देश को कई नाइका चाहिए
कॉस्मेटिक्स और फैशन प्रॉडक्ट्स प्लैटफॉर्म नाइका के आईपीओ जिन लोगों को मिले थे, लिस्टिंग के पहले ही दिन उन्हें इस पर 100 प्रतिशत से कुछ कम का रिटर्न मिला।
कॉस्मेटिक्स और फैशन प्रॉडक्ट्स प्लैटफॉर्म नाइका के आईपीओ जिन लोगों को मिले थे, लिस्टिंग के पहले ही दिन उन्हें इस पर 100 प्रतिशत से कुछ कम का रिटर्न मिला। बाजार ने कंपनी का वैल्यूएशन 14 अरब डॉलर के करीब लगाया। इससे पहले जोमैटो की भी बढ़िया लिस्टिंग हुई थी और जल्द ही पेटीएम भी शेयर बाजार में आने वाली है। जोमैटो के बाद नाइका की शानदार लिस्टिंग से देसी स्टार्टअप्स के लिए नए दौर का आगाज हुआ है।
पहले यह आशंका रहती थी कि लंबे वक्त तक घाटे में चलने वाली इन कंपनियों को भारत में सही वैल्यूएशन मिलेगा या नहीं? असल में इन कंपनियों का वैल्यूएशन पारंपरिक खांचे के हिसाब से बहुत ऊंचा दिखता है। इसी वजह से पहले स्टार्टअप्स के संस्थापक विदेशी बाजारों में लिस्टिंग के बारे में सोचते थे, जहां पहले से ऐसी कंपनियां लिस्टेड थीं। ऐसे में जोमैटो और नाइका की कामयाब लिस्टिंग से देश में दूसरी स्टार्टअप्स के लिए पैसा जुटाना आसान हो जाएगा। दूसरे, इनसे निवेशकों को भी इंटरनेट और टेक्नलॉजी आधारित कंपनियों से पैसा बनाने का मौका मिलेगा, जैसे कि अमेरिका में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट इंक, एमेजॉन और फेसबुक (अब मेटा) के निवेशकों को मिला है।
बेशक इसके लिए भारतीय स्टार्टअप्स को इन कंपनियों की तरह ग्रोथ का वादा पूरा करना होगा। निवेशकों को भी सावधान रहना होगा क्योंकि स्टार्टअप्स के नाकाम होने की दर भी ज्यादा होती है। वैसे, भारतीय स्टार्टअप्स को अभी बहुत लंबा सफर तय करना है। देश में करीब 50 हजार स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से 72 का वैल्यूएशन ही नवंबर 2021 तक एक अरब डॉलर से अधिक था। जिन स्टार्टअप्स का वैल्यूएशन इतना होता है, उसे यूनिकॉर्न कहा जाता है। अगर समूची दुनिया के यूनिकॉर्न के मुकाबले देखें तो यह संख्या 8-9 प्रतिशत ही है।
वैसे, भारत में स्टार्टअप्स का कुल वैल्यूएशन 168 अरब डॉलर के करीब है और इस लिहाज से अमेरिका और चीन के बाद भारत में स्टार्टअप्स का तीसरा सबसे बड़ा ईकोसिस्टम है। इसके साथ यह भी समझना होगा कि किसी समाज को कई तरह के बिजनेस की जरूरत पड़ती है। हो सकता है कि उनमें जोमैटो जितने विस्तार की संभावना न हो। जैसे, देश में वाजिब दरों पर बेहतर हेल्थकेयर सर्विसेज की जरूरत है। क्या ऐसी कंपनियां यूनिकॉर्न बन सकती हैं? ऐसा हो सकता है, लेकिन इसमें काफी वक्त लग सकता है।
इसलिए इन कंपनियों को भी निवेशकों के सपोर्ट की जरूरत पड़ेगी। शायद, समाज की जरूरी समस्याओं को हल करने वाली ऐसी कंपनियों को सरकार से भी मदद की जरूरत पड़े। सरकार को इस बात पर भी नजर बनाए रखनी होगी कि देश का स्टार्टअप सिस्टम ना सिर्फ मजबूत बना रहे बल्कि आगे चलकर विश्व में उसकी रैंकिंग और बेहतर हो। इससे जहां कई समस्याओं को सुलझाने में मदद मिलेगी वहीं देश की इकॉनमी को भी फायदा होगा।