगा कि केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने सारे मतभेद भुलाकर आम लोगों को राहत देने के काम में जुट गई हैं। यह समय दलगत राजनीति करने अथवा आरोप-प्रत्यारोप लगाने का नहीं, बल्कि संकट का मिलजुलकर मुकाबला करने का है। यह खेद की बात है कि कुछ राजनीतिक दल अपने हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह करने के बजाय सस्ती राजनीति करने का समय निकाल ले रहे हैं। उन्हें अपनी ऊर्जा उन कारणों का निवारण करने में लगानी चाहिए, जिनके चलते मरीजों को अस्पतालों में भर्ती होने के लाले पड़े हैं।