सावधानी का समय
भारत में जैसे ही कोरोना जांच में वृद्धि हुई है, संक्रमण के मामले भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे नजर आए हैं
भारत में जैसे ही कोरोना जांच में वृद्धि हुई है, संक्रमण के मामले भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे नजर आए हैं। पांच दिनों में संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही थी, लेकिन अब संक्रमण तीन लाख के आंकड़े को पार कर गया है। आठ महीने बाद ऐसी स्थिति बनी है, ऐसे में भी महाराष्ट्र में सोमवार से स्कूल खोलने का फैसला निंदनीय है। जब वर्क फ्रॉम होम की पैरोकारी हो रही है, तब स्कूल खोलने का फैसला कितना सही है? पिछले दिनों शादी-विवाह के मौसम और बाजारों, धर्मस्थलों में बढ़ी आवाजाही का नतीजा हम भुगत रहे हैं। बड़े पैमाने पर कोरोना संक्रमण का विस्फोट हुआ है। मौतों की संख्या भी बढ़ी है, तब स्कूल खोलने का फैसला त्रासद है। क्या महाराष्ट्र में कोरोना मामले काबू में आ गए हैं? नहीं, सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र कोरोना महामारी के मामले में नेतृत्व कर रहा है। भारत के चिकित्सा प्रभारियों को महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले पर आपत्ति करनी चाहिए। होता यह है कि एक सरकार जब कोई फैसला लेती है, तब दूसरी सरकारों पर ऐसे ही फैसले के लिए दबाव बढ़ता है। अत: यह जरूरी है कि हर सरकार समझदारी के साथ कदम बढ़ाए। ध्यान रहे कि यह लहर बच्चों को भी समान रूप से पीड़ित कर रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि दुनिया इस समय कोरोना की चौथी लहर से गुजर रही है। दुनिया में पिछले एक सप्ताह में प्रतिदिन 29 लाख मामले दर्ज किए जा रहे हैं। जब अफ्रीका और यूरोप में कोविड मामले घट रहे हैं, तब एशिया में बढ़त दिख रही है। भारत में अभी लगभग 19 लाख सक्रिय मामले दर्ज हैं। विशेषज्ञ जानते हैं कि पीड़ितों की वास्तविक संख्या इससे ज्यादा हो सकती है। संक्रमण के मामले अगर ऐसे ही बढ़ते रहे, तो जनजीवन स्वत: बाधित हो जाएगा। खैर, आधिकारिक रूप से सरकार ने मान लिया है कि देश में महामारी की तीसरी लहर चल रही है। ऐसे में, सरकार को अपनी बचाव संबंधी नीतियों को और चाक-चौबंद कर लेना चाहिए। पॉजिटिविटी दर 16 प्रतिशत के आसपास होना बहुत चिंताजनक है। स्कूल खोलने के लिए लालायित महाराष्ट्र की ही अगर बात करें, तो वहां साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट दो फीसदी से बढ़कर 22 प्रतिशत हो गई है। केरल में पॉजिटिविटी रेट 32 प्रतिशत व दिल्ली में 30 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में पॉजिटिविटी दर महज छह प्रतिशत दर्ज की जा रही है, लेकिन पूरी सावधानी बरतना समय की मांग है।
बेशक, हम अभी बेहतर स्थिति में हैं। दूसरी लहर के चरम दौर में केवल दो प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हुआ था, जबकि अब लगभग 72 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो चुका है। शायद यही कारण है कि इस बार मौतें कम हो रही हैं। दूसरी लहर 30 अप्रैल 2021 को चरम पर थी, उस दिन 3,86,452 नए मामले आए थे, 3,059 लोगों की जान गई थी और कुल सक्रिय मामले 31,70,228 थे। वहीं 20 जनवरी 2022 को 3,17,532 नए मामले, 380 मौतें और 19,24,051 सक्रिय मामले हैं। मामले यहां से और ऊपर न जाएं, इसके लिए हमें मिलकर बचाव, जांच, इलाज के पूरे इंतजाम से रहना होगा। देश जान-माल का और नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं है। ध्यान रहे, गुरुवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आने वाले 25 साल कड़ी मेहनत, त्याग व तपस्या की पराकाष्ठा होंगे। देशवासियों को यह साबित करने में मनोयोग से जुट जाना चाहिए।
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