अखिलेश यादव की शिकायत

अब अगर चुनावों में प्रत्यक्ष धांधली की धारणा भी यहां तक फैलने लगे कि प्रमुख विपक्षी नेता प्रेस कांफ्रेंस के जरिए उसे जताएं

Update: 2022-03-10 05:58 GMT
By NI Political
अब अगर चुनावों में प्रत्यक्ष धांधली की धारणा भी यहां तक फैलने लगे कि प्रमुख विपक्षी नेता प्रेस कांफ्रेंस के जरिए उसे जताएं, तो यह गंभीर चिंता की बात है। स्पष्टतः आज पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का चाहे जो नतीजा आए, निर्वाचन की साख के सवाल पर ध्यान देने की जरूरत बनी रहेगी।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने दो गंभीर टिप्पणियां की हैं। पहली बात तो उन्होंने यह कही कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लोकतंत्र बचाने का आखिरी मौका है। फिर उन्होंने इसमें जोड़ा कि इस बार अगर चुनाव प्रक्रिया निष्पक्षता से पूरी नहीं की गई, तो फिर लोगों को 'क्रांति' करनी होगी। अब क्रांति से उनका क्या तात्पर्य है, यह उन्होंने स्पष्ट नहीं किया। लेकिन जिस संदर्भ में उन्होंने ये बातें कहीं, वे गौरतलब हैं। संदर्भ वाराणसी में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को कथित तौर पर उनकी जगह से कहीं और ले जाने से उठा विवाद था। समाजवादी पार्टी का आरोप है कि बिना सभी उम्मीदवारों को बताए ईवीएम की जगह बदली जा रही थी, जो नियम के खिलाफ है। प्रशासन का कहना है कि जिन ईवीएम को ले जाया जा रहा था, वे वो नहीं हैं, जिनमें मतदान हुआ। बल्कि वे प्रशिक्षण के मकसद से रखी गई मशीनें थीं। बहरहाल, अखिलेश यादव ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सोनभद्र में मतपत्रों को अनुचित रूप से ले जाने का मामला भी उठा दिया।
लगे हाथ जोड़ा कि एग्जिट पोल एक सुविचारित योजना का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल के जरिए भारतीय जनता पार्टी की जीत का माहौल इसलिए बनाया गया है कि अगर प्रशासन भाजपा के पक्ष में धांधली करे, तो लोग सवाल ना उठाएं। लोग यह मान कर चलें कि आखिर एग्जिट पोल में भी तो यही नतीजा बताया गया था। जो बात अखिलेश यादव ने कही, वह विपक्षी खेमे के समर्थक बड़ी संख्या में कहते सुने जा रहे हैँ। यह इस बात का संकेत है कि भाजपा विरोधी खेमों में देश की चुनाव प्रक्रिया या चुनाव तंत्र को लेकर शक लगातार गहरा रहा है। यह बात तो जाने-माने विश्लेषक भी कहे सुने जाते हैं कि अब भारत में चुनावों के दौरान सभी पक्षों को समान धरातल नहीं मिलता। उनका दावा है कि धन, मीडिया और संस्थानों का बल सत्ताधारी पार्टी के साथ होता है। अब अगर चुनावों में प्रत्यक्ष धांधली की धारणा भी यहां तक फैलने लगे कि प्रमुख विपक्षी नेता प्रेस कांफ्रेंस के जरिए उसे जताएं, तो यह गंभीर चिंता की बात है। स्पष्टतः आज पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों का चाहे जो नतीजा आए, निर्वाचन की साख के सवाल पर ध्यान देने की जरूरत बनी रहेगी। यह सबको याद रखना चाहिए कि ऐसे संदेह के माहौल में लोकतंत्र टिकाऊ नहीं हो सकता।
Tags:    

Similar News

-->