अपने गुरु खुद बनें और खुद को बताएं कि आप दिन में कितने अच्छे और कितने बुरे थे; फिर देखें बदलाव
पिछले हफ्ते नासिक में एक सप्ताह के आइसोलेशन में जब मैं अपने बीते साल का आत्मनिरीक्षण कर रहा था
एन. रघुरामन का कॉलम:
पिछले हफ्ते नासिक में एक सप्ताह के आइसोलेशन में जब मैं अपने बीते साल का आत्मनिरीक्षण कर रहा था, तो मेरे फिटनेस पसंद दोस्त (जिन्हें मैं एफ3 कहता हूं), जीपीएस ट्रैकर एप पर '2022' का चिह्न बनाने के लिए साइकिल चला रहे थे, चल रहे थे या दौड़ रहे थे। चौंक रहे हैं कि ये क्या है? 2022 का इनोवेटिव तरीके से स्वागत करने वाले फिटनेस के प्रति उत्साही लोगों में यह लेटेस्ट ट्रेंड है।
अनेक डिजिटल क्रिएटर व उत्साही साइक्लिस्ट 'स्ट्रावा' जैसे एप का इस्तेमाल क्रिसमस ट्री, सांता क्लॉज का चेहरा या भारत का नक्शा बनाकर अपनी कलात्मक-एथलेटिक क्षमता दिखाने के लिए कर रहे हैं। वे ऐसा कैसे करते हैं? एप सब्सक्राइब करके कोई भी एप के नक्शे पर अनेक बिंदु बना कर पसंद की छवि अंकित कर सकता है। तब उसे पैदल या साइकिल से टेस्ट राइड करनी होती है कि उन बिंदुओं से असल में वह छवि बन रही है, जो वह बनाना चाहता है।
बाद में इन्हें इंपोर्ट करके उस आकृति का पालन कर सकते हैं। यह बिंदु जोड़ने वाले लोकप्रिय खेल जैसा ही है, बस एक मामूली फर्क है कि कोई भी अपने खुद के बिंदु बना सकता है। याद करें कि हममें से कई आज भी अंक '8' के पैटर्न पर चलते हैं, क्योंकि हम मानते हैं कि इससे आंखों-हाथों का समन्वय बेहतर होता है। यह निश्चित ही हमारे शरीर की जागरूकता स्तर को विकसित करने और एकाग्रता बेहतर करने में मदद करता है।
कई मानते हैं और ये सच भी है कि इस तरह चलने से संतुलन और लय के बारे में अधिक सीख सकते हैं। वॉक में नया कौशल विकसित करने में मदद करने की क्षमता है। यह आत्मविश्वास पाने और बेहतर ढंग से समन्वित होने में मदद करता है। इसी तरह से जब एफ3, बिंदुओं को जोड़ते हुए किसी सड़क के आखिरी छोर पर पहुंचते हैं या फिर रोड ब्लॉक होती है, तो वे समानांतर सड़क लेकर, नए तरीके तलाशकर नया डिजाइन बनाते हैं! संक्षेप में वे अपनी जिंदगी के रेखाचित्र बनाते हैं।
मैं भी अपनी जिंदगी के रेखाचित्र बनाता हूं। जब मैं आत्मनिरीक्षण करता हूं और बीते साल की जुगाली करता हूं तो अहसास होता है कि पूरे साल मैंने कई गलतियां की। कुछ याद हैं, कुछ नहीं। लेकिन जब मैं उनका परिणाम देखता हूं तो मुझे वे गलतियां याद आती हैं, जैसे कांच का टूटा फूलदान, जिसे मैंने तनाव में गिराया था। मैं इतना मूर्ख होने के लिए खुद पर नाराज था। और मैंने खुद से कहा कि अगली बार जब मैं ऐसी स्थिति का सामना करूंगा तो मुझे तनाव नहीं लेना चाहिए और न ही ऐसा व्यवहार करना चाहिए जैसा मैंने 2021 में किया था।
अगली सुबह मैंने खुद को कुछ हल्का, बदला और बेहतर पाया। और महसूस किया कि अगर यही गलती मेरी पत्नी ने बताई होती तो मैं रक्षात्मक हो जाता और अपना कदम सही ठहराता। शायद 'पति' होेने के अहंकार की वजह से मैं उनके सामने अड़ रहा हूं। पर, जब मैंने खुद से कहा कि मैं गलत था, तो मैं भीतर से बदल गया।
यही वजह है कि 1 जनवरी को मैं हल्का महसूस कर रहा था। 2022 में मैंने तय किया है कि सोने से पहले रोज दस मिनट ये सोचूंगा कि मैंने उस दिन क्या गलत किया और खुद से कहूंगा कि मैं इसे दोहराऊंगा नहीं। और दिन में अच्छा करने पर खुद की प्रशंसा भी करूंगा। मुझे लगता है कि पिछले दो दिनों से मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं। आप ऐसी कोशिश क्यों नहीं करते और मुझे बताएं कि एक महीने के बाद आपने कैसा महसूस किया?
फंडा यह है कि रोज़मर्रा में अपने गुरु खुद बनें और खुद को बताएं कि आप दिन में कितने अच्छे और कितने बुरे थे और खुद होने वाले बदलाव देखें।