कोरोना की नई लहर, लापरवाही पड़ेगी भारी
कोरोना की कितनी लहरें आई और कितनी आकर चली गई, मगर भारत के लोगों के हौसले के आगे टिक नहीं पाई
इस संक्रमण से बचने के लिए सख्त निगरानी की जरूरत है, नहीं तो सामाजिक संक्रमण जैसी स्थिति में देश के लिए खतरे की घंटी बज सकती है। भारत की सरकार व प्रशासन संक्रमण से बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों और संक्रमित क्षेत्र से आने वाले लोगों को लेकर बहुत सतर्क हैं। लेकिन साथ में लोगों को भी स्वयं ईमानदारी से कोरोना के इस महायुद्ध में अपनी भूमिका अभिनीत करनी है…
कोरोना की कितनी लहरें आई और कितनी आकर चली गई, मगर भारत के लोगों के हौसले के आगे टिक नहीं पाई। सरकार के दृढ़ निर्णय, इच्छा शक्ति व लोगों के मजबूत इरादों ने सारी लहरें पार की हैं। अब पूरा विश्व एक और लहर को झेलने के लिए मानो मानव जीवन के तट पर विचलित होकर खड़ा है। भारत में इस नई लहर ओमिक्रॉन ने आधे भारत को अपनी लहर में डरा-बहाकर घरों में कैद कर दिया है। एक तरीके से आधा लॉकडाउन लगवा दिया है। लेकिन भारत सरकार वैक्सीनेशन अभियान में तेजी से आगे बढ़ रही है। और तो और अब 15-18 साल के युवाओं के लिए भी स्कूलों में वैक्सीनेशन अभियान चला दिया है जिसके प्रति युवाओं में भारी उत्साह है। भारत में जिस कोरोना के आने पर डर व सहमियत का माहौल था, आज उस भारत में बच्चे भी आगे आकर वैक्सीनेशन लेकर मैदान में योद्धा बनकर डट गए हैं। इन युवाओं के हौसलों को सलाम है जो वैक्सीनेशन अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। विश्व व भारत के वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो पूरा मानव समाज कोरोना का ऐसा नाम जिसे सभी धीरे-धीरे भुला कर नई शुरुआत करने की अभी सोच ही रहे थे कि कोरोना ने एक के बाद एक घात लगा दी। कोरोना है तो एक महामारी, लेकिन थोड़े-थोड़े समय के बाद जिस प्रकार से यह अपना घातक अपडेटिड रूप लेकर विश्व मानव समाज में कहर बरपा कर प्राण रक्षा के लिए हाहाकार मचा रही है, यह घटनाक्रम पूरे विश्व को डरा रहा है। जैसे ही लगता है कि अब थोड़ा कहर कम हो रहा है, वैसे ही विश्व के किसी कोने में महामारी का पिछले से अधिक प्रभावी वर्जन सामने आ जाता है, जो सबकी नींद उड़ा देता है। मानो कोरोना वायरस का कहर दुनिया में कम होने की बजाय और अधिक फैल रहा हो, यानी कोरोना वायरस समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा। अब हाल ही में दुनिया के कुछ देशों में कोरोना का नया वेरिएंट सामने आ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इसे ओमिक्रॉन नाम दिया है। कोरोना के इस नए वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अब तक का सबसे घातक और संक्रामक वेरिएंट है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस ओमिक्रॉन वेरिएंट में करीब 32 म्यूटेशन देखे गए हैं जिसके कारण डब्ल्यूएचओ की चिंता अधिक बढ़ गई है। सबसे पहले इस प्रकार के मामले की पुष्टि दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों ने अपने देश में इस नए वेरिएंट के होने की पुष्टि की थी। बाद में इजराइल और बेल्जियम में भी यह नया वेरिएंट पाया गया। इसके अलावा बोत्सवाना और हांगकांग ने भी अपने यहां वेरिएंट के मौजूद होने की पुष्टि की।
वैज्ञानिक अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट सबसे घातक डेल्टा वेरिएंट से भी खतरनाक है। चिंता की बात यह है कि जो लोग कोविड टीकाकरण की दोनों खुराक ले चुके हैं, वे भी इस वेरिएंट की चपेट में आ सकते हैं। इससे साफ प्रतीत होता है कि इससे ज्यादा सावधानी बरतनी की आवश्यकता है अन्यथा कोरोना महामारी ऐसे ही लहरों में आकर सब कुछ तबाह करती रहेगी। अब तक के वैज्ञानिक विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नया वेरिएंट डेल्टा सहित किसी भी अन्य वेरिएंट की तुलना में तेजी से फैल रहा है। ओमिक्रॉन वेरिएंट में अब तक के417एन, ई484ए, पी681एच और एन679के जैसे म्यूटेशनों का पता चला है जो रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को पूरी तरह से तोड़ देते हैं। ऐसे में लोगों को अधिक सावधान रहने की जरूरत है। सबसे विशेष वैक्सीन की प्रभावशीलता पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जताई गई चिंता भी चिंतन के लिए मजबूर कर देती है कि आखिर ये ऐसा कैसा वायरस है जो दवाई व टीकों के प्रभाव से परे ही है। ये संकेत स्पष्ट करते हंै कि आने वाले समय में सावधानियां नहीं अपनाई गई तो संकट सिर पर आन खड़ा है। कोरोना के इस नए वेरिएंट को लेकर भारत में भी चिंता बढ़ती जा रही है क्योंकि एम्स के विशेषज्ञ भी कहते हैं कि कोरोना वायरस के नए संस्करण में स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक परिवर्तन हुए हैं। इसलिए इसमें इम्यूनोस्केप तंत्र विकसित करने की क्षमता है। स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने वाले अधिकांश टीकों में स्पाइक प्रोटीन में इतने सारे बदलाव की वजह से प्रभावशीलता कम हो सकती है।
ऐसे परिदृश्य में भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले वैक्सीनों की प्रभावशीलता का गंभीर रूप से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। भविष्य में इस वायरस के खिलाफ लड़ाई इस बात पर निर्भर करेगी कि इसके संक्रमण की क्षमता, वायरस की ताकत और प्रतिरक्षण क्षमता पर डेटा किस निष्कर्ष पर पहुंचाता है। कोरोना होने को 2019 से आ गया हो, लेकिन अभी भी इसके गंभीर परिणाम सभी के लिए नए हैं जिनका आकलन करना सभी के लिए प्रथम बार है जिससे निपटारा खोजना कठिन है। वहीं सरकार के स्तर पर भी इस नए वेरिएंट को लेकर गंभीरता देखने को मिल रही है। उच्च स्तरीय मीटिंग के बाद अधिकारियों ने कहा कि भारतीय एसएआरएस-सीओवी-2 जीनोमिक कंसोर्टिया आईएनएसएसीओजी कोविड-19 के नए वेरिएंट बी.1.1.1. 529 पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है और देश में इसकी मौजूदगी का पता नहीं चला है। इस संक्रमण से बचने के लिए सख्त निगरानी की जरूरत है, नहीं तो सामाजिक संक्रमण जैसी स्थिति में देश के लिए खतरे की घंटी बज सकती है। भारत की सरकार व प्रशासन संक्रमण से बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय यात्रियों और संक्रमित क्षेत्र से आने वाले लोगों को लेकर बहुत सतर्क हैं। लेकिन साथ में लोगों को भी स्वयं ईमानदारी से कोरोना के इस महायुद्ध में अपनी भूमिका अभिनीत करनी है क्योंकि समाज व राष्ट्र की भलाई व सुख-शांति में ही सर्व मानव हित है। मानव हित के लिए सभी को एक साथ चलकर सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। भारत ने पहले भी पूरे विश्व का प्रतिनिधित्व महामारी में किया है तथा आगे भी करता रहेगा, क्योंकि हमारे देश के पास उचित क्षमता नेतृत्व कौशल व दूरदर्शिता रखने वाले लोग हैं।
प्रो. मनोज डोगरा
लेखक हमीरपुर से हैं