Bihar Politics : तेजस्वी यादव बिहार के सीएम की कुर्सी से कितने दिनों की दूरी पर हैं?

तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) 15 अगस्त को गांधी मैदान में झंडा फहराने वाले हैं

Update: 2021-07-28 14:11 GMT

पंकज कुमार | तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) 15 अगस्त को गांधी मैदान में झंडा फहराने वाले हैं, ऐसा दावा उनकी पार्टी के नेता कर रहे हैं. इस दावे का आधार ये है कि मुकेश सहनी (Mukesh Sahani) ने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) द्वारा बुलाए गए कैबिनेट मीटिंग में जाने से मना कर दिया है. हद तो तब हो गई जब बुधवार को मुकेश सहनी ने सीधा बीजेपी (BJP) पर वीआईपी (VIP) पार्टी को तोड़ने का आरोप मढ़ दिया. अब सवाल उठता है कि वीआईपी के सुप्रीमों मुकेश सहनी और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी के नाराज होने से आरजेडी सत्ता के करीब आ जाएगी इन दावों में कितना दम है.

बिहार का सत्ता का गणित बेहद पेचीदा है. एनडीए के खाते में बीजेपी के 74, जेडीयू के 43, हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के 4, वीआईपी पार्टी के 4 और एक निर्दलीय विधायक मिलाकर कुल 127 का समर्थन है. वहीं, महागठबंधन के खाते में आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और कम्युनिस्ट पार्टी के 16 समेत कुल 110 विधायक हैं. एआईएमआईएम यानि ओवैसी के 5 विधायक महागठबंधन का समर्थन करते हैं तो कुल विधायकों की संख्या 115 का आंकड़ा छू जाएगा.
बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 सीटें मिलने के बाद पूरा होता है. इसलिए मांझी और सहनी पाला बदलते हैं तो आंकड़ा 123 तक पहुंच जाने के बाद सत्ता का हस्तांतरण तेजस्वी यादव के हाथों में जा सकता है. इसलिए जब कभी भी मांझी या मुकेश सहनी नाराज होते हैं तो आरजेडी खेमें में सरकार बनाने की बात जोर शोर से होने लगती है. यही वजह है कि आरजेडी के नेता भाई वीरेन्द्र ने 15 अगस्त को गांधी मैदान में तेजस्वी यादव के नाम का डंका बजा सबको सकते में डाल दिया है.
मुकेश सहनी और जीतन राम पर आरजेडी के लालू प्रसाद को भरोसा नहीं है
मुकेश सहनी ने कैबिनेट की बैठक का बहिष्कार किया, लेकिन साथ में ये भी कहा कि वो आरजेडी के साथ नहीं जाएंगे क्योंकि आरजेडी ने उनके पीठ पर खंजर भोंका है. ज़ाहिर है मुकेश सहनी विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी द्वारा किए गए व्यवहार का हवाला देते हैं जिसके तहत महागठबंधन में उन्हें 25 सीटें और उपमुख्यमंत्री का पद सौंपा जाना था . लेकिन तेजस्वी यादव द्वारा ऐन वक्त पर किए गए प्रेस कांफ्रेस में इन बातों का कहीं जिक्र नहीं था, यही वजह थी कि उसी समय मुकेश सहनी ने पाला बदलकर एनडीए का दामन थामा.
चुनाव में मुकेश सहनी को चार सीटें मिली, लेकिन कहा जाता है कि ये चार नाम के हैं लेकिन असली में चारों विधायक बीजेपी के हैं और वीआईपी पार्टी के नाम पर चुनाव लड़े हैं. हाल ही में कैबिनेट बहिष्कार करने के बाद वीआईपी के दो विधायक राजू सिंह और मिश्री लाल यादव ने मुकेश सहनी के फैसले को सही करार नहीं दिया था. एक और विधायक सवर्णा सिंह भी बीजेपी कोटे की ही मानी जाती हैं. इसलिए मुकेश सहनी मंत्री और वीआईपी के नेता होने के बावजूद एनडीए से रिश्ता तोड़ने की हैसियत नहीं रखते हैं.
यही हाल जीतन राम मांझी का भी है जिनकी नाराज़गी को लेकर विरोधी कैंप कभी गंभीर नहीं होता है. आरजेडी के एक बड़े नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी पर लालू प्रसाद भरोसा नहीं करते हैं. इसलिए इनकी नाराज़गी की चर्चा मीडिया में भले ही होती हो लेकिन आरजेडी इन बातों को तवज्जों नहीं देती है. राजनीति के जानकार और प्रोफेसर डॉ अमरेन्द्र कुमार कहते हैं कि तोड़ फोड़ की राजनीति शोर शराबे के बीच नहीं होती है. इसलिए आरजेडी जब जब ऐसे दावे करती है तो उसमें शोर ज्यादा और सच्चाई कम ही प्रतीत होता है.
आरजेडी बार-बार सरकार बनाने का दावा क्यों करती है?
सूबे की सियासत में सत्ता का समीकरण 7 से 8 विधायकों के बदलने से पूरी तरह बदल जाएगा जाएगा. राष्ट्रीय जनता दल के विधायक भाई वीरेन्‍द्र (RJD MLA Bhai Virendra) ने दावा किया है कि बिहार में 'खेला' शुरू हो चुका है और नीतीश सरकार का गिरना तय है. आरजेडी विधायक भाई वीरेन्द्र के दावे से बिहार की सियासत में खलबली तो मची ही है लेकिन जादुई आंकड़े को छू पाने में आरजेडी कैसे कामयाब होगी इसको लेकर तस्वीरें साफ नहीं है.
आरजेडी के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जेडीयू के 10 विधायक सरकार बनने की स्थिति में लालू प्रसाद के कहने पर पाला बदल सकते हैं. लेकिन कांग्रेस विधायकों के साथ-साथ वीआईपी और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के रवैये पर पूरी तरह भरोसा करना आरजेडी को व्यवहारिक नहीं लगा इसलिए मौके का इंत़जार किया जा रहा है.


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