Budget 2022: दूरगामी बदलाव लाने वाला बजट
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 का जो बजट पेश किया है वह विकास परक, व्यावहारिक होने के साथ ही योजनाओं के मामले में परंपरागत भी है
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 का जो बजट पेश किया है वह विकास परक, व्यावहारिक होने के साथ ही योजनाओं के मामले में परंपरागत भी है। प्राथमिकता में राजनीतिक लोकलुभावनवाद नहीं, बल्कि मजबूत आर्थिक तर्क नजर आ रहे हैं। इसलिए सबसे पहले वित्तमंत्री की तारीफ की जानी चाहिए। बजट में भारत के अगले 25 वर्ष के 'अमृतकाल' या सुनहरे युग की नींव रखी गई है।
अगले वित्त वर्ष के लिए 39.45 लाख करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान व्यक्त किया गया है और राजस्व को 22.84 लाख करोड़ रुपये के व्यावहारिक आंकड़े तक सीमित रखा गया है। वित्तीय घाटे के 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जो कि वित्त वर्ष 2022 के 6.9 फीसदी के पुनरीक्षित अनुमान पर आधारित है। वित्तीय समायोजन के साथ ही विकास को प्राथमिकता में रखा गया है, जिसका शेयर बाजार ने स्वागत किया है और बांड मार्केट को सरकार की ओर से बड़े ऋण कार्यक्रम की घोषणा की उम्मीद है। विनिवेश या निजीकरण के जरिये जुटाए जाने वाले राजस्व के आंकड़े संकीर्ण तरीके से नीचे रखे गए हैं। कमी को पूरा करने के लिए 14.95 लाख करोड़ रुपये के करीब उधार लेने होंगे जिसका प्रभाव ब्याज दरों पर पड़ेगा।
अच्छी खबर यह है कि पूंजीगत खर्च बढ़कर रिकॉर्ड 7.5 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई तक पहुंच गया है। सार्वजनिक ढांचे में किया जाने वाला यह खर्च अर्थव्यवस्था को गति देगा और रोजगार के अवसर पैदा करेगा। रोजगार संबंधी मौजूदा चुनौती को देखते हुए यह अहम है। बुनियादी ढांचे के निवेश में वृद्धि का आर्थिक विकास पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़े पैमाने पर असर होगा। बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च को प्रोत्साहन देना, रोजगार सृजित करना और उत्पादकता बढ़ाना देश को निरंतर सुधार के रास्ते पर ले जाने की कुंजी है। मौजूदा वित्त वर्ष में 9.2 फीसदी की विकास दर का अनुमान है, जो कि प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज दर है। उम्मीद की जा रही है कि देश की अर्थव्यवस्था की यह रफ्तार कायम रहेगी और अगले वर्ष जीडीपी आठ से साढ़े आठ फीसदी की दर से आगे बढ़ सकती है। बजट में खर्च संबंधी जो प्रस्ताव किए गए हैं, उनका सीधा लाभ देश के युवाओं, महिलाओं, किसानों और अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति जैसे समुदायों को मिलेगा और यह सार्वजनिक और निजी निवेश बढ़ाएगा।
पीएम गतिशक्ति सात स्तंभों वाला दृष्टिकोण है, जिसके तहत सड़क, रेलवे, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, परिवहन और लॉजिस्टिक्स हब, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटलीकरण को कवर करते हुए मजबूत समावेशी विकास का आधार तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक बुनियादी ढांचे से जुड़ी पहल भी हैं। कई प्रोत्साहन और समर्थन उपायों को अतिरिक्त बजटीय सहायता के साथ एक और वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है, जिसमें ईसीएलजीएस (इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम) से लेकर हाउसिंग फाइनेंस सब्सिडी शामिल हैं और इसका लाभ स्टार्ट-अप और विनिर्माण कंपनियों को होगा।
पिछले साल पांच लाख करोड़ रुपये के निजी इक्विटी प्रवाह के महत्व को एक विशेषज्ञ समिति ने स्वीकार किया था, जिसका गठन इन फंडों से निरंतर प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए अतिरिक्त उपाय तलाशने के लिए किया गया था। ढांचागत खर्च के लिए सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने की भी योजना है। भारतीय जीवन बीमा निगम को सूचीबद्ध करने का इंतजार भी अब खत्म हो सकता है। बजट में पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव) योजनाओं के तहत विनिर्माण को केंद्रित कर आत्मनिर्भर भारत योजना पर खासा जोर दिया गया है। यही नहीं, रक्षा खरीद का 68 फीसदी घरेलू कंपनियों पर खर्च किया जाएगा। विशेष आर्थिक क्षेत्र से संबंधित नियम भी बदले जा रहे हैं, जिनका निवेश पर असर दिखेगा।
इस बजट में डिजिटल मुद्रा पर भी जोर है। वित्तमंत्री ने घोषणा की है कि रिजर्व बैंक अगले वित्त वर्ष में डिजिटल रुपी जारी करेगा। ध्यान रहे, चीन ने पिछले साल डिजिटल युआन जारी किया था जबकि अमेरिका के फेडरल बैंक ने हाल ही में डिजिटल अमेरिकी डॉलर के लिए कार्ययोजना जारी की है। बजट प्रस्तावों में क्रिप्टोकरेंंसी और एनएफटी/टोकन्स जैसी डिजिटल संपत्ति से होने वाले मुनाफे पर तीस फीसदी कर लगाने का प्रस्ताव दिया है, जो कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे उच्च दर है। मगर इसके लिए नियामक ढांचा खड़ा करने की जरूरत है, जिसमें अधिकृत और नियंत्रित क्रिप्टो एक्सचेंज शामिल हों और वे हर तरह के क्रिप्टो कारोबार को नियामक तथा कर प्राधिकार को जानकारी देने को बाध्य हों। अभी क्रिप्टो करेंंसी पर नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रस्ताव के मुताबिक, किसी भी वर्चुअल डिजिटल संपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 फीसदी का कर लगेगा।
अधिग्रहण की लागत को छोड़कर किसी भी कटौती की अनुमति नहीं होगी। वर्चुअल डिजिटल संपत्ति की बिक्री से होने वाले नुकसान की भरपाई वर्चुअल डिजिटल संपत्ति की बिक्री से होने वाले लाभ से ही की जा सकेगी। तोहफे के रूप में प्राप्त होने वाली क्रिप्टो करेंंसी भी कर योग्य होगी। स्रोत पर एक फीसदी कर का भी प्रस्ताव है। इसके साथ ही भारत ने क्रिप्टो परिसंपत्तियों को अपनाने और नियमन के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट नियमों की आवश्यकता होगी कि इस पारिस्थितिकी तंत्र में निवेशक और मध्यस्थ स्पष्टता और भरोसे के साथ काम कर सकें। वास्तव में भारत क्रिप्टो संपत्ति के लिए औपचारिक रूप से कर व्यवस्था कायम करने वाला पहला देश बन जाएगा। अमेरिका के कर अधिकारियों ने कर संबंधी नोटिस दिए थे, मगर निवेशकों ने इस दावे के साथ उसे चुनौती दी कि क्रिप्टो न तो मुद्रा है और न ही संपत्ति, इसलिए उस पर कर नहीं लग सकता।
भारतीय अधिकारियों ने बजट में आभासी डिजिटल संपत्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है और उम्मीद है कि इसके लिए एक व्यापक नियामक संरचना तैयार करेंगे। कुल मिलाकर यह एक स्वागत योग्य विकासोन्मुखी और भविष्योन्मुखी बजट है जिसका अधिकांश बाजार ने स्वागत किया है।
अमर उजला