महंगाई पर लगाम

केंद्र सरकार ने शनिवार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में भारी कटौती कर महंगाई से त्राहिमाम कर रहे लोगों को तत्काल कुछ राहत दे दी है।

Update: 2022-05-23 03:22 GMT

नवभारत टाइम्स; केंद्र सरकार ने शनिवार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में भारी कटौती कर महंगाई से त्राहिमाम कर रहे लोगों को तत्काल कुछ राहत दे दी है। इस कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की कीमतें क्रमश: 9.5 रुपये और 7 रुपये प्रति लीटर कम हो गई हैं। केंद्र सरकार की घोषणा के बाद केरल, राजस्थान और ओडिशा जैसे कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर भी वैट में कटौती की घोषणा की। उम्मीद की जा रही है कि अन्य राज्य सरकारें भी यथासंभव कटौती की घोषणा करेंगी जिससे पेट्रोल और डीजल मूल्यों में आई कमी से आम तौर पर भी महंगाई का ताप कुछ कम होगा। ध्यान देने की बात है कि सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के साथ ही करीब 9 करोड़ गरीब परिवारों को एलपीजी गैस सिलिंडर पर 200 रुपये प्रति सिलिंडर की सबसिडी देने, प्लास्टिक प्रॉडक्ट्स, आयरन और स्टील पर कस्टम ड्यूटी कम करने तथा पर्याप्त मात्रा में सीमेंट की उपलब्धता सुनिश्चित करने का भी एलान किया है।

जाहिर है, आम लोगों को राहत देने के साथ ही सरकार लागत में बढ़ोतरी और जरूरी वस्तुओं की सप्लाई में कमी जैसी समस्याओं से जूझते विभिन्न सेक्टरों की भी मुश्किलें कम करना चाहती है। देश में रीटेल इन्फ्लेशन आठ साल के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा हुआ है। अप्रैल महीने में यह बढ़कर 7.8 फीसदी हो गया। हालांकि सरकार कहती रही है कि महंगाई में बढ़ोतरी के पीछे अंतरराष्ट्रीय कारक हैं जो काफी हद तक सच भी है। कोरोना महामारी के असर से दुनिया पूरी तरह निकली भी नहीं थी कि यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया। इस वजह से न केवल खाद्यान्न समेत कई जरूरी वस्तुओं की कमी पड़ गई बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन भी बाधित हुआ। नतीजा यह कि दुनिया के तमाम देश महंगाई में अप्रत्याशित बढ़ोतरी समेत कई तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। मगर ये स्पष्टीकरण सच होते हुए भी देश के अंदर हालात को संभालने में कोई मदद नहीं करते।

पिछले दो वर्षों से तमाम चुनौतियों से पार पाते हुए जो भारतीय इकॉनमी दोबारा खड़ी हो रही है, उसके लिए भी महंगाई की यह लहर मारक साबित हो सकती थी। यह न केवल आम मध्यमवर्गीय परिवारों की बचत नष्ट कर रही थी बल्कि मांग की कमी की समस्या को और गंभीर रूप दे रही थी। लिहाजा सरकार इसकी अनदेखी नहीं कर सकती थी। उम्मीद की जा रही है कि सरकार के ताजा कदमों से महंगाई पर कुछ लगाम जरूर लगेगी। हालांकि इसी का दूसरा पहलू यह भी है कि सरकार के इन फैसलों से राजकोष पर करीब 1.5 लाख करोड़ रुपयों का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर राजस्व वसूली में आए उछाल की बदौलत सरकार के लिए इस अतिरिक्त बोझ को संभालना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा।


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