बयानवीर बिप्लब देब के कमान से निकला एक और तीर, BJP हुई घायल
बिप्लब कुमार देब पिछले लगभग तीन सालों से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं
बिप्लब कुमार देब पिछले लगभग तीन सालों से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं. त्रिपुरा भारत के उत्तर-पूर्व का एक ऐसा राज्य है जिसकी चर्चा नेशनल मीडिया में कम ही होती है. पर जब से बिप्लब देब मार्च 2018 में त्रिपुरा में मुख्यमंत्री बने हैं, त्रिपुरा ख़बरों में बना रहता है, पर गलत कारणों के लिए. अंग्रेजी में एक कहावत है – शूटिंग फ्रॉम दी माउथ, यानि मुंह से गोली चलाना. लगता है कि बिप्लब देब इस कला में माहिर हैं. बस वह विरोधियों को घायल नहीं करते, बल्कि खुद अपने पैर पर गोली दागते हैं.
बिप्लब देब और विवाद का पुराना रिश्ता है. वह कुछ ना कुछ ऐसा कह ही देते हैं जिससे राष्ट्रीय स्तर पर विवाद शुरू हो जाए. एक लम्बी लिस्ट है – चाहे वह महाभारत के समय में मिसाइल, टेलीविज़न, टेलीकम्यूनिकेशन वगैरह सब था वाला बयान, या फिर भारत की सुंदरियों का मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स जैसे ख़िताब जितने पर उनकी टिप्पणी, या फिर पंजाब और हरियाणा के लोगों के बारे में यह कहना कि वह लम्बे चौड़े होते हैं पर बंगालियों के मुकाबले उनकी बुद्धि कम होती है.
चमड़े की ज़ुबान है फिसल जाती है
यह कहना तो मुश्किल है कि भारत के किस प्रांत के लोगों की बुद्धि ज्यादा या कम होती है और इसका कारण क्या होता है, पर बिप्लब देब अपने उटपटांग बयानबाज़ी से त्रिपुरा के बंगाली समुदाय की समझदारी का गलत उदाहरण ज़रूर पेश कर रहे हैं. ऐसा भी नहीं है की बिप्लब देब बुड्ढे हो चले हैं या अनपढ़ हैं. उनकी उम्र मात्र 49 साल है और ग्रेजुएट भी हैं. पर जैसा कि आम बोलचाल की भाषा में कहते है – चमड़े की जुबान है, फिसल जाती है. और बिप्लब देब की जुबान अक्सर फिसलती दिखती है.
'बीजेपी बनाएगी पड़ोसी देशों में सरकार'
उसी लिस्ट में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है. त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से खबर आई है कि बिप्लब देब ने बीजेपी का बड़ा रहस्य खोल दिया है. रहस्य है कि भारत के बाद बीजेपी की योजना है पड़ोसी देश नेपाल और श्री लंका में सरकार बनाने की. माना कि बीजेपी वसुधैव कुटुम्बकम कहावत में आस्था रखती है, पर यह किसे पता था कि बीजेपी दूसरे देशों में सरकार बनाने की इक्षा भी रखती है? बिप्लब देब ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के किसी बयान का उल्लेख किया. यह भी कहा कि शाह ने यह बात तब कही थी जब वह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होते थे.
संदर्भ था शाह का कहना कि पहले भारत के सभी राज्यों में बीजेपी की सरकार बने उसके बाद बीजेपी नेपाल और श्री लंका में सरकार बनाने की सोचेगी. बिप्लब देब की तरह अमित शाह की जुबान फिसलती नहीं है. जब तक बीजेपी या अमित शाह की तरफ से सफाई नहीं आती, यही मानना होगा कि उन्होंने ऐसा ज़रूर मजाक में कहा होगा, जिसे बिप्लब देब ने गंभीरता से ले लिया है.
कैसे लड़ेंगे चुनाव?
वैसे ऐसा कोई अंतर्राष्ट्रीय कानून या प्रावधान नहीं है जिसके तहत बीजेपी दूसरे देशों में चुनाव नहीं लड़ सकती. पर उसके लिए पहले उन देशों के चुनाव आयोग से पार्टी का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और पार्टी तथा सरकार चलने के लिए वहां के स्थानीय लोगों को सामने लाना होगा, क्योकि कोई विदेशी किसी और देश में चुनाव नहीं लड़ सकता. कम्युनिस्ट पार्टी ही एकलौती अंतर्राष्ट्रीय पार्टी रही है, पर हर देश में इसका अलग रजिस्ट्रेशन होता था, अलग संविधान और स्थानीय नेता. हर एक देश में पार्टी का नाम भी अलग होता था, जैसे कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना, वगैरह.
सोचिए कैसा होगा जब विदेशी नेता भारत में चुनाव लड़ेंगे
विदेशों में बीजेपी की सरकार तब ही बन सकती है जबकि हर एक देश में उसका कुछ ऐसा ही नाम हो – नेपाल जनता पार्टी, श्री लंका जनता पार्टी, पाकिस्तान जनता पार्टी… चीन में यह संभव नहीं होगा क्योकि वहां एक ही पार्टी होती है.
वैसे बिप्लब देब ने बहुत सारे नेताओं को आइडिया ज़रूर दे दिया होगा की वह अब भारत के आगे भी सोचें. अगर दुनिया के विभिन्न देशों में फ्रेंड्स ऑफ़ बीजेपी नामक संस्था को वहां की स्थानीय पार्टी के रूप में रजिस्टर करवा दिया जाए तो ऐसा संभव है. पर फिर भारत को ही डेमोक्रेट हो या रिपब्लिकन, लेबर पार्टी हो या कंजरवेटिव सभी को स्थानीय दल बन कर चुनाव लड़ने का अधिकार देना होगा.
यह सोच कर मज़ा आ जाएगा की डोनाल्ड ट्रम्प और ओबामा पश्चिम बंगाल या असम के विधानसभा चुनाव में भाषण देते नज़र आएंगे और भारत के कृषि कानून या नागरिकता कानून के आधार या विरोध में जनता से अपनी पार्टी के लिए वोट मांगते दिखेंगे. बहरहाल बीजेपी को इसी बात की चिंता होनी चाहिए कि बिप्लब देब जैसे नेता के नेतृत्व में क्या पार्टी 2023 में त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव एक बार फिर से जीत पाएगी? कहीं ऐसा ना हो जाए कि बिप्लब देब की जुबान इसी तरह फिसलती रहे और साथ में बीजेपी भी फिसल जाए