बलूचिस्तान के बाद अब सिंधु देश के रूप में पाकिस्तान के टूटने का खतरा
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सिंध प्रांत सिंधु घाटी की सभ्यता एवं वैदिक धर्म का घर है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आधुनिक सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापकों में से एक गुलाम मुर्तजा सैयद की जयंती पर पाकिस्तान में 17 जनवरी को एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें सिंध की आजादी के समर्थन में नारे लगाए गए। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सिंध प्रांत सिंधु घाटी की सभ्यता एवं वैदिक धर्म का घर है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1921 में सिंध के लरकाना जिले में ही सिंधु घाटी की सभ्यता का पता चला था। भारतीय पुरातत्वविद राखालदास बनर्जी ने यहां खोदाई करवाई थी। सिंधु सभ्यता का प्रमुख स्थल मोहनजोदड़ो सिंध में स्थित है। देश विभाजन के समय ब्रिटिश ने यह क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिया।
पिछले कई दशकों से सिंध के निवासी अलग सिंधु देश की मांग कर रहे हैं। अलग देश की मांग को लेकर सिंधियों के नेता गुलाम मुर्तजा सईद ने पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) को आजादी मिलने के बाद पाकिस्तान से आजाद होने के लिए आंदोलन की शुरुआत कर दी थी। उन्होंने ही पहली बार सिंधी राष्ट्रवाद को गति प्रदान की। इस तरह वर्ष 1967 में गुलाम मुर्तजा सईद और पीर अली मोहम्मद राशिद के नेतृत्व में अलग सिंधु देश की मांग की गई थी। दरअसल उस समय पाकिस्तान सरकार ने सिंध के निवासियों पर उर्दू भाषा थोप दी थी, जिसका वहां के निवासियों ने विरोध किया। परिणामस्वरूप सिंधी अस्मिता का जन्म हुआ और अपनी भाषा तथा संस्कृति के नाम पर सिंधी समुदाय के लोग एक हो गए। इस आंदोलन में सिंधी हंिदूू और सिंधी मुसलमान दोनों शामिल हुए।
गुलाम मुर्तजा सईद ने अपने आंदोलन को रचनात्मक रूप प्रदान करने के लिए कई पुस्तकें भी लिखीं। परिणामस्वरूप विदेशों में रह रहे सिंधियों का भी समर्थन प्राप्त हुआ। विदित हो कि पाकिस्तान की सत्ता पर सिंध से मात्र एक भुट्टो परिवार ही राज कर पाया है। इसीलिए पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के सत्ता में रहते हुए यह आंदोलन शांत रहा। संप्रति सिंध प्रांत में सिंधु देश की मांग को लेकर अनेक पार्टयिां आंदोलनरत हैं, जिनमें जिये सिंध कौमी महाज सबसे आगे है। यह पार्टी गुलाम मुर्तजा सईद के निधन के बाद बनी थी। सईद के समय सिंधु देश की मांग करने वाली अनेक पार्टयिां थीं, लेकिन उनकी मौत के बाद इन सभी पार्टयिों ने जिये सिंध कौमी महाज पार्टी में अपना विलय कर लिया। इससे अलग होकर शफी मोहम्मद बुरफात ने वर्ष 2000 में जिये सिंध मुत्ताहिद महाज नाम की पार्टी बनाई थी। यह पार्टी भी अलग सिंधु देश के लिए आंदोलन में लगी है। इसके नेताओं की यही मांग है कि पाकिस्तान सरकार से किसी तरह की वार्ता न की जाए। इस पार्टी का कहना है कि किसी स्वायत्तता के बजाय हम सीधे असली स्वतंत्रता चाहते हैं।
सिंधु देश का शाब्दिक अर्थ है सिंधियों के लिए अलग देश। सिंधु देश एक विचार है जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बसे और पूरी दुनिया में फैले सिंधियों का एक सपना है कि दुनिया के दूसरे समुदायों की तरह उनका अपना एक अलग देश हो। वे एक निश्चित भू-भाग में अपने लिए एक स्वतंत्र और सार्वभौमिक मातृभूमि चाहते हैं। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान सरकार द्वारा इस मांग को दबाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाती है। पिछले सप्ताह के प्रदर्शन को पाकिस्तान सरकार की मीडिया ने खास कवरेज नहीं दिया, लेकिन इस प्रदर्शन ने इंटरनेट मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा है।