फिर परेशानी में कांग्रेस
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिरने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि बीजेपी पर गोवा में कांग्रेस के विधायक तोड़ने को कोशिशों का आरोप लग गया।
नवभारत टाइम्स; महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिरने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ कि बीजेपी पर गोवा में कांग्रेस के विधायक तोड़ने को कोशिशों का आरोप लग गया। हालांकि वहां बीजेपी के प्रमोद सावंत ही मुख्यमंत्री हैं और 40 विधायकों वाली विधानसभा में उनकी सरकार को 25 विधायकों का समर्थन हासिल है। लेकिन बीजेपी के अपने विधायकों की संख्या वहां 20 ही है। दो महीने पहले ही बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी सीटी रवि ने कहा था कि साल खत्म होते-होते विधानसभा में बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर 30 हो जाएगी। ठीक तीन साल पहले गोवा में ही कांग्रेस के दो तिहाई - कुल 15 में से 10 - विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। मगर इस बार खास बात यह रही कि पार्टी ने पिछली बार जैसा आलस्य नहीं दिखाया। खबर मिलते ही वह तुरंत हरकत में आई। संबंधित विधायकों से संपर्क किया गया और पार्टी का दावा है कि सात विधायक न केवल उसके संपर्क में हैं बल्कि पूरी तरह से पार्टी के साथ हैं।
अगर यह दावा सच है तो माना जा सकता है कि दलबदल की ताजा कोशिश नाकाम हो गई है क्योंकि 11 सदस्यीय कांग्रेस विधायक दल में दलबदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई का खतरा मोल लिए बगैर फूट डालने के लिए आठ विधायकों की जरूरत थी। अगर इतने विधायक चले जाते तो बाकी विधायक भी आसानी से उस समूह का हिस्सा बन सकते थे। लेकिन पार्टी की संपर्क सीमा से बाहर जा चुके विधायकों की संख्या अगर सिर्फ चार है तो पार्टी में फूट का कोई प्रत्यक्ष खतरा तत्काल नहीं है। संभवत: यही वजह है कि पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष से जिन विधायकों को अयोग्य ठहराने की गुजारिश की है, उनकी संख्या दो ही है। आगे क्या होगा, इस बारे में दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन अब तक चूंकि कोई दलबदल वास्तव में हुआ नहीं, इसलिए अभी सबकुछ कांग्रेस के आरोप की शक्ल में ही है। बीजेपी इन आरोपों को मनगढ़ंत बता रही है। हालांकि कांग्रेस को इन पर इतना यकीन है कि वह अपने दो नेताओं की अयोग्यता रद्द करवाने पर डटी हुई है। वैसे आरोप-प्रत्यारोप के इस सिलसिले से अलग हटकर देखा जाए तो इधर महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक जैसे कई प्रदेशों में कांग्रेस या कांग्रेस गठबंधन सरकारें गिरी हैं। उसके बड़े नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। कांग्रेस को इस मुश्किल दौर से निकलने का रास्ता ढूंढना होगा। पार्टी को अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं में भरोसा जगाना होगा कि वह देशभर में विपक्षी दलों के साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती दे सकती है। अगर वह ऐसा नहीं कर पाई तो ऐसी मुश्किलें उस पर बार-बार आएंगी।