जनता की अदालत के परे भी एक अदालत है। ज़मीर की अदालत को बंद हुए एक अरसा हो चुका है
आदित्य चोपड़ा अपनी पहले बनाई गई रानी मुखर्जी चोपड़ा और अभिषेक बच्चन अभिनीत फिल्म ‘बंटी और बबली’ का अगला भाग बना रहे हैं
जयप्रकाश चौकसे। आदित्य चोपड़ा अपनी पहले बनाई गई रानी मुखर्जी चोपड़ा और अभिषेक बच्चन अभिनीत फिल्म 'बंटी और बबली' का अगला भाग बना रहे हैं। गौरतलब है कि 'बंटी और बबली' नामक पात्र शौकिया चोर हैं और चोरी किया गया माल गरीबों में बांट देते हैं। यह रॉबिनहुड या हातिम ताई नुमा पात्र है, जो अपराध के द्वारा दुनिया को समान करने के काम करते हैं।
यह उनकी समाजवादी विचार शैली है। अमीरों का गल्ला लूट कर गरीबों में बांट दो। कुछ लोगों ने महान समाजवादी विचार को अपने ढंग से परिभाषित किया। गोया कि लाल रंग की समाजवादी टोपी फ्री साइज है, इसे पूंजीवादी भी पहन लेते हैं। बहरहाल अमेरिकन फिल्म 'बोनी एंड क्लाइड' के पात्र केवल अपनी नीरस जिंदगी में कुछ सनसनी लाने के लिए चोरियां करते हैं।
यह ऊब जाने का ही एक स्वरूप है। गोया कि ऊब जाना मनोवैज्ञानिक समस्या है। किसी दौर में चंबल के डाकू भी लूटे हुए माल का कुछ भाग साधनहीन लोगों में बांट देते थे। यह कोई दया-धर्म का काम नहीं होते हुए उनकी अपनी सुरक्षा के लिए किया जाता था। लूटा हुआ माल पाने वाले कुछ लोग डाकुओं को पुलिस गश्त की अग्रिम सूचना दे देते थे और डाकू अपना ठिकाना बदल देते थे। गौरतलब है कि चंबल के समान यूरोप में सिसली नामक स्थान है, जहां से आकर अमेरिका में बसे कुछ लोगों ने अमेरिका में संगठित अपराध गिरोह की रचना की थी।
मारिया पुजो के उपन्यास से प्रेरित फिल्म श्रृंखला 'गॉडफादर' के हिस्से में अपराधी की पत्नी अपना गर्भपात कराना चाहती है। उसका विचार है कि उसका जन्म दिया हुआ शिशु भी एक दिन संगठित अपराध का हिस्सा बनकर पुलिस की गोली या आपसी गैंगवार में मारा जाएगा। उसका निर्णय पूरे डॉन कोरलिन परिवार को हिला देता है।उन्हें अपनी विचार शैली में परिवर्तन लाने के लिए मजबूर करता है।
प्राय: अपराध फिल्मों में पात्रों को आभा मंडित किया जाता है और कभी-कभी उन्हें रोमांटिसाइज किया जाता है। हमने तो अपने इतिहास को भी रोमांटिसाइज कर दिया है। हर विदेशी से पराजित होने वाले इतिहास में पराजय के साथ यह प्रयोग किया जाता है। बहरहाल, हमारी हर तरह की फिल्मों में गीत होते हैं। लेकिन अमेरिकन फिल्मों में गीत नहीं होते।
वहां ओपेरा नुमा फिल्मों की श्रेणी ही अलग है। 'द साउंड ऑफ म्यूजिक' या 'माय फेयर लेडी'। 'फिडलर ऑन द रूफ' में भी गीत हैं। ज्ञातव्य है कि डाकू समस्या पर बनी फिल्म 'जिस देश में गंगा बहती है' में गीतों की संख्या बहुत अधिक है।
विगत कुछ समय से बैंक में डाका डाला जाना बंद हो चुका है। गोयाकि 'बंटी और बबली' बेरोजगार हो चुके हैं। बैंक से कर्ज लिया जाता है और कोलैटरल गारंटी में वे इमारतें गिरवी रखी जाती हैं, जो केवल कागज पर बनी हैं। कर्ज की रकम से उद्योग खड़े नहीं किए जाते। कर्ज अदायगी का दिन नजदीक आता है, तो कर्ज लेने वाला विदेश भाग जाता है। इन भगौड़ों को स्वदेश वापस लाने के काम में बड़ी कानूनी रुकावटें पेश आती हैं। अंतर्राष्ट्रीय अदालतों में बाल की खाल निकाली जाती है।
इन्हें स्वदेश लाने में कमोबेश उतना ही खर्च हो रहा है, जितनी रकम का घोटाला इन्होंने किया था। एक दौर में माता-पिता अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर बनाना चाहते थे। बहरहाल, अब उन्हें वकालत का अध्ययन कराना चाहिए। आजकल एक और शाखा विकसित हुई है कि चुनाव हारने वाला, जीतने वाले पर मुकदमा कायम करता है । जनता की अदालत के परे भी एक अदालत है। ज़मीर की अदालत को बंद हुए एक अरसा हो चुका है।