अमेरिका का असली संकट
ये बात फ्रांसिस फुकुयामा सहित कई बड़े विद्वानों ने कही है कि
देश के अंदर गहरा और तीखा ध्रुवीकरण अमेरिका की मुसीबत है। इस ध्रुवीकरण की एक धुरी ऐसे अवैज्ञानिक और अविवेकी सोच पर जा टिकी है कि उसका जितना प्रभाव बढ़ेगा, अमेरिका की चमक उतनी ही मद्धम पड़ेगी। इस बात की ताजा मिसाल कोरोना टीकाकरण पर बने हालात हैं। anti vaccine movement america
ये बात फ्रांसिस फुकुयामा सहित कई बड़े विद्वानों ने कही है कि अमेरिका के सामने असली चुनौती विदेश में नहीं, बल्कि देश के अंदर है। देश के अंदर गहरा और तीखा ध्रुवीकरण उसकी मुसीबत है। इस ध्रुवीकरण की एक धुरी ऐसे अवैज्ञानिक और अविवेकी सोच पर जा टिकी है कि उसका जितना प्रभाव बढ़ेगा, अमेरिका की चमक उतनी ही मद्धम पड़ेगी। इस बात की ताजा मिसाल कोरोना टीकाकरण पर बने हालात हैं। पिछले हफ्ते राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सभी सरकारी विभागों और सरकारी कॉन्ट्रैक्ट के तहत काम करने वाले कर्मचारियों के लिए कोरोना का वैक्सीन लगवाना अनिवार्य कर दिया। उसके बाद से उस आदेश के खिलाफ रिपब्लिकन पार्टी लामबंद है। उसके नेताओं ने आम जनता से इस फैसले के खिलाफ उठ खड़ा होने का आह्वान किया है। अमेरिकी मीडिया की टिप्पणियों में कहा गया है कि जिस तरह की सिविल नाफरमानी की अपील रिपब्लिकन नेताओं ने वैक्सीन मसले पर की है, वैसा इसके पहले अमेरिका में दशकों में देखने को नहीं मिला। मसलन, अमेरिकी राज्य ओहायो में सीनेट सदस्यता के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जेडी वेन्स ने लोगों से 'व्यापक सिविल नाफरमानी' आंदोलन छेड़ देने की अपील की है। वेन्स ने अमेरिका के व्यापारी समुदाय से कहा कि वे इस आदेश का पालन ना करें। राष्ट्रपति के इस आदेश को कई राज्यों के रिपब्लिकन गवर्नरों ने कोर्ट में चुनौती देने का एलान किया है।
राष्ट्रपति के आदेश जारी के तुरंत बाद अमेरिका में ट्विटर पर टॉप ट्रेंड आईविलनॉटकॉप्लाय (मैं आदेश नहीं मानूंगा) का हैशटैग कर रहा था। इसका दबाव बाइडेन प्रशासन को महसूस हुआ है। उसके अधिकारियों ने मीडिया ब्रीफिंग में सफाई दी है कि राष्ट्रपति को इस बात का अंदाजा था कि उनके ऐसे आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया होगी। लेकिन आखिरकार उन्होंने सोचा कि अगर इस मामले में किसी ने साहस नहीं दिखाया, तो हम हमेशा महामारी का शिकार बने रहने के लिए मजबूर हो जाएंगे। ये बात बिल्कुल ठीक है। लेकिन जब ऐसे मसले पर भी कोई राजनीतिक दल राजनीति करने पर उतर आए, तो आखिर उससे क्या संदेश ग्रहण किया जा सकता है! मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रिपब्लिकन पार्टी का आकलन है कि इस आदेश के बाद बहुत से वे लोग भी जबरन टीकाकरण के खिलाफ हो गए हैं, जो वैसे वैक्सीन को समर्थक हैँ। पार्टी अब उन्हें गोलबंद कर रही है। उसे इस बात की कोई चिंता नहीं है कि इसका फौरी और आखिरी अंजाम क्या होगा।
क्रेडिट बाय नया इंडिया