चीन का पैंतरा
साल 2021 जाते-जाते चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों का नाम बदल कर पुराने विवादों को नया रंग देने का पैंतरा चलाया है।
साल 2021 जाते-जाते चीन ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों का नाम बदल कर पुराने विवादों को नया रंग देने का पैंतरा चलाया है। इस बार चीन ने अरुणाचल प्रदेश में स्थित पंद्रह और जगहों का नाम चीनी और तिब्बती में रख दिया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन ने जिन पंद्रह ठिकानों का चीनी भाषा में नामकरण किया है, उन्हें वैधता प्रदान करने के लिए सरकारी दस्तावेजों में उनकी सटीक भौगोलिक स्थिति भी दर्ज कर दी है।
इनमें आठ रिहायशी इलाके, चार पहाड़, दो नदियां और पहाड़ी दर्रा शामिल है। चीन ने ऐसा कोई पहली बार नहीं किया है। इससे पहले साल 2017 में भी चीन ने छह इलाकों के नाम बदल डाले थे। उसका कहना है कि जिन इलाकों के नाम बदले गए हैं, वे दक्षिणी तिब्बत में आते हैं और अरुणाचल प्रदेश भी दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। जाहिर है, उसे लगता है कि ऐसा करने से अरुणाचल प्रदेश पर उसका दावा और मजबूत हो जाएगा। सवाल तो यह है कि क्या नाम भर बदल देने से ये इलाके चीन के हो जाएंगे? जाहिर है, ऐसा करके वह भारत पर दबाव बनाने की रणनीति पर चलता रहा है। उसे लग रहा है कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर किए जाने वाले दावों से विवाद बढ़ेगा और इससे भारत दबाव में आएगा।
भारत ने चीन के इस कदम पर सख्त एतराज जताते हुए एक बार फिर साफ कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा। ऐसे में चीन अगर किसी इलाके का नाम बदल कर उस पर अपना दावा जताता है तो यह भारत को बर्दाश्त नहीं होगा। भारत ऐसे फर्जी दावों को श्ुरू से खारिज करता आया है। अरुणाचल प्रदेश को लेकर भारत का रुख एकदम स्पष्ट है कि यह इलाका भारत का अभिन्न हिस्सा है और बना रहेगा और यहां किसी भी तरह की दखल का उसी भाषा में जवाब दिया जाएगा।
दरअसल पिछले कुछ समय में सीमाई इलाकों खासतौर से अरुणाचल प्रदेश से लगती सीमा के पास चीनी गतिविधियां जिस तेजी से बढ़ी हैं, वे तनाव पैदा करने वाली हैं। तिब्बत के विवादित इलाके में चीन ने एक गांव बसा लिया है। इसमें सौ के करीब घर बनाए गए हैं। सीमाई इलाकों में चीन ने जिस तेजी से रेल नेटवर्क खड़ा कर लिया है, वह उसकी मंशा को उजागर करने के लिए काफी है। कहने को चीन कहता रहा है कि वे ऐसे कदम भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई के तहत उठाता है। पर हकीकत किसी से छिपी नहीं है। भारत सीमाई इलाकों में सीमा रेखा के पास जो भी निर्माण कर रहा है, वह अपने इलाकों में कर रहा है, न कि चीनी या किसी विवादित क्षेत्र में।
चीन का अब तक जो रवैया रहा है, उससे तो लगता है कि अगर भारत के साथ उसका सीमा विवाद सुलझ भी जाए तो भी वह भारत को मुश्किल में डालने वाले कदम उठाने से बाज नहीं आने वाला। भारत-चीन युद्ध और उसके बाद सीमा विवाद को लेकर अब तक की बैठकों, सीमाओं पर घुसपैठ व संघर्ष की घटनाएं उसके रुख को बताने के लिए काफी हैं। पूर्वी लद्दाख का विवाद ठंडा भी नहीं पड़ा कि अरुणाचल प्रदेश को लेकर उसकी अनुचित गतिविधियां तेज हो गई हैं। हालांकि चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को देखते हुए अरुणाचल प्रदेश सहित सभी संवेदनशील सीमाई इलाकों में भारत ने मोर्चाबंदी मजबूत करनी शुरू कर दी है। चीन को यही नागवार गुजर रहा है।