कोरोना की नई चिंता

भारत में कोरोना की चिंता का बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि हम संक्रमण की कम से कम तीन लहरों से गुजर चुके हैं।

Update: 2022-12-24 04:59 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भारत में कोरोना की चिंता का बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि हम संक्रमण की कम से कम तीन लहरों से गुजर चुके हैं। खासकर पिछले वर्ष अप्रैल-मई में डेल्टा वेरिएंट पर सवार होकर आई दूसरी लहर ने हमें बहुत चिंता में डाल दिया था, तब हमारे यहां संक्रमण अपने चरम पर था। पूरी दुनिया हमारी ओर चिंता से देखने लगी थी। आज जब चीन, जापान इत्यादि देशों में नई लहर उठी है, तो बहुत से लोगों को पिछले साल का वह बुरा दौर याद आ रहा है। अमेरिका से भी ऐसी रिपोर्ट भी आ रही है कि अगले साल अप्रैल तक दुनिया की एक बड़ी आबादी फिर संक्रमित हो सकती है और लाखों लोगों की मौत हो सकती है। वैसे ध्यान रहे कि दुनिया में अभी भी दो करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हैं, इनमें से आधिकारिक रूप से बात करें, तो सबसे ज्यादा 67 लाख लोग जापान में संक्रमण झेल रहे हैं, पर यह भी ध्यान रहे कि जापान की आबादी बुजुर्ग बहुल है। सबसे विकसित अमेरिका में ही अभी 19 लाख के करीब संक्रमित हैं। चीन अभी ईमानदारी से बता नहीं रहा है, उसके आधिकारिक आंकड़े पर किसी को यकीन नहीं है। वह अपने यहां महज 38 हजार के लगभग संक्रमित बता रहा है। यह अच्छा है कि चीन पर विश्वास न करते हुए दुनिया के अनेक देश अपनी ओर से सावधानी बरत रहे हैं और विशाल आबादी वाला भारत भी इन देशों में शामिल है।

हमें बहुत चिंतित होने की जरूरत नहीं, लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए सावधानी बढ़ाना समय की मांग है। भारत में बुधवार को कोरोना के 185 नए मामले दर्ज किए गए और भारत में कुल सक्रिय मामले घटकर 3,402 रह गए हैं। फिर भी भारत सरकार की चिंता और सक्रियता सराहनीय है। भारतीय चिकित्सा संघ ने देशवासियों से कहा है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। भीड़ और समारोह से बचने, मास्क लगाने और साफ-सफाई रखने की जरूरत है। उच्च स्तर पर देश में बैठकें हो रही हैं। हवाई अड्डों पर सतर्कता और जांच बढ़ गई है। जीनोम अनुक्रमण अर्थात वायरस की निगरानी भी शुरू हो गई है। नए वेरिएंट बीएफ.7 के गुजरात और ओडिशा में मामले मिले बताए जा रहे हैं। यह भी सूचना आ रही है कि यह वेरिएंट पहले ही भारत आ गया था, तो यह जांचना जरूरी है कि यह भारतीयों के लिए कितना गंभीर हो सकता है। यह भी देखना चाहिए कि क्या फिर से टीकाकरण या विशेष बुस्टर डोज अभियान की जरूरत है?

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